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सड़ांध से हो रही परेशानी, पीड़ितों को गृहस्थी की सताने लगी चिंता

मुंगेर : बाढ़ का पानी अब लगभग सभी गांवों से निकल चुका है, पर प्रभावित इलाकों के हालात अभी जन-जीवन को बहाल करने की स्थिति में नहीं है. गांवों में जहां दलदल जैसी स्थिति बनी हुई है, वहीं पीड़ित परिवारों के घरों में गाद जमे हैं. इतना ही नहीं सैकड़ों परिवार के आशियानों का अब […]

मुंगेर : बाढ़ का पानी अब लगभग सभी गांवों से निकल चुका है, पर प्रभावित इलाकों के हालात अभी जन-जीवन को बहाल करने की स्थिति में नहीं है. गांवों में जहां दलदल जैसी स्थिति बनी हुई है, वहीं पीड़ित परिवारों के घरों में गाद जमे हैं. इतना ही नहीं सैकड़ों परिवार के आशियानों का अब कहीं अता-पता भी नहीं चल पा रहा है, जो गंगा के तेज बहाव में बह कर विलीन हो चुकी है़

इसके अलावे गंगा के जलस्तर में कमी आने के बाद अब सड़ांध ने परेशानी बढ़ा दी है. पीड़ित परिवारों के समक्ष अब न सिर्फ भोजन की समस्या है, बल्कि चूल्हे तक का भी फिर से इंतजाम करना होगा़ प्रकृति की विनाश लीला के बाद अब इन परिवारों को प्रशासनिक स्तर पर मिलने वाले राहत की ही आस रह गयी है़
पानी तो घट गया, बढ़ने लगी दूसरी समस्याएं: बाढ़ प्रभावित लगभग सभी गांवों से पानी अब निकल चुका है़ अब वैसे ही स्थान पर बाढ़ का पानी इकट्ठा रह गया है, जहां की भूमि गहरी व छिछली है़ वैसे तो घरों से बाढ़ का पानी निकलते ही लोग अपने घरों की ओर निकलने लगे हैं.
पर दियारा क्षेत्रों के पीड़ित परिवार अभी कुछ और दिन शिविरों में ही रहना चाहते हैं, ताकि उन्हें अपने घरों को व्यवस्थित करने का मौका मिल सके़ वहीं घरों के राशन को लेकर पीड़ित परिवार खासे चिंतित हैं. उन्हें यह समझ में ही नहीं आ रहा है कि अब फिर अपनी जिंदगी को कहां से आरंभ किया जाये़ उनके पास न तो खाद्यान्न है और न ही खाना पकाने के लिए चूल्हे़ कइयों को रहने का ठिकाना भी अब नहीं रहा़
बिना व्यवस्था के जाएं कहां: सीताचरण गांव निवासी बाढ़ पीड़ित क्षत्री सिंह, इंद्र देव सिंह, शत्रुघ्न सिंह, अच्छे लाल सिंह, पवन सिंह फूलेन सिंह ने करुण स्वर में बताया कि ” पानी घटला से की होयतै, नाय चूल्हा छै आरू नाय खाय लेलि कुछ अनाज, जे झोपड़ी में रहै रहियै, उहो भांसी गेलै, बिना व्यवस्था के अभी कहां जैबै़ ” पीड़ितों ने बताया कि जब तक रहने तथा खाने की व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक वे अपने गांव नहीं लौट सकते़ अभी गांव में हर जगह कीचड़ व गाद के कारण दलदल की समस्या बनी हुई है, जिसमें उनके मवेशियों के भी फंसने का डर है़
कार्तिक महीने के बाद ही आरंभ हो पायेगी खेती: जिला स्कूल में शरण लिये दियारा क्षेत्र के बाढ़ पीड़ित किरपू सिंह, बाल्मीकि सिंह, फकीरा यादव, तनकू यादव, दरोगी साव सहित अन्य ने कहा कि बाढ़ के कारण खेतों में लगी मकई, परबल, चीना, सब्जी व पशुचारा गंगा में डूब कर बर्बाद हो गया़ इस कारण से अब लगभग एक महीने तक तो मवेशियों को पशुचारा की घोर समस्या होगी़ वहीं कार्तिक महीने के बाद ही खेती आरंभ करने के बारे में सोचा जा सकता है.
बाढ़ का पानी घटने के बाद सड़ांध ने बढ़ाई परेशानी: पांच दिनों से गंगा के जलस्तर में लगातार कमी हो रही है. गंगा का जलस्तर अब खतरे के निशान से एक मीटर घट कर 38.34 मीटर तक पहुंच चुका है. किंतु जैसे-जैसे प्रभावित इलाकों से बाढ़ का पानी घटते जा रहा है, वैसे-वैसे इन इलाकों में सड़ांध की स्थिति बढ़ती ही जा रही है.
इस कारण स्थानीय लोगों को खुली हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है. बाढ़ के पानी में सड़ चुके फसल व कई मरे हुए जानवरों के दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. ऐसे क्षेत्रों में अविलंब ब्लीचिंग पाउडर के छिड़काव की जरूरत है. जल्द ही ऐसा नहीं किया गया तो फिर विजयनगर के तरह कई और जगहों पर महामारी जैसे स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
विभिन्न जगहों पर गंगा का जलस्तर
स्थान जलस्तर
मुंगेर 38.34 मीटर
भागलपुर 33.23 मीटर
कहलगांव 31.56 मीटर
साहेबगंज 27.72 मीटर
फरक्का 23.47 मीटर

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