जमालपुर
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती शनिवार को विभिन्न विद्यालयों में गौरव दिवस के रूप में मनायी गयी. इस दौरान कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया. सरस्वती शिशु मंदिर सफियाबाद में कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य सुमित रोशन एवं आचार्य मुकेश कुमार कृतिकमल द्वारा संयुक्त रूप से भगवान बिरसा मुंडा के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया. प्रधानाचार्य ने कहा कि कि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी एवं उपनिवेशवाद विरोधी बिरसा मुंडा की जयंती प्रतिवर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है. बिरसा मुंडा को उनके अनुयाई धरती आबा अर्थात धरती के पिता कहते हैं. साथ ही उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है. यह उपाधि किसी एक व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं दी गई थी, बल्कि उनके संघर्ष जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए किए गए आंदोलन तथा आदिवासियों के प्रति उनके योगदान के दिया गया. इसके बाद सफियाबाद हवाई अड्डा में छात्र-छात्राओं के बीच कबड्डी खेलकूद का आयोजन किया गया. मौके पर प्रदीप, अमित, मनोहर, शशि, पूनम, कन्हैया, सीमा, सावित्री, ममता आदि मौजूद थी. वही सरस्वती विद्या मंदिर दौलतपुर में भी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनायी गयी. जिसकी शुरुआत बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर प्रधानाचार्य छठू साहू ने की. उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा को धरती आबा कहा जाता है. बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट कर स्वतंत्रता संग्राम किया. उप प्रधानाचार्य संतोष कुमार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में सभी अपना योगदान दें. इस दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. जिसमें हर्ष, प्रथमेश, मासूम, दिव्या, सीता, अंकित, हंसिका, परिधि, अनुश्री ने बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित नाटक लोक नृत्य की. मांडवी की टोली ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया.सरस्वती शिशु मंदिर सफियाबाद में कार्यक्रम का शुभारंभ प्रधानाचार्य सुमित रोशन एवं आचार्य मुकेश कुमार कृतिकमल द्वारा संयुक्त रूप से भगवान बिरसा मुंडा के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया. प्रधानाचार्य ने कहा कि कि जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी एवं उपनिवेशवाद विरोधी बिरसा मुंडा की जयंती प्रतिवर्ष 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है. बिरसा मुंडा को उनके अनुयाई धरती आबा अर्थात धरती के पिता कहते हैं. साथ ही उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है. यह उपाधि किसी एक व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं दी गई थी, बल्कि उनके संघर्ष जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए किए गए आंदोलन तथा आदिवासियों के प्रति उनके योगदान के दिया गया. इसके बाद सफियाबाद हवाई अड्डा में छात्र-छात्राओं के बीच कबड्डी खेलकूद का आयोजन किया गया. मौके पर प्रदीप, अमित, मनोहर, शशि, पूनम, कन्हैया, सीमा, सावित्री, ममता आदि मौजूद थी. वही सरस्वती विद्या मंदिर दौलतपुर में भी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मनायी गयी. जिसकी शुरुआत बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर प्रधानाचार्य छठू साहू ने की. उन्होंने कहा कि बिरसा मुंडा को धरती आबा कहा जाता है. बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट कर स्वतंत्रता संग्राम किया. उप प्रधानाचार्य संतोष कुमार ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों को अपनाकर राष्ट्र निर्माण में सभी अपना योगदान दें. इस दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. जिसमें हर्ष, प्रथमेश, मासूम, दिव्या, सीता, अंकित, हंसिका, परिधि, अनुश्री ने बिरसा मुंडा के जीवन पर आधारित नाटक लोक नृत्य की. मांडवी की टोली ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया.
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