न लाइसेंस की जरूरत और न ही सरकार को राजस्व भरने की आवश्यकता
कमेटी की चाल में फंस कर उजड़ रहे छोटे कारोबारी, सूद नहीं भरने पर छोड़ रहे घर-परिवार
मुंगेर. यह न तो बैंक हैं, न को-ऑपरेटिव सोसायटी और न ही स्मॉल फाइनेंस बैंक. फिर भी जिले में अवैध रूप से धड़ल्ले से दर्जनों कमेटी संचालित कर करोड़ों का लेन-देन किया जा रहा है. कासिम बाजार थाना क्षेत्र के बिंदवारा निवासी उमेश कुमार सिंह की आत्महत्या के बाद अवैध रूप से संचालित कमेटी और उसके माध्यम से हो रहे करोड़ों रुपये के सूद के कारोबार का बड़ा खुलासा हुआ है. अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगा तो आने वाले दिनों में इसकी चपेट में आकर युवा व्यवसायी या तो शहर छोड़ देंगे अथवा वे भी आत्महत्या करने को मजबूर होंगे.
अनाधिकृत रूप से शहर में चल रहा दर्जनों कमेटी
जिला मुख्यालय से लेकर गांव तक समूह बना कर कमेटी संचालित किया जा रहा है. एक कमेटी का एक एडमिन होता है. किसी कमेटी में 20 तो किसी में 50-50 तक लोगों को शामिल किया जाता है. मुंगेर शहर में भी दर्जनों कमेटी संचालित हो रहे हैं. महीने में एक बार कमेटी की बैठक होती है. जितने लाख की कमेटी होती है, उसकी बोली लगती है. जिसमें सबसे कम की बोली लगाने वालों को उक्त राशि कमेटी में जमा फंड से दे दी जाती है. कमेटी में एक निर्धारित राशि तय होती है, जिसे महीने में एक बार सदस्यों को देना पड़ता है. मान लिया जाय कि 20 आदमी की कमेटी और पांच लाख की बोली लगी. किसी ने सबसे कम चार लाख की बोली लगायी तो उसे कमेटी के सदस्यों पर 20-20 हजार बैठा कर लिया जाता है और कम बोली लगाने वाले को दे दिया जाता है. इससे इतर भी कमेटी संचालित हो रही है, जो सूद पर कमेटी में शामिल कारोबारी को पैसा देती और हर महीने उससे मूलधन के साथ ब्याज लिया जाता है. साथ उससे कमेटी में जमा होने वाले राशि भी ली जाती है.
युवा कारोबारी हो रहे शिकार, छोड़ रहे घर-द्वार
जानकारों की माने तो युवा कारोबारी अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए लाख ही नहीं एक-एक करोड़ तक राशि लेते है. वह कई कमेटियों से राशि उठा कर इधर -उधर खर्च करते हैं. जब उसे चुका नहीं पाते है तो पैसा वापस करने का दबाव बनता है. कमेटी के एडमिन सदस्यों के साथ समझौता कराते है. समझौता नहीं होने की स्थिति में युवा कारोबारी तनाव में आ जाते है. कई युवा कारोबारी तो मुंगेर शहर को छोड़ चुके है. वर्तमान समय में भी कई युवा कारोबारी है जिस पर बैंक के अलावे कमेटी के दो-दो करोड़ रुपये उठा रखा है. इतना ही नहीं लोगों से सूद भी पैसा उठा रखा है. सूत्रों की मानें तो तीन-तीन लाख प्रतिमाह उसे सूद भरना पड़ रहा है.
कमेटी के नाम पर लोगों के साथ हो रहा फर्जीवाड़ा
जो भी कमेटी चल रही है, वह पूरी तरह से फर्जीवाड़ा कर रही है. न तो उनके पास कमेटी चलाने का वैध लाइसेंस है और न ही सरकार को राजस्व देने की जरूरत है. बावजूद लोगों से कमेटी के नाम पर एक से दो प्रतिशत महीना सूद देने की बात कह कर जमा ले रहे है. दर्जनों कमेटी लोगों के पैसे फर्जीवाड़ा कर चुकी है और कमेटी को बंद कर दिया. शहर में कई रैकेट है जो इस तरह के कमेटी का गठन कर लोगों को लोभ देकर पैसा वसूल कर भाग जा रहा है. बिंदवारा के लोगों के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. जिसने कमेटी में सूद के लोभ में करोड़ों रुपये जमा कर दिया, लेकिन जो कमेटी चला रहा है, उसने पटना के एक होटल में आत्महत्या कर ली, जिसके बाद बिंदवारा के लोगों को बड़ा झटका लगा है.
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