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बिना डॉक्टर के पूरी हो गयी नाइट शिफ्ट सुबह भी नहीं पहुंचे चिकित्सक, हंगामा
मुंगेर : सुरक्षित प्रसव को लेकर सरकार कई योजनाएं चला रखी है और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा. लेकिन मुंगेर में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था सुरक्षित प्रसव को पूरी तरह नकार रहा. सदर अस्पताल का प्रसव वार्ड शनिवार की शाम से रविवार की सुबह तक बिना चिकित्सक के ही चलता रहा. रात्रि में […]
मुंगेर : सुरक्षित प्रसव को लेकर सरकार कई योजनाएं चला रखी है और संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा. लेकिन मुंगेर में स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था सुरक्षित प्रसव को पूरी तरह नकार रहा. सदर अस्पताल का प्रसव वार्ड शनिवार की शाम से रविवार की सुबह तक बिना चिकित्सक के ही चलता रहा. रात्रि में तो चिकित्सक के गैर मौजूदगी में स्टाफ नर्सों द्वारा जैसे-तैसे गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया गया.
किंतु सुबह होते ही कोई अपने मरीज को डिस्चार्ज करवाने, तो कोई गंभीर प्रसूता को चिकित्सक से दिखाने के लिए परेशान होने लगे. जब काफी देर तक यहां चिकित्सक नहीं पहुंचे तो परिजनों ने प्रसव केंद्र में हंगामा करना शुरू कर दिया. जिसके बाद सिविल सर्जन, अस्पताल उपाधीक्षक तथा डीपीएम पहुंचे और मामले को शांत कराया.
चिकित्सक के नहीं रहने पर परिजनों ने किया हंगामा: प्रसव केंद्र में सुबह के शिफ्ट में डॉ निर्मला गुप्ता की ड्यूटी थी. किंतु एक घंटा बीत जाने के बाद भी जब कोई चिकित्सक प्रसव केंद्र नहीं पहुंचे तो वहां पर भर्ती प्रसूति व गर्भवती महिलाओं के परिजन काफी हंगामा करने लगे. इसी बीच धरहरा निवासी शंभु दास ने सिविल सर्जन व अस्पताल उपाधीक्षक को फोन पर बताया कि उसकी पत्नी का धरहरा पीएचसी में सुबह 4 बजे ही प्रसव हुआ है. जिसके बाद उसे रक्तस्त्राव हो रहा है. वहां के चिकित्सक ने उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल रेफर कर दिया. किंतु यहां तो कोई चिकित्सक ड्यूटी पर मौजूद ही नहीं हैं. सीएस व डीएस को फोन करने के बाद भी जब कोई चिकित्सक प्रसव केंद्र नहीं पहुंचे तो परिजनों ने जिला स्वास्थ्य प्रबंधक को फोन पर इसकी सूचना दी. जिसके कुछ ही देर बाद डीपीएम प्रसव केंद्र पहुंचे. उन्होंने वहां पर देखा कि कई लोग अपने मरीज को डिस्चार्ज करवाने के लिए चिकित्सक का इंतजार कर रहे हैं तथा कई गंभीर अवस्था में चिकित्सक के आने की राह देख रहे. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए वे इमरजेंसी वार्ड में मौजूद चिकित्सक डॉ आसीम कुमार से आग्रह किया कि जब तक संबंधित चिकित्सक प्रसव केंद्र नहीं पहुंच जाते हैं, तब तक वे चल कर मरीजों को डिस्चार्ज कर दें तथा कुछ गंभीर मरीजों को भी देख लें. किंतु डॉ आसीम कुमार ने डीपीएम के आग्रह को दूसरे रूप में ले लिया तथा सीधा जबाव दे दिया कि वे सिर्फ इमजरेंसी वार्ड के मरीजों को ही देखेंगे.
