मिथिला चित्रकला संस्थान के सभागार में कलाकारों ने रखे विचार मधुबनी . मिथिला चित्रकला संस्थान में मंगलवार को कला प्रदर्शनी विषय पर व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया. व्याख्यान श्रृंखला का उद्घाटन संस्थान के प्रभारी उप-निदेशक नीतीश कुमार, व्याख्याता कला विशेषज्ञ सुनील कुमार, संस्थान के प्रभारी उप-निदेशक वरीय आचार्य पद्मश्री बौआ देवी एवं आचार्य शिवन पासवान ने किया. व्याख्यान श्रृंखला के प्रारंभ में संस्थान के कनीय आचार्य डा. रानी झा ने व्याख्यान श्रृंखला के महत्व को गंभीरता से सुनने एवं समझने की संस्थान के सभी छात्र-छात्राओं से अपील की. कनीय आचार्य प्रतीक प्रभाकर ने व्याख्याता सुनील कुमार के संबंध में परिचय कराते हुए कहा कि फोक आर्टोपीडिया व बिहार के पहले कला-शिक्षा स्टार्ट-अप फोक आर्ट्स इंडिया ओपीसी प्राइवेट लिमिटेड पटना के संस्थापक है. साथ ही लोक, पारंपरिक एवं जनजातीय कला के क्षेत्र में सक्रिय सांस्कृतिक कार्यकर्ता, कला अभिलेखपाल और कला शोधकर्ता बिहार की लोक कलाओं के व्यापक प्रलेखन का कार्य इन्होंने किया है. कला विशेषज्ञ सुनील कुमार ने कला प्रदर्शनी विषय पर व्याख्यान में कहा कि कला प्रदर्शनी वह मंच है जहां कलाकार अपनी रचनात्मक कृतियों को लोगों, कला समीक्षकों और संग्रहकर्ताओं के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. इसका उद्देश्य कला दीर्घाओं, संग्रहालयों, सांस्कृतिक केंद्रों या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर कला का प्रचार-प्रसार, कलाकारों को पहचान दिलाना व दर्शकों को कला से जोड़ने का माध्यम है. उन्होंने कला प्रदर्शनी के विभिन्न प्रकारों जैसे एकल कला प्रदर्शनी, दो कलाकारों द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी, ग्रूप प्रदर्शनी, थीम आधारित प्रदर्शन, ऑनलाइन कला प्रदर्शनी के बारे में विस्तार से समझाया. उन्होंने क्यूरेटर के परिचय एवं भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि क्यूरेटर वह विशेषज्ञ व्यक्ति होता है जो कला प्रदर्शनी, संग्रहालय या गैलरी में प्रदर्शित की जाने वाली कलाकृतियों का चयन, आयोजन और प्रस्तुति करता है. क्यूरेटर कला और दर्शकों के बीच सेतु का काम करता है. उन्होंने कई नामचिन कलाकारों का जिक्र करते हुऐ देश-विदेश के प्रसिद्ध कला प्रदर्शनियों के बारे में जानकारी दी. इस आयोजन में संस्थान के त्रि-वर्षीय डिग्री कोर्स के सभी सत्रों के छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया. विद्यार्थियों ने संवाद सत्र में अपनी जिज्ञासाएं रखी. जिनका समाधान व्याख्याता सुनील कुमार द्वारा सारगर्भित तरीके से किया गया. कार्यक्रम के समापन पर कनीय आचार्य प्रतीक प्रभाकर ने अतिथि व्याख्याता को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह एक दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला संस्थान के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा और उनके अध्ययन एवं सृजनात्मक दृष्टिकोण को नई दिशा प्रदान करेगी.
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