मोतिहारी. न्यूनतम तापमान में गिरावट होने के कारण लोगों की सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. सुबह और शाम में बढ़ी हुई नमी और दिन में धूप के कारण सर्दी-खांसी और बुखार जैसी मौसमी बीमारियों के मामले जिले में तेजी से बढ़ रहे हैं. वायरल संक्रमण का भी प्रकोप बढ़ गया है. बुखार ठीक होने के बाद भी गले में संक्रमण और खांसी की समस्या लोगों को परेशान कर रही है. पीड़ितों का कहना है कि खांसी का सिलसिला लगभग 10 दिनों तक बना रहता है, जिसका स्वास्थ्य पर काफी असर दिख रहा है.
एंटीबायोटिक के साथ लोग गंवई नुख्शा मात्रा के अनुसार हल्दी – दूध व तुलसी के पता का काढ़ा को भी फायदेमंद बता रहें है. सदर अस्पताल हो या रेफरल तथा निजी क्लिनिक ओपीडी में खांसी और गले में दर्द से परेशान मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. डॉक्टर्स के अनुसार, तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण सीजनल वायरल बीमारियों के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. इन रोगों में बुखार, खांसी, सिरदर्द, जुकाम और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याएं आम हैं.डॉक्टरों के अनुसार, लगभग हर चौथे पांचवे घर में मौसमी बीमारियों के मरीज पाए जा रहे हैं. प्रमुख अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या 35 से 40 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है. मेडिसिन विभाग में रोजाना 50 से 100 मरीज गले में दर्द और खांसी की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं.
पैरा-इन्फ्लूएन्जा वायरस से बढ़ रही परेशानी
जिले में आजकल वायरल फीवर और पैरा इन्फ्लूएंजा वायरस के मरीज लगातार बढ़ते जा रहा है. वायरल बुखार अक्सर इन्फ्लूएंजा या पैरा इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है, जो हवा के जरिए शरीर में प्रवेश करता है. इस वायरस से गले में खराश, जुकाम और सिरदर्द जैसी समस्याएं होती है.
डॉक्टर्स ने दी सलाह
वायरल बीमारियों से बचाव के लिए ठंडी चीजों से बचना चाहिए और दवाइयां लेने पर 3-4 दिनों में आराम मिल जाता है. फास्ट फूड के सेवन से भी बचें पीड़ित.
डॉ आशुतोष शरण, चिकित्सकमरीजों ने कहा-
सात दिनों से गले में दर्द और खांसी हो रही है. शुरुआत में मेडिकल स्टोर से दवाइयां ली, लेकिन आराम नहीं मिला. फिर सदर अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया है.
लालबाबू प्रसाद, सुगौलीबुखार के बाद जॉइंट पेन, सर्दी और गले में दर्द हो रहा है. डॉक्टर ने मौसमी बीमारी बताकर दवाइयां दी हैं. डॉक्टर का कहना है कि म. अनवर ,छतौनी
बुखार ठीक होने के बाद गले में संक्रमण की समस्या हो गयी है. डॉक्टर ने बताया कि जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण लोग बीमार हो रहे हैं,सावधानी के साथ ईज जरूरी.सुरेश प्रसाद, जीवधारा
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