10:45 बजे प्रसव केंद्र पहुंची चिकित्सक: डीपीएम द्वारा स्थिति की जानकारी दिये जाने के बाद सुबह 10 बजे सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ तथा अस्पताल उपाधीक्षक डॉ राकेश कुमार सिन्हा प्रसव केंद्र पहुंचे. जहां दोनों ने पाया कि शनिवार की शाम तथा रात्रि में जिन महिलाओं का प्रसव कराया गया है, उसे डिस्चार्ज तक नहीं किया गया है तथा धरहरा निवासी शुभू दास की पत्नी नीलू देवी का ब्लडिंग के कारण हालत काफी गंभीर हो रहा है़ अस्पताल उपाधीक्षक के कहने पर डॉ निर्मला गुप्ता को प्रसव केंद्र बुलाया गया. जिसके बाद प्रसूति का इलाज आरंभ हो पाया. वहीं रात्रि में हुए प्रसव से संबंधित प्रसूताओं को डीएस ने खुद से ही डिस्चार्ज किया.
पूर्व में जा चुकी है गर्भवती की जान: चिकित्सक की लापरवाही तथा अस्पताल प्रशासन की उदासीनता के कारण पूर्व में यहां पर कई गर्भवती महिला तथा जच्चे-बच्चे की जान जा चुकी है़ पिछले फरवरी माह में ही सलेमपुर सुतुरखाना निवासी सुजीत शर्मा की पत्नी खुशबू देवी की जान चिकित्सक के गैरमौजूदगी के कारण हुई थी. जिसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी उदय कुमार सिंह ने जांच टीम गठित की तथा मरीज मित्र कार्यक्रम आरंभ कर वे लगातार सदर अस्पताल का अपडेट लेने लगे थे. किंतु अब फिर से वही स्थिति उत्पन्न हो गयी है. जिस पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो यहां पर खुशबू के घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है़
बिना चिकित्सक का पूरा हुआ नाइट शिफ्ट
स्वास्थ्य मानकों के अनुसार हर हाल में प्रसव की प्रक्रिया चिकित्सक की देखरेख में होनी चाहिए. ताकि प्रसव के दौरान किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति से निबटा जा सके. ऐसा नहीं करने पर कई बार प्रसव के दौरान जच्चे-बच्चे की मौत भी हो जाती है़ सदर अस्पताल का प्रसव केंद्र इस तरह की घटनाओं को लेकर सुर्खियों में रहा है़ बावजूद इन दिनों प्रसव केंद्र में चिकित्सक के गैर मौजूदगी में ही महिलाओं के प्रसव कराने का कार्य किया जा रहा है़ शनिवार की पूरी रात प्रसव केंद्र बिना चिकित्सक के ही संचालित होते रहा. इस दौरान स्टाफ नर्स के भरोसे ही महिलाओं का प्रसव कार्य होते रहा. स्टाफ नर्स खुद ही मरीज के पुर्जे पर दवा, सूई व स्लाइन लिखती जा रही थी. जबकि ऐसा करना पूरी तरह से गलत है़ स्टाफ नर्स की जरा सी चूक से महिलाओं की जान भी जा सकती थी.
कागज पर ड्यूटी करते हैं चिकित्सक
सदर अस्पताल के प्रसव केंद्र में इन दिनों पूरी तरह से कागज पर ही ड्यूटी संचालित हो रही है़ अस्पताल प्रशासन ने प्रसव केंद्र के लिए 1 मार्च को जो रोस्टर जारी किया था. उसमें डॉ मंजुला रानी, डॉ निर्मला गुप्ता, डॉ नाज बानों, डॉ गोविंद तथा डॉ आसीम कुमार को शामिल किया गया था. जिससे तीनों शिफ्ट में चिकित्सकों की व्यवस्था रहनी है. किंतु कुछ ही दिन बाद सिविल सर्जन ने तारापुर अनुमंडलीय अस्पताल से आयी महिला चिकित्सक डॉ नाज बानों को प्रसव केंद्र से रिलीज कर दिया तथा अस्पताल उपाधीक्षक ने भी डॉ आसीम को प्रसव केंद्र से हटा कर इमरजेंसी वार्ड में दे दिया. जिसके बाद फिर से प्रसव केंद्र में तीन चिकित्सकों की ड्यूटी लगायी जा रही है. किंतु चिकित्सक वहां पर सिर्फ रजिस्टर व मरीज के पुरजे पर हस्ताक्षर करने के कुछ देर के लिए पहुंचते हैं. फलत: बिना महिला चिकित्सक के ही प्रसव कार्य संचालित हो रहा है.
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