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बाढ़ का पानी उतरने से पटरी पर लौटने लगी जिंदगी, एक माह बाद चंडिका स्थान में श्रद्धालुओं ने की पूजा

मुंगेर : जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित प्रसिद्ध चंडिका स्थान में करीब एक माह बाद रौनक लौटी. बाढ़ के कारण चंडिका स्थान में जलजमाव होने के कारण मंदिर में पूजा-पाठ बंद हो गया था. करीब एक माह बाद चंडिका मंदिर का पट खुलते ही मां के दर्शन को श्रद्धालु उमड़ […]

मुंगेर : जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित प्रसिद्ध चंडिका स्थान में करीब एक माह बाद रौनक लौटी. बाढ़ के कारण चंडिका स्थान में जलजमाव होने के कारण मंदिर में पूजा-पाठ बंद हो गया था. करीब एक माह बाद चंडिका मंदिर का पट खुलते ही मां के दर्शन को श्रद्धालु उमड़ पड़े. प्रसाद की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ मंगलवार की सुबह उमड़ने से इलाका एक बार फिर गुलजार हो गया. भक्ति भाव से श्रद्धालुओं ने मां चंडिका की पूजा अर्चना की.

मंदिर के प्रधान पुजारी नंदन बाबा ने बताया कि जिले में आयी बाढ़ का पानी मंदिर में प्रवेश कर जाने के कारण करीब एक माह से मां चंडिका के मंदिर का पट बंद था. मंदिर बंद होने के कारण पिछले करीब एक माह से पूजा नहीं हो रही थी. पिछले 48 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ कि नवरात्र में मां के दर्शन से श्रद्धालु वंचित रह गये थे. अब एक माह बाद मां चंडिका के मंदिर का पट खुलने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु गण पहुंच रहे हैं.

मालूम हो कि मुंगेर जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे चंडिका स्थान स्थित है. मंदिर के पूर्व और पश्चिम में श्मशान होने के कारण इसे ‘श्मशान चंडी’ भी कहा जाता है. नवरात्र के दौरान कई साधक तंत्र सिद्धि के लिए यहां जमा होते हैं. मान्यता है कि यहीं पर माता सती की बाईं आंख गिरी थी. इसलिए आंखों के असाध्य रोग से पीड़ित लोग यहां पूजा करने आते हैं. साथ ही यहां से काजल लेकर जाते हैं. चंडिका स्थान को एक प्रसिद्ध शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है.

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