मुंगेर : सरकार ने दो तरह के रसोई गैस की व्यवस्था की है. इसमें एक को घरेलू (सब्सिडी युक्त) तथा दूसरे को व्यावसायिक (सब्सिडी मुक्त) के दायरे में रखा गया है. इसके तहत यदि कोई घरेलू रसोई गैस का उपयोग उपने व्यावसाय में करता है, तो वह कानूनन अपराध है. इसके लिए दंड का प्रावधान भी तय है.
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सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडर पर एनजीओ का पकता है खाना
मुंगेर : सरकार ने दो तरह के रसोई गैस की व्यवस्था की है. इसमें एक को घरेलू (सब्सिडी युक्त) तथा दूसरे को व्यावसायिक (सब्सिडी मुक्त) के दायरे में रखा गया है. इसके तहत यदि कोई घरेलू रसोई गैस का उपयोग उपने व्यावसाय में करता है, तो वह कानूनन अपराध है. इसके लिए दंड का प्रावधान […]
पर सदर अस्पताल में मरीजों को भोजन उपलब्ध कराने वाला एनजीओ सारे नियम-कानून को ताक पर रख कर सरकार को राजस्व का चूना लगा रहा है. एनजीओ द्वारा घरेलू रसोई गैस सिलिंडर का उपयोग कर मरीजों के लिए भोजन पकाया जा जाता है. जबकि एनजीओ यहां एक व्यावसाय के तहत मरीजों को खाना उपलब्ध करा रहा है, जिसके एवज में एनजीओ को तय राशि का भुगतान भी किया जाता है.
सब्सिडी वाले रसोई गैस से हो रहा व्यवसाय
सदर अस्पताल में एनजीओ द्वारा मरीजों को भोजन आपूर्ति के व्यावसाय में सब्सिडी वाले गैस का उपयोग बेरोक-टोक किया जा रहा है.
इस संबंध में प्रभात खबर ने पूर्व में भी कई बार प्रमुखता के साथ समाचार प्रकाशित कर किया था. बावजूद अस्पताल प्रशासन द्वारा अब तक एनजीओ के इस अवैध कारोबार को नहीं रोका गया है. मालूम हो कि गैर सब्सिडी वाले रसोई गैस की जगह पर सब्सिडी वाले रसोई गैस का उपयोग करने पर जितना दोषी एनजीओ है, उससे कम दोषी अस्पताल प्रशासन भी नहीं है. क्योंकि अस्पताल प्रशासन सबकुछ जानते हुए भी एनजीओं के इस अवैध कारोबार पर चुप्पी साधे है.
क्या है कानूनन प्रावधान
अवैध रूप से घरेलू गैस सिलिंडर को वाहनों के लिए बेचने, छोटे सिलिंडर में भरने, होटलों व अन्य प्रकार के व्यावसायिक रूप से उपयोग करने व खाना पकाने के अतिरिक्त अन्य कार्यों में घरेलू गैस का उपयोग किया जाना द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (प्रदाय एवं वितरण विनियमन) आदेश-2000 का उल्लंघन है. अत्यावश्यक वस्तु अधिनियम-1955 के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर प्रतिष्ठान स्वामी व संस्था की जब्त शुदा सामग्री राजसात करने और जुर्माना लगाने के साथ सजा का भी प्रावधान है.
कहते हैं सदर अस्पताल अस्पताल उपाधीक्षक
मामले में अस्पताल उपाधीक्षक डॉ सुधीर कुमार ने कहा कि एनजीओ से कोई हमदर्दी नहीं है. यदि वह सब्सिडी वाले रसोई गैस का उपयोग मरीजों के भोजन पकाने में करता है, तो निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी. वे खुद से मामले की जांच करेंगे.
मानक को पूरा नहीं कर रहा एनजीओ
मरीजों को भोजन उपलब्ध कराने का मतलब यह नहीं है कि एनजीओ सारे नियम-कानून तथा सावधानियों को ताक पर रख कर अपना व्यावसाय करे. सदर अस्पताल के जिस भवन में एनजीओ द्वारा भोजन पकाया जाता है, उस भवन में रसोई के मानकों की काफी अनदेखी की जा रही है. एनजीओ द्वारा रसोई गैस पर खाना पकाने के बावजूद यहां फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. ऐसे में यदि यहां अगलगी की कोई घटना हो जाय तो फिर आग बुझाना मुश्किल हो जायेगा.
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