मधुबनी.
दो दिवसीय सौराठ महोत्सव में गुरुवार की देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मिथिला के प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने गायकी से लोगों का दिल जीत लिया. मिथिला रत्न कुंज बिहार मिश्र के गाये गीत पर दर्शक झूम उठे. कुंज बिहारी मिश्र के गाये गीत ‘’गुमान छी ई हमरा हम छी मिथिला के …’’ पर दर्शक ताली बजाने को मजबूर हो गये. इस गीत ने लोगों को मिथिला के होने पर गौरवान्वित किया. वहीं सिया सुकुमारी मिथिला के दुलारी एवं मिथिला के मैथिल मस्त मस्त गीत ने समां बांध दिया्. इसके बाद एक के बाद एक कलाकारों की प्रस्तुति ने लोगों का दिल जीत लिया. घंटों लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद उठाते रहे.इंडियन आइडल फेम जय झा भी पहुंचे
कार्यक्रम के दौरान देश भर में अपनी गायकी की धुम मचाने वाले कलाकार जय झा, अपूर्वा भी पहुंचे. इन लोगों के गीत सुनने के लिये काफी संख्या में दर्शक आये. जय झा के गाये गीत पर लोगों ने जमकर ताली बजायी. वहीं प्रमुख हास्य उद्धोषक रामसेवक ठाकुर ने चिर परिचित अंदाज में अपनी उद्घोषणा से लोगों को बांधे रखा. लोगो ने उनकी प्रस्तुति की जमकर तारीफ की.
कई कलाकार हुए शामिल
भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. प्रसिद्ध मैथिली कलाकार मिथिला रत्न कुंज बिहारी मिश्रा, निखिल महादेव झा, सोनी चौधरी झा, मोनी श्रीवास्तव, डॉली सिंह, रुपेश सिंह, पुनीता शर्मा, सोज टॉपर के कलाकारों ने अपने सुमधुर गीत नृत्य से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. कलाकारों के गीत नृत्य पर दर्शकों ने जमकर तालिया बजायी कार्यक्रम में रामसेवक ठाकुर एव मुस्कान झा ने उद्घोषक की भूमिका में मंच संचालन किया.
दिन भर चला कार्यक्रम का दौर
शुक्रवार को समारोह के दूसरे दिन कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया. प्रमुख तौर पर इस कार्यक्रम में पंजी प्रथा पर सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें उपस्थित वक्ताओं ने पंजी प्रथा की महत्ता व इसके इतिहास को लेकर व्यापक रुप से बातें की. पंजीकारों की मेहनत व उनके पंजी संरक्षण की लोगों ने तारीफ की. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत महाविद्यालय के कुलपति लक्ष्मी निवास पांडेय, पूर्व कुलपति कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत महाविद्यालय,आचार्य रामचंद्र झा, देवनारायण झा, पूर्व कुलपति कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत महाविद्यालय दिलीप कुमार झा, विभाग अध्यक्ष, धर्मशास्त्र कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत महाविद्यालय पंजीकार,प्रमोद मिश्र, देवेंद्र मिश्र,बटुक नाथ झा,विश्व मोहन चंद्र मिश्र, मणि कांत मिश्र जयानंदन झा, सुमित कुमार मिश्र आदि ने अपने अपने विचार रखे. लोगों ने कहा कि पंजी प्रथा हमारे सदियों पुराने गौरवशाली इतिहास को दर्शाता है. यह हमारे पूर्वजों के अपने संस्कृति के प्रति सजग रहने का भी एक साक्ष्य है. कार्यक्रम के दौरान मिथिलाक्षर सेमिनार में आशीष मिश्र, ब्रह्मानंद झा, दीपक कुमार झा, संजय झा, संजय मिश्र, संगीता मिश्र आदि ने भाग लिया. इसके बाद कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. जबकि पेंटिंग एवं क्वीज का भी आयोजन किया गया. देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. दूसरे दिन के कार्यक्रम में जूली झा, सौम्या मिश्रा, ज्योति प्रिया, रुबी झा, आलोक भारती, प्रिय प्रशांत झा, साक्षी मिश्र, राजनीति रंजन, मुस्कान झा, शंभू शिखर, शिखा सिंह राजपूत एवं सावन ने भव्य प्रस्तुति दी.
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