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आठ तक नि:शुल्क शिक्षा

मधुबनीः रंजना मिश्र शहर से सटे चकदह की रहने वाली है. वह गांवों में शिक्षा का अधिकार की जानकारी दे रही है. प्रिया मिश्र भी चकदह की है. वे गांवों में जाकर संदेश दे रही हैं कि 6 से 14 आयु वर्ग की सभी बालिकाओं का स्कूल जाना जरूरी है. शहर के बाबूसाहेब चौक की […]

मधुबनीः रंजना मिश्र शहर से सटे चकदह की रहने वाली है. वह गांवों में शिक्षा का अधिकार की जानकारी दे रही है. प्रिया मिश्र भी चकदह की है. वे गांवों में जाकर संदेश दे रही हैं कि 6 से 14 आयु वर्ग की सभी बालिकाओं का स्कूल जाना

जरूरी है.

शहर के बाबूसाहेब चौक की मंजरी मिश्र कहती हैं कि कक्षा एक से आठ तक बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षा मिलती है. कुमारी कंचन बिस्फी प्रखंड के मुरलियाचक गांव की है. उस पर मानो शिक्षा का अधिकार की जानकारी महिलाओं को देने का जुनून छाया है. वह गांवों में शिक्षा के अधिकार का अलख जगा रही है. वह बताती हैं कि बालिकाओं के लिये शिक्षा का अधिकार वरदान है. अब उन्हें पढ़ाई के लिये दूर नहीं जाना होगा.

उनके गांव में ही स्कूल है. अपनी बातों को प्रभावी ढंग से कहने के लिये कंचन अभिनय को माध्यम बना रही है. बाबूबरही प्रखंड के मौआहा गांव की निराशा कुमारी अपनी गायिकी की बदौलत निरक्षर लोगों में आशा का संचार कर रही है. बेनीपट्टी के ब्रrापुर गांव की सोनी कुमारी अभिनय और गायन दोनों के माध्यम से जन जन को शिक्षा के अधिकार की जानकारी दे रही है. बासोपट्टी की रवीना कुमारी अपने गीतों के जादू से शिक्षा के अधिकार के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है. यह कार्यक्रम बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा चलायी जा रही है. उपरोक्त सभी युवतियां शिक्षा के अधिकार पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं. इसकी गूंज गांवों में सुनाई दे रही है. गीत, संगीत और अभिनय के माध्यम से महिलाओं को शिक्षा का अधिकार के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

क्या कहते हैं अधिकारी

सर्वशिक्षा अभियान के मीडिया संभाग के प्रभारी अमरजीत कुमार विश्वासी बताते हैं कि आठ अक्तूबर 2013 तक यह कार्यक्रम चलेगा. इस कार्यक्रम के माध्यम से यह जानकारी दी जा रही है कि कक्षा एक से आठ तक मुफ्त शिक्षा दी जाती है. कोई भी बच्च मार्क्‍स के आधार पर फेल नहीं होगा. किसी भी छात्र या छात्र के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं होगा. किसी भी बच्चे को स्कूल में शारीरिक, आर्थिक या मानसिक दंड शिक्षक नहीं दे सकते हैं. शिक्षक पांच साल के अंदर आवश्यक शैक्षिक अर्हता को पूरा करेंगे. शिक्षक समय से स्कूल आयेंगे और स्कूल के सभी बच्चों का मूल्यांकन करेंगे.

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