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तीन सदस्यीय टीम ने की नेशनल हॉस्पिटल की जांच, डीएम को सौंपेंगे रिपोर्ट

रोगी को मुक्त नहीं करने के मामले को लेकर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम रविवार को सदर अस्पताल के पीछे तोपखाना बाजार स्थित नेशनल हॉस्पिटल पहुंची.

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में प्रावधानित मापदंडों का भी लिया जायजा

रोगी को मुक्त नहीं करने के मामले को लेकर डीएम ने बनायी थी जांच टीम

मुंगेर. रोगी को मुक्त नहीं करने के मामले को लेकर गठित तीन सदस्यीय जांच टीम रविवार को सदर अस्पताल के पीछे तोपखाना बाजार स्थित नेशनल हॉस्पिटल पहुंची. टीम ने जहां अस्पताल संचालक से मामले को लेकर पूछताछ की, वहीं क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में प्रावधानित मापदंडों का घूम-घूम कर एवं संचालक से वहां उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी ली. हालांकि टीम के सदस्यों ने कुछ भी बताने से फिलहाल इंकार किया. जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जायेगी. बता दें कि निजी नर्सिंग होम के विरुद्ध डीएम ने 48 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन 96 घंटे बीतने के बाद भी टीम ने जांच तक नहीं की थी, जिसके बाद प्रभात खबर ने रविवार के अंक में प्रमुखता से खबर का प्रकाशन किया था. खबर छपने के बाद टीम हरकत में आयी व नेशनल अस्पताल पहुंचकर सभी पहलुओं पर जांच की.

जिलाधिकारी द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम में शामिल अपर समाहर्ता आपदा विभाग संजय कुमार सिन्हा, सिविल सर्जन डॉ रामप्रवेश एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ निरंजन कुमार रविवार को अपराह्न एक बजे के करीब नेशनल हॉस्पिटल पहुंचे. टीम ने जहां भर्ती मरीज टिंकु से अकेले में बातचीत की. वहीं संचालक के कक्ष में बैठ कर संचालक डॉ अयूब से रोगी को मुक्त नहीं करने के मामलों के बारे में जानकारी ली. इतना ही नहीं, टीम ने नेशनल अस्पताल के प्रबंधन एवं कार्यप्रणाली की जांच की. यह तय किया कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में प्रावधानित मापदंडों पर यह निजी नर्सिंग होम में सुविधा है या नहीं, चिकित्सकीय काम उसके प्रावधानों के अनुसार हो रहा है अथवा नहीं. बताया गया कि टीम लगभग चार घंटे तक नर्सिंग होम में रही और सघन जांच की. साथ ही वहां भर्ती अन्य मरीजों के साथ नर्सिंग स्टाफ से भी बात की. वहां उपलब्ध चिकित्सकीय सुविधा के साथ ही मरीजों व उसके तीमारदारों के लिए उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं का भी जायजा लिया. सूत्रों की मानें, तो जांच टीम को कई खामियां मिली हैं, जो क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में प्रावधानित मापदंडों को पूरा नहीं कर रहा था.

पीड़ित परिवार ने डीएम से लगायी थी बेटे को अस्पताल से निकालने की गुहार

लखीसराय जिले के मेदनीचौकी निवासी बुजुर्ग महेश साह अपनी पत्नी के साथ दो दिसंबर को जिलाधिकारी निखिल धनराज से मिलकर एक आवेदन देते हुए नेशनल अस्पताल में भर्ती अपने बीमार पुत्र को बाहर निकालने की गुहार लगायी थी. उसने डीएम को बताया था कि 24 नवंबर को उसके पुत्र टिंकु साह का सूर्यगढ़ा के समीप सड़क दुर्घटना में हाथ और पैर टूट गया था, जिसे इलाज के लिए मुंगेर सदर अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन वहां से अस्पताल के पीछे संचालित नेशनल अस्पताल भेज दिया गया. जहां इलाज के नाम पर उसने 1.50 लाख रुपये भुगतान कर चुका है. उन्होंने नर्सिंग होम संचालक पर तीन लाख की डिमांड करने का आरोप लगाया था.

इस मामले में जिलाधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सिविल सर्जन एवं अस्पताल मैनेजर को निजी नर्सिंग होम से मरीज को निकाल कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. अस्पताल मैनेजर और एक चिकित्सक नर्सिंग होम गये थे, लेकिन नेशनल अस्पताल के संचालक ने उन्हें स्पष्ट कह दिया कि इलाज पर बड़ी राशि खर्च हुई है. हम राशि में कटौती कर सकते हैं, लेकिन फ्री नहीं कर सकते हैं. जिसके कारण टीम को बैरंग वापस लौटना पड़ा था. जिसके बाद जिलाधिकारी ने तीन दिसंबर को तीन सदस्यीय टीम का गठन मामले की जांच के लिए किया. उन्होंने सदर अस्पताल प्रबंधक को निर्देश दिया था अविलंब नेशनल अस्पताल मुंगेर में भर्ती टिंकु साव को निकालकर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान की जाय, जबकि टीम को आवेदक के आवेदन में वर्णित तथ्यों की सुगमता पूर्वक गहन जांच कर 48 घंटे के अंदर उनको रिपोर्ट उपलब्ध करायी जाय.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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