मधेपुरा. शहीदे आजम भगत सिंह की जयंती पर आजाद पुस्तकालय द्वारा पुस्तकालयाध्यक्ष साहित्यकार प्रो विनय कुमार चौधरी की अध्यक्षता में पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया गया. वहीं भगत सिंह के सपनों का भारत विषय पर परिचर्चा का आयोजन भी किया गया. उद्घाटनकर्ता प्रो विनय ने कहा कि आज विचारों पर संघर्ष को कलमबद्ध करने की जरूरत है, जिससे अधिक से अधिक लोगों से भविष्य में भी संवाद की संभावनाएं हो. आज व्यवस्था में ब्राह्मणवाद की गहरी पकड़ सबके विकास में बाधक है. कार्यपालिका, न्यायपालिका, पत्रकारिता जैसे अंग भी आजादी के सात दशक बाद ईमानदार नहीं हैं. भगत सिंह