Motihari: तुरकौलिया. तुरकौलिया पूर्वी पंचायत के कवलपुर गांव के राजेश्वर प्रसाद 36 वर्षों से छठ का व्रत करते आ रहे हैं. राजेश्वर प्रसाद ने बताया कि जब वह करीब 10 वर्ष के थे तो उनकी मां छठ व्रत करने के लिए पांच घरों से भिक्षा मांगकर लाई थी. पांच घरों से भिक्षा में रुपये मिले थे. मिले रुपये को उसकी मां घर में रखी थी. ताकि छठ का सामान खरीद सके. मां को रुपया घर मे रखते उन्होंने देख लिया था. उक्त रुपये बिना किसी से कहे निकाल उन्होंने खर्चा कर दिया. जब मां सामान खरीदने के लिए पैसा निकालने गई तो पैसा नहीं था. जब मां ने रखे पैसा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि पैसा खर्च कर दिए हैं. इस पर मां गुस्सा होकर उसकी पिटाई की थी. छठ व्रत के पांच दिन पहले उसके पैर में बड़ा घाव निकल गया. बहुत दवा सुई कराया गया लेकिन घाव ठीक नहीं हो रहा था. इसी तरह दिन बीतता गया एक दिन उसकी मां रात में सोई हुई थी. सपने में छठी मईया आई और बोली कि तुम अपने पुत्र से छठ का व्रत कराओ. छठ व्रत करने से उसका घाव ठीक हो जाएगा. मां जब सुबह में घर वाले से सपने के बारे में बताई तो सब लोग हैरान थे. उसके अगले साल से पांच साल तक उन्होंने भूखे प्यासे रहकर अपने घर से एक किलोमीटर दूर स्थित बैरिया छठ घाट तक दंड (भुईपरी) दिया. साथ ही सुबह शाम को घंटों तक पानी मे खड़े रहे. ऐसा करने से उनके पैर का घाव ठीक हो गया. इसके बाद वे लगातार वर्ष 1988 से छठ व्रत करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब से वे छठ का व्रत कर रहे हैं तब से घर के सभी लोग सुखी सम्पन्न है. आज उन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.
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