लगातार खतरे के निशान के पास पहुंच रहा मुंगेर का एयर क्वालिटी इंडेक्स
मुंगेर. शहर में तेजी से बढ़ रहे वाहनों की संख्या अब मुंगेर की हवा को जहरीला बना रही है. वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से लोगों का स्वास्थ्य खतरे में है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति अस्थमा, हृदय रोग और सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए बेहद खतरनाक होती जा रही है. नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, मुंगेर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 133 दर्ज किया गया है. यह स्तर सामान्य लोगों के लिए तो हल्का माना जाता है, लेकिन बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार मरीजों के लिए यह गंभीर खतरा है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बढ़ता धूल-धुआं, पुराने वाहनों का उत्सर्जन और बिना जांच के चल रहे ऑटो व मोटरसाइकिल इस प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. शहर की सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक और निर्माण कार्यों की धूल ने स्थिति और खराब कर दी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को समय रहते प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, वरना आने वाले दिनों में मुंगेर की हवा सांस लेना मुश्किल बना देगी.खतरे के निशान के पास पहुंच रहा एयर क्वालिटी इंडेक्स
नेशनल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार 0 से 50 एयर क्वालिटी इंडेक्स लोगों के लिये बेहतर होता है. जबकि 51 से 100 एक्यूआई केवल संवेदनशील या किसी प्रकार के एलर्जी के लोगों के लिये अच्छी नहीं है. वहीं 101 से 150 एक्यूआई मध्यम संवेदनशील होता है. जो अस्थमा, हृदय रोग पीड़ित मरीजों के साथ बुजुर्गाें और बच्चों के लिये नुकसानदायक होता है. वहीं 151 से 200 के बीच एक्यूआई सामान्य लोगों के लिये भी नुकसानदायक होता है. ऐसे में वर्तमान में मुंगेर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 133 है. जो नुकसानदायक एयर क्वालिटी इंडेक्स 151 से मात्र 18 प्वाइंट ही कम है. अब ऐसे में मुंगेर की हवा जहां खतरे के निशान के पास पहुंच रही है. वहीं वर्तमान का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी मुंगेर के लोगों को बीमार करने के लिये काफी है.जहरीली होती हवा बढ़ा रहे सांस के मरीज
मुंगेर की जहरीली होती हवा अब लगातार सांस की बीमारी के मरीजों की संख्या बढ़ा रही है. इसे केवल इसी बात से समझा जा सकता है कि दीपावली के 20 अक्तूबर से छठ पर्व के 28 अक्तूबर के बीच मात्र 8 दिनों में ही मुंगेर सदर अस्पताल में सांस की तकलीफ के कुल 48 मरीज इलाज के आ चुके हैं. जबकि इसके अतिरिक्त इस दौरान अस्थमा के तीन और हृदय रोग से पीड़ित 18 मरीज अस्पताल में इलाज के लिये पहुंच चुके हैं.पुराने और जर्जर वाहनों से निकल रहा धुंआ सबसे अधिक खतरनाक
बता दें कि मुंगेर की हवा को सबसे अधिक दूषित करने में पुराने और जर्जर वाहन बड़े कारण हैं. मुंगेर गंगा पुल बनने के बाद खगड़िया और बेगूसराय से वाहनों का दवाब अब मुंगेर शहर में बढ़ गया है. जिसमें अधिकांश ऐसे वाहन हैं. जो 20 से 25 साल पुराने हैं. जिससे निकलने वाला धुंआ लगातार मुंगेर शहर की हवा को दूषित कर रहा है. हद तो यह है कि जहां परिवहन विभाग के अनुसार 15 साल बाद वाहन मानक अनुरूप नहीं होती है. वहीं खगड़िया और बेगूसराय से प्रतिदिन दर्जनों ऐसे वाहनों का परिचालन मुंगेर शहर में हो रहा है. जो 20 से 25 साल पुराने हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

