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मधुबनी : नप के उच्च वर्गीय लिपिक शंकर झा निलंबित

मधुबनी : नगर परिषद में कार्यरत उच्च वर्गीय लिपिक शंकर कुमार झा को पद से निलंबित कर दिया गया है. उन पर अनुशासनहीनता, अपने उच्चाधिकारी के आदेश का बार- बार अवहेलना करने एवं कार्यालय कार्य संस्कृति के हित में काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन प्रभाव से निलंबित किया गया. निलंबन अवधि में […]

मधुबनी : नगर परिषद में कार्यरत उच्च वर्गीय लिपिक शंकर कुमार झा को पद से निलंबित कर दिया गया है. उन पर अनुशासनहीनता, अपने उच्चाधिकारी के आदेश का बार- बार अवहेलना करने एवं कार्यालय कार्य संस्कृति के हित में काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन प्रभाव से निलंबित किया गया.
निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय जन्म- मृत्यु प्रशाखा में किया गया है. तीन दिनों के अंदर स्पष्टीकरण नहीं देने पर नगर परिषद सेवा से मुक्त भी किया जा सकता है. यह निर्णय 29 जून के नगर परिषद सशक्त स्थायी समिति के प्रस्ताव से एक में रखा गया. जिसमें उन पर अनुशासनहीन कृत्य एवं बार- बार आदेश अवहेलना को देखते हुए निलंबित कर आरोप पत्र गठित किया गया.
क्या है मामला. शंकर झा द्वारा बार बार कार्यालय में लगे बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी बना कर कार्यालय से गायब हो जाने और वापस शाम में निर्धारित समय पर जाने से पूर्व हाजिरी बना लिये जाने का भी आरोप है. आदेश पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि इनका उच्च वर्गीय लिपिक की योग्यता नहीं है. न तो संचिका संधारण ही सही से कर पा रहे थे और न ही कार्यालय के कार्य के लिये अधिकारियों के आदेश का ही पालन कर रहे थे.
इस मुद्दे को लेकर इनसे स्पष्टी करण भी पूर्व में पूछा गया. जिसका इन्होंने कथित तौर पर जवाब नहीं दिया. बाद में बीते 4 जून को हाई कोर्ट पटना सीडब्ल्यूजेसी में पारित न्यायादेश के आलोक में शंकर झा द्वारा दिये गये पर विचारार्थ सशक्त स्थायी समिति की बैठक आयोजित की गयी. जिसमें इनके उपर लगाये गये आरोप से सशक्त स्थायी समिति को अवगत कराया गया. शंकर झा कार्यालय में प्रभारी प्रधान सहायक सह लेखापाल के योग्य नहीं समझा गया. कार्यालय के मुताबिक इनके द्वारा संधारित लेखा पुस्तिका को अंकेक्षकों द्वारा अपठनीय उल्लेखित किया गया.
शंकर झा ने प्रोन्नति संबंधित आवेदन दिया था उसे अस्वीकृत करते हुए इस पद से विमुक्त करने का निर्णय गया. 10 मई को कार्यालय आदेश से रोकड़पाल उदय चंद्र झा को प्रभार सौंपने को कहा गया. श्री झा ने प्रभार सौंपने के बजाय बिना अवकाश स्वीकृत कराये ही कार्यालय से उपस्थित हो गये.
इनसे 25 मई को स्पष्टीकरण पूछा गया. लेकिन पत्र लेने से इनकार कर दिया. कार्यालय ने 2 जून को पत्र निर्गत कर संचिकाओं के संचालन के लिए संचिका का आदान प्रदान करने को कहा है. लेकिन उन्होंने उच्चाधिकारी के आदेश को नहीं माना.

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