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Motihari: जांच में साइबर गैंग में 500 फाइटर्स के मिले सुराग

गोलू कुमार व उसके पिता भूषण चौधरी के गिरफ्तारी के बाद उत्तरप्रदेश के बलरामपुर पुलिस व साइबर सेल की जांच में सस्पियर साइबर गैंग की परतें लगातार खुल रही हैं.

Motihari: घोड़ासहन. स्थानीय बाजार के गोलू कुमार व उसके पिता भूषण चौधरी के गिरफ्तारी के बाद उत्तरप्रदेश के बलरामपुर पुलिस व साइबर सेल की जांच में सस्पियर साइबर गैंग की परतें लगातार खुल रही हैं. जांच एजेंसियों को अब तक इस गैंग के करीब 500 फाइटर्स होने के ठोस सुराग मिले हैं. ये फाइटर्स देश के अलग-अलग जिलों में बैठकर लोनिंगॉलोअप एप्स के जरिये लोगों को अवैध जाल में फंसाते थे और वसूली गई रकम म्यूल अकाउंट्स में डालकर सरगना तक पहुंचाते थे. पुलिस के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में सक्रिय सदस्य होने से यह नेटवर्क देश के सबसे बड़े साइबर फ्रॉड मॉड्यूल्स में से एक है. पूर्व में बीते 26 जुलाई के गिरोह के सरगना सस्पियर और उसके पांच साथियों की दिल्ली में गिरफ्तारी से अहम सुराग मिले थे. जिसके आधार पर घोड़ासहन के दो और आरोपी गोलू कुमार व उसके पिता भूषण चौधरी सोमवार को गिरफ्तार किए गए. इनसे अहम जानकारी मिली है, जिसके आधार पर अब आगे की जांच हो रही है.

दिल्ली, राजस्थान से लेकर बिहार-नेपाल सीमा पर बनाए ठिकाने

सूत्रों के मुताबिक, गिरोह ने यूपी के अलावा दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में फाइटर्स की टीमें तैनात कर रखी थीं. वहीं, बिहार में नेपाल सीमा से सटे मोतिहारी, रक्सौल और सीतामढ़ी इलाके में इनके ठिकाने मिले हैं. यह पूरा इलाका इनके लिए सुरक्षित कॉरिडोर की तरह इस्तेमाल किया जाता था. सीमा पार से भी इन्हें सहयोग मिल रहा था, जिससे ठगी के पैसे को आसानी से क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेजा जा सके. बलरामपुर पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की है. एएसपी, सीओ और साइबर थाने की टीम इसमें शामिल हैं. अब तक दो दर्जन से अधिक संदिग्ध फाइटर्स की सूची तैयार कर ली गई है और कई जिलों में दबिश दी जा रहा है. पुलिस का कहना है कि यह गैंग केवल आर्थिक अपराध तक सीमित नहीं था बल्कि इनकी गतिविधियों का सीधा संबंध टेरर फंडिंग से है.

नेपाल कनेक्शन पर निगाह

जांच टीम का मानना है कि नेपाल सीमा से सटे इलाके इस गिरोह के लिए सुरक्षित अड्डे थे. यहां से न केवल ठगी की रकम विदेश भेजी जाती थी बल्कि कई फाइटर्स यहीं से ऑपरेट करते थे. नेपाल-भारत बॉर्डर की खुली आवाजाही का फायदा उठाकर गैंग ने अपने नेटवर्क को सुरक्षित रखा. यही वजह है कि जांच एजेंसियां अब नेपाल कनेक्शन की कड़ी पड़ताल कर रही हैं.

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