मधेपुर : गेंहुमा की बाढ़ तो चली गयी, पर किसानों को दर्द दे गयी़ धान के बिचड़े दह जाने के कारण बेहाल किसान बिचड़े के लिये तबाह हैं. सुबह उठकर वो घर से कोसों दूर बिचड़ों की खोज में निकल पड़ते है़ं थक हार कर शाम में निराश होकर वापस अपने घर लौट पड़ते हैं. गेंहुमा नदी के बाढ़ ने एक दर्जन पंचायत के किसानों पर आफत ला दी है़ जुलाई माह की शुरुआत में ही भयंकर बाढ़ में किसानों के खेतों में लगी फसल सहित धान का बिचड़ा दह गया़ इस कारण क्षेत्र के किसान हलकान है.
सबसे ज्यादा परेशानी सुंदर विराजीत, बाथ, बांकी, प्रसाद, महासिंह हसौली, परवलपुर, पचही के आलावे कई अन्य पंचायत के किसानों को है़ इन पंचायतों के प्राय: अधिकांश किसानों का धान का बिचड़ा बाढ़ के पानी में बरबाद हो गया़ बिचड़ा के अभाव में किसानों के धान की खेती नहीं हो पा रही है़ किसान बिचड़ों की तलाश में दर-दर की भटकने को विवश है़ कई किसान दूर-दराज इलाकों से मंहगे कीमत पर टेंपो , साइकिल व अन्य जरिये धान का बिचड़ा लाकर धान की रोपनी करते देखे जा रहे हैं,
तो अधिकांश किसान अब धान की फसल की उम्मीद छोड़ चुके हैं. गेंहुमा नदी की बाढ़ से प्रभावित बांकी गांव के गणेश यादव, धनपति यादव, हरिशचंद महतो, वीरपुर गांव के शिवनारायण यादव सहित कई गांव के दर्जनों किसानों ने बताया कि फिलहाल बाढ़ तो चली गयी़ पर, यह बाढ़ हम किसानों को दर्द दे गया़ अब खाली खेत देखकर कलेजा दहलता है, बैंकों का कर्ज चुकाना तो दूर परिवार को भोजन जुटाने की चिंता बन गयी है़ किसानों ने बताया कि बरसाती गेंहुमा नदी शोक साबित हो रही है़ इस नदी के पानी से प्रतिवर्ष किसानों की फसल दहती है, फसल दहने के बाद भी सरकार व कृषि विभाग के द्वारा किसानों को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलती है किसानों को ना तो फसल बीमा का लाभ दिया जाता है और ना ही फसल दहने पर मुआवजा दिया जाता है़ बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने सरकार से बैंकों का कर्ज माफ करने तथा फसल मुआवजा दिये जाने की मांग की है़