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मुंगेरवासियों को न मिला मॉडल अस्पताल, न ट्रामा सेंटर, रेफर हो रहे मरीज

मॉडल अस्पताल के उद्घाटन के बाद लोगों को लगा था कि मुंगेर के लोगों को इस अत्याधुनिक अस्पताल के साथ ट्रामा सेंटर का लाभ भी मिलेगा, लेकिन अबतक लोगों को मॉडल अस्पताल नहीं मिल पाया है.

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गरीबों के पास प्राइवेट अस्पताल में जाने को पैसे नहीं, बिना सर्जन के सदर अस्पताल में सुविधाओं का अभाव

मुंगेर. मुंगेर जिले के लोगों का हाल इन दिनों माया मिली न राम वाली हो गयी है. क्योंकि पांच फरवरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 32 करोड़ की लागत से बने 100 बेड के मॉडल अस्पताल के उद्घाटन के बाद लोगों को लगा था कि मुंगेर के लोगों को इस अत्याधुनिक अस्पताल के साथ ट्रामा सेंटर का लाभ भी मिलेगा, लेकिन न तो अबतक लोगों को मॉडल अस्पताल मिल पाया है और न ही ट्रामा सेंटर. जिसके कारण सदर अस्पताल वर्तमान में रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है. जहां मारपीट व सड़क दुर्घटना में आंशिक रूप से घायलों का ही इलाज हो पा रहा है. जबकि गंभीर रूप से घायलों को रेफर किया जा रहा है.

छह माह में ट्रामा के 593 मामलों में 123 रेफर, 18 मौत

सदर अस्पताल में सितंबर 2024 से मार्च 2025 के 21 दिनों में अबतक के 6 माह में मारपीट, गन शॉट सहित हेड इंज्यूरी के कुल 593 मामले आये हैं, जिसमें 123 मामलों में घायलों को रेफर कर दिया गया है. जबकि इस दौरान 18 मरीज सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. इतना ही नहीं इन 6 माह में आरटीए (सड़क दुर्घटना) के कुल 233 मामले सदर अस्पताल में आये. जिसमें से 108 मामलों में घायलों को रेफर कर दिया गया. जबकि 12 मामलों में घायलों की मौत सदर अस्पताल में सही समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हो गयी. अब यह तो केवल सरकारी आंकड़ा है. जबकि इससे अलग कई मामलों में रेफर किये जाने के दौरान ही मरीजों की मौत हो गयी है. जिसका कोई आंकड़ा तक अस्पताल के पास नहीं है. जिसे शायद ट्रामा सेंटर होने और सही समय पर इलाज मिलने से बचाया जा सकता था. अब ऐसे में मुंगेर जैसे जिले में जहां आये दिन मारपीट और सड़क दुर्घटना के मामले आते हैं. वहां ट्रामा के इन मरीजों का इलाज कैसे होगा.

50 दिन बाद भी नहीं मिला मॉडल अस्पताल

सदर अस्पताल में जनवरी 2022 में 100 बेड के मॉडल अस्पताल का शिलान्यास सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने किया था. जबकि 32.5 करोड़ की लागत से बने मॉडल अस्पताल का उद्घाटन 5 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया, लेकिन उद्घाटन के 50 दिन बाद भी अबतक मुंगेर के लोगों को मॉडल अस्पताल नहीं मिल पाया है. जबकि इस मॉडल अस्पताल में एडवांस ट्रामा सेंटर भी बनाया गया है. जहां आने वाले ट्रामा अर्थात सड़क दुर्घटना या मारपीट के गंभीर मरीजों के लिए इलाज की बेहतर व्यवस्था होेगी, लेकिन मुंगेर के लोगों का ट्रामा सेंटर तथा 100 बेड का मॉडल अस्पताल मिलने का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है.

सालों से सर्जन तक नहीं होने से बढ़ रही परेशानी

ट्रामा के अधिकांश मामलों में सर्जन या हड्डी के विशेषज्ञ सर्जन की आवश्यकता होती है. लेकिन मुंगेर जिले में साल 2022 से स्वास्थ्य विभाग बिना सर्जन के ही चल रहा है. जबकि सदर अस्पताल में चिकित्सकों के स्वीकृत 32 पद पर मात्र 19 चिकित्सक ही कार्यरत हैं. जिनके कंधों पर दो-दो वार्डों की जिम्मेदारी होती है. वहीं जिले में सर्जन की कमी का सबसे अधिक फायदा सदर अस्पताल में घूमने वाले बिचौलिये उठाते हैं. जो मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिलने का डर दिखाकर उसे बहला-फुसलाकर निजी नर्सिंग होम या क्लीनिक ले जाते हैं. जहां भी मरीज की स्थिति बिगड़ने पर वापस सदर अस्पताल ही भेज दिया जाता है.

मॉडल अस्पताल अबतक हैंडओवर नहीं किया गया है. जिसके कारण इसे अबतक आरंभ नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि जिले में सर्जन सालों से नहीं है, जिसके लिए कई बार विभाग को लिखा गया है.

डॉ विनोद कुमार सिन्हा, सिविल सर्जन

छह माह में ट्रामा और आरटीए के मामले

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माह ट्रामा मौत आरटीए मौत

सितंबर 2024 123 1 29 1अक्तूबर 2024 109 6 48 2नवंबर 2024 102 3 34 2

दिसंबर 2024 60 0 38 0जनवरी 2025 62 2 26 3

फरवरी 2025 101 5 40 3मार्च 2025 36 1 18 1

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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