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Madhubani News : हड़ताल पर डॉक्टर के जाने से ओपीडी सेवा ठप, बिना इलाज लौटे मरीज

चिकित्सकों ने बायोमेट्रिक से उपस्थित नहीं बनाने सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को सदर अस्पताल से लेकर एपीएचसी तक ओपीडी कार्य का बहिष्कार किया.

मधुबनी.

बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के राज्य स्तरीय निर्देश के आलोक में जिला के चिकित्सकों ने बायोमेट्रिक से उपस्थित नहीं बनाने सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को सदर अस्पताल से लेकर एपीएचसी तक ओपीडी कार्य का बहिष्कार किया. इसके कारण ओपीडी में इलाज के लिए आने वाले मरीजों बिना इलाज लौटना पड़ा. हालांकि सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, सीएचसी एवं पीएचसी में इमरजेंसी सेवा पूर्व की भांति संचालित हुआ. सदर अस्पताल में इमरजेंसी, एसएनसीयू , प्रसव कक्ष एवं जिले में संचालित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में मरीजों का इलाज जारी रहा. सिविल सर्जन डाॅ. हरेंद्र कुमार ने गुरुवार को ओपीडी, इमरजेंसी, प्रसव कक्ष, एसएनसीयू सहित भर्ती वार्ड का निरीक्षण किया. इस क्रम में सिविल सर्जन ने ओपीडी में इलाज के लिए आने मरीजों को इमरजेंसी में जाकर इलाज कराने के लिए निर्देशित किया.

चिकित्सकों के हड़ताल के कारण आमलोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. 71 वर्षीय वौवे लाल, आदित्य कुमार, संतोष कुमार, मो. सुलेमान सहित कई मरीजों ने कहा कि हड़ताल के कारण घर से आने जाने का पैसा भी बर्बाद हुआ और इलाज भी नहीं हुआ. भासा के जिला सचिव डॉ कुणाल कौशल ने बताया कि भासा की बैठक में निर्णय के आलोक में 27, 28 एवं 29 मार्च तक कार्य वहिष्कार का निर्णय लिया गया है. सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने चिकित्सकों से कार्य बहिष्कार को वापस लेने लेने का अनुरोध किया है. ताकि मरीजों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल सके. इसके साथ ही चिकित्सकों द्वारा आहूत हड़ताल के संबंध में उपसचिव स्वास्थ्य को पत्र देकर उचित मार्गदर्शन की माग की है.

बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ के जिला सचिव डा. कुणाल कौशल ने दर्जनों चिकित्सकों के हस्ताक्षर युक्त 6 सूत्री मांगों का ज्ञापन डीएम अरविंद कुमार वर्मा को सौंपा है. चिकित्सकों की मांगों के संबंध में डाॅ. कौशल ने कहा कि चिकित्सा सेवा एक आकस्मिक सेवा है. इस सेवा में कार्य करने वाले चिकित्सकों के कार्य अवधि का निर्णय अब तक नहीं होता हो सका है. बायोमेट्रिक उपस्थिति की समय सीमा पालन करने पर कई कार्य नहीं हो सकेगा. चिकित्सा जैसी आकस्मिक सेवा होने के बावजूद इस विभाग में पदाधिकारी एवं कर्मचारियों को आवासीय सुविधा अस्पताल परिसर में उपलब्ध नहीं है. इसके कारण बायोमेट्रिक उपस्थिति की समय सीमा का पालन करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा. विभाग में पदाधिकारी एवं कर्मचारी के स्वीकृत बल के विरुद्ध कार्यरत बल आधे से भी कम है. जिला में चिकित्सा पदाधिकारी क 600 स्वीकृत पद के विरुद्ध वर्तमान में 150 चिकित्सा पदाधिकारी ही कार्यरत है. इसके कारण चिकित्सा पदाधिकारी पर कार्य का भार दो गुना से भी अधिक है. चिकित्सकों को कई क्षेत्रीय कार्य भी करना होता हैं. इसमें कभी-कभी सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी जाना होता है. इसके लिए बहन भी उपलब्ध नहीं हो पता है, ऐसे में बायोमेट्रिक उपस्थिति का पालन करना मुश्किल है. बिहार स्वास्थ्य सेवा संघ द्वारा अपर मुख्य सचिव से अन्य कई मुद्दों के अलावा बायोमेट्रिक उपस्थिति से दूर रखने का आग्रह किया गया है. वर्तमान में यह मामला अपर मुख्य सचिव के समक्ष विचाराधीन है.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन :

मरीजों की भीड़ को देखते हुए सिविल सर्जन डॉक्टर हरेंद्र कुमार ने सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया अस्पताल का निरीक्षण के दौरान कहा कि चिकित्सकों ने अपनी मांगों और बायोमैट्रिक अटेंडेंस के खिलाफ हड़ताल पर हैं. इसके कारण ओपीडी सेवाएं बंद हैं. हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू है. उन्होंने बताया कि चिकित्सकों को कहा गया है,कि अपनी हड़ताल समाप्त कर ओपीडी सेवाएं चालू करते हुए मरीजों को उचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. अन्यथा चिकित्सकों पर विभागीय कार्रवाई भी हो सकती हैं. इस अवसर पर भासा के अध्यक्ष सिविल सर्जन डा. हरेंद्र कुमार, कार्यकारी अध्यक्ष डा. एस एन झा, सचिव डा. कुणाल कौशल, डा. रामनिवास सिंह, डॉ संजीव कुमार, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉ विनय कुमार, डॉक्टर मेराज अशरफ, डॉ राजीव रंजन, डा. श्रवन कुमार, डॉ विनोद कुमार, डा. राजकुमार पाठक, डा. विक्रम सिंह, डॉ ज्वाला, डा रागिनी कुमारी, डा. महारानी कुमारी सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे.

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