मधुबनी.
स्वास्थ्य विभाग एइएस व जेइ के संभावित खतरों से निपटने के लिए अलर्ट मोड में है. इसके लिए सोमवार को पीकू सभागार में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह की अध्यक्षता में एइएस के एसओपी 2024 व मस्तिष्क ज्वर की मार्गदर्शिका से संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं एक-एक चिकित्सा पदाधिकारी को एईएस व जेई से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण डॉ. सतीश कुमार एवं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने दिया. डॉ. सिंह ने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर का कुशल प्रबंधन जरूरी है. प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से जान – माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारी व स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.अप्रैल से मई का महीना बेहद संवेदनशील
डीवीडीसी साधना कुमारी ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर माह में बासोपट्टी प्रखंड में जेई का एक मरीज प्रतिवेदित हुआ था. इसके लिए सतर्कता जरूरी है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से लेकर मई का महीना रोग के प्रसार के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है. यह रोग खासतौर पर 1 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है. कुपोषित बच्चे, वैसे बच्चे जो बिना भरपेट भोजन किये रात में सो जाते हों, खाली पेट कड़ी धूप में लंबे समय तक खेलने, कच्चे व अधपके लीची का सेवन करने वाले बच्चों को यह रोग आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है. उन्होंने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर के संभावित खतरे से प्रभावी तौर पर निपटने के लिये स्पष्ट दृष्टिकोण विकसित करना प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य है. उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को प्रशिक्षण से प्राप्त जानकारी ग्रामीण स्तर पर कार्यरत एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जीविका दीदियों से साझा करने को कहा.रोगग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी
डॉ. डीएस सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को रोग प्रबंधन व उपचार से संबंधित जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सिर में दर्द, तेज बुखार, अर्ध चेतना, पहचानने कि क्षमता नहीं होना, भ्रम कि स्थिति में होना, बेहोशी शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एइएस व जेइ के सामान्य लक्षण हैं. ठीक नहीं होना मस्तिष्क ज्वर के महत्वपूर्ण लक्षण हैं. इन लक्षणों के प्रकट होने से पहले बुखार हो भी सकता है, और नहीं भी. ऐसे मामले सामने आने पर रोग ग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी है. इसके लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर सभी चिकित्सा संस्थानों में रोग के उचित प्रबंधन के उद्देश्य से एईएस इमरजेंसी ड्रग किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. डीवीबीडीसीओ ने रोग से संबंधित गंभीर मामले सामने आने पर जरूरी उपचार के साथ उन्हें तत्काल एंबुलेंस उपलब्ध कराते हुए उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर करने का निर्देश दिया. ताकि रोगी का समय से समुचित इलाज संभव हो सके. प्रशिक्षण में जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा.डीएस सिंह, डा. सतीश कुमार, अधीक्षक सदर अस्पताल, उपाधीक्षक अनुमंडलीय अस्पताल, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं चिकित्सा पदाधिकारी शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है