मुंगेर : दियारा क्षेत्रों में पिछले कई दशकों से लगातार हो रही अगलगी की घटनाओं पर विराम नहीं लग पा रहा है. एक साल भी ऐसा नहीं गुजरता है, जिस साल दियारा क्षेत्र में भीषण अग्निकांड नहीं हुआ हो.
हर बार अगलगी की घटना के बाद प्रशासनिक स्तर पर पीड़ितों को राहत के नाम पर कुछ राशि उपलब्ध करा दी जाती है. लेकिन न तो प्रशासन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया जाता है और न ही इस तरह के आपदा के रोकथाम के लिए कोई मुकम्मल व्यवस्था की जाती है.
जिसके कारण दियारा क्षेत्रों में आगजनी जैसी अपदा थमने का नाम ही नहीं ले रही है. हाल यह है कि दियारा क्षेत्र में तेज हवा उठते ही अगलगी की आशंका को लेकर दियारावासी दहशत में आ जाते हैं. वैसे तो पूरा मुंगेर ही आपदा जोन में आता है. किंतु मुंगेर जिले का दियारा क्षेत्र अब अगलगी का डेंजरजोन बन चुका है.
एक भी साल ऐसा नहीं गुजरता है, जिस साल अग्निकांड में दियारा क्षेत्र में कम से कम 500 घर जल कर राख नहीं हुआ हो. मालूम हो कि वर्ष 2013 में कुतलुपुर दियारा के बहादुर नगर में हुई भीषण अग्निकांड में 500 से अधिक घर जल कर राख हो गये थे. वर्ष 2014 में टीकारामपुर दियारा का भेलवा तथा जयमंगल पासवान टोला अगलगी की घटना में पूरी तरह से तबाह हो गया था.