मुंगेर : अब हथियार ठेकेदार व कारीगर पुलिस की पकड़ से बचने के लिए दुर्गम पहाड़ व जंगलों में मिनी गन फैक्टरी का संचालन कर रहे हैं. जिसे नक्सलियों व स्थानीय रंगदारों का भी वरदहस्त प्राप्त है. इस कारण बेफ्रिक होकर धड़ल्ले से हथियारों का निर्माण किया जा रहा है. इसका खुलासा लगातार जंगल व पहाड़ के क्षेत्रों में हो रहे मिनी गन फैक्टरी के उद्भेदन से हुआ है. सोमवार को भी जब एसटीएफ व जिला पुलिस ने ऋषिकुंड के पहाड़ी क्षेत्रों में छापेमारी की तो वहां बड़े पैमाने पर अवैध हथियार के कारखाने मिले. इससे पूर्व भी ऋषिकुंड पहाड़ी क्षेत्र में मिनी गन फैक्टरी का उद्भेदन किया गया था.
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दुर्गम पहाड़ व जंगलों की ओर हथियार निर्माताओं का रुख
मुंगेर : अब हथियार ठेकेदार व कारीगर पुलिस की पकड़ से बचने के लिए दुर्गम पहाड़ व जंगलों में मिनी गन फैक्टरी का संचालन कर रहे हैं. जिसे नक्सलियों व स्थानीय रंगदारों का भी वरदहस्त प्राप्त है. इस कारण बेफ्रिक होकर धड़ल्ले से हथियारों का निर्माण किया जा रहा है. इसका खुलासा लगातार जंगल व […]
मुंगेर में यूं तो मुफस्सिल थाना क्षेत्र का बरदह गांव व दियारा का क्षेत्र अवैध हथियारों के निर्माण का केंद्र रहा है. किंतु हाल के वर्षों में जब पुलिस इन क्षेत्रों में दबिश बनायी तो अवैध हथियार के कारोबारी जंगल व पहाड़ के इलाके की ओर रुख कर लिया. जहां कथित माओवादी व स्थानीय रंगदारों के मिलीभगत से बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्माण किया जा रहा है. वैसे भी मुंगेर अब नाइन एमएम पिस्टल का एसेंबल सेंटर बन गया है. जहां कोलकाता व अन्य क्षेत्रों से पिस्टल की बॉडी बनकर आती है और यहां उसे फिनिशिंग टच दिया जाता.
पुलिस को बनानी पड़ती है रणनीति : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हथियार बनाने का सिलसिला लगातार जारी है. इसकी भनक पुलिस को रहती है. दुर्गम रास्ता व नक्सलियों के गिरफ्त में क्षेत्र रहने के कारण पुलिस को छापेमारी करने के लिए रणनीति बनानी पड़ती है. इसके लिए सीआरपीएफ, एसटीएफ का भी सहारा लेना पड़ता है. खुद पुलिस अधीक्षक ने ऋषिकुंड में मिनीगन फैक्टरी पकड़ने पर कहा था कि हथियार निर्माता को नक्सलियों का संरक्षण प्राप्त है. साथ ही दुर्गम रास्ते वाले स्थान पर हथियार निर्माण करते है. ताकि पुलिस को पहुंचने में दिक्कत हो. बावजूद इसके सूचना पर पुलिस द्वारा रणनीति के तहत छापेमारी की जाती है.
पूर्व में भी पकड़ी गयी है मिनी गन फैक्टरी : ऋषिकुंड के बर्रा पहाड़ पर 11 जनवरी 2016 को भी पुलिस की टीम ने छापेमारी की थी. जहां से 9 मिनी गन फैक्टरी का उद्भेदन किया गया था. जबकि भारी मात्रा में अर्धनिर्मित पिस्टल व हथियार बनाने के उपकरण बरामद किये गये थे. टेंट लगा कर बर्रा पहाड़ पर हथियार निर्माण किया जा रहा था. 13 फरवरी 2017 को जब पुलिस ने ऋषिकुंड पहाड़ पर छापेमारी की तो वहां से पांच मिनीगन फैक्टरी का उद्भेदन किया गया.
कहते हैं पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक आशीष भारती बताया कि हाल के दिनों में जब अवैध हथियार निर्माण के विरुद्ध पुलिस ने शिकंजा कसा तो निर्माण करने व कराने वाले लोग पहाड़ी क्षेत्र में शरण लिये हैं. उनके विरुद्ध लगातार छापेमारी की जा रही है और पुलिस को सफलता भी मिली है.
यहां बनाया जाता है हथियार
खड़गपुर थाना क्षेत्र के वासदेव पहाड़, धरहरा थाना क्षेत्र के सौगना पहाड़, शामपुर थाना क्षेत्र के जलकुंड पहाड़, ऋषिकुंड पहाड़ और पाटम पहाड़ बिंद टोली, शामपुर थाना क्षेत्र के बर्रा पहाड़, पाटम पहाड़ पर अवैध हथियार का निर्माण कराया जा रहा है. ये सभी क्षेत्र पूरी तरह से नक्सल प्रभावित हैं. पुलिस सूत्रों की मानें तो यहां अवैध हथियार तैयार करने पर एक नियत रकम नक्सलियों को देनी पड़ती है. वहीं जरूरत पड़ने पर नक्सली अवैध हथियार निर्माताओं से लेवी के रूप में हथियार लेते हैं और अपने अत्याधुनिक हथियारों की मरम्मत भी कराते हैं.
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