मुंगेर.
स्वास्थ्य विभाग की बदहाल व्यवस्था तो पहले से ही मुसीबत बनी हुई है. वहीं अब एक माह से सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ रामप्रवेश प्रसाद के पास ही जिला स्वास्थ्य विभाग के 5 बड़े पदों का प्रभार है. वे जिले के प्रभारी सिविल सर्जन के साथ ही सदर अस्पताल के उपाधीक्षक, एसीएमओ, जिला मलेरिया पदाधिकारी, जिला फाइलेरिया पदाधिकारी भी हैं. इसके साथ ही उन्हें अपने निजी क्लिनिक में भी रोगियों का इलाज करना पड़ रहा है. इस परिस्थिति में वे अपनी दायित्व का कितना निर्वहन कर पा रहे हैं, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.विदित हो कि 31 मई को मुंगेर के तत्कालीन सिविल सर्जन डाॅ विनोद कुमार सिन्हा सेवानिवृत्त हो गये. इसके बाद जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन का प्रभार डाॅ ध्रुव कुमार को दिया. जबकि इस दौरान डाॅ रामप्रवेश के पास जिला मलेरिया व फाइलेरिया पदाधिकारी के साथ एसीएमओ तथा सदर अस्पताल उपाधीक्षक का पद प्रभार में था. वहीं 11 जून को विभाग द्वारा डाॅ रामप्रवेश को ही मुंगेर का सिविल सर्जन बना दिया गया. इसके बाद अब डाॅ रामप्रवेश के पास स्वास्थ्य विभाग के कुल पांच बड़े पदों का प्रभार है. जबकि खुद डाॅ रामप्रवेश सदर अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर हैं.
पांच पदों के प्रभार के साथ निजी क्लिनिक का भी करते हैं संचालन
स्वास्थ्य विभाग के पांच बड़े पदों के साथ डाॅ रामप्रवेश पर अपने निजी क्लिनिक चलाने की जिम्मेदारी भी है. बता दें कि पूर्व में भी डाॅ रामप्रवेश के अपने निजी क्लिनिक पर अधिक समय देने के कारण कई चिकित्सक न केवल नाराजगी जता चुके थे, बल्कि खुद तत्कालीन अस्पताल उपाधीक्षक डाॅ रमन कुमार द्वारा उनसे समय से पहले ओपीडी या इमरजेंसी ड्यूटी से चले जाने के कारण स्पष्टीकरण भी पूछा गया था. अब जब उनके पास सिविल सर्जन, एसीएमओ सहित जिले में संचालित फाइलेरिया व मलेरिया कार्यक्रम जैसे बड़े कार्यक्रमों वाले विभाग का प्रभार है तो इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों का हाल भी समझा जा सकता है. इतना ही नहीं सिविल सर्जन का पद प्रभार में होने के बाद डाॅ रामप्रवेश अस्पताल उपाधीक्षक के पद का भी सही से निर्वहन नहीं कर पा रहे और दिन-प्रतिदिन सदर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था बदतर होती जा रही है.
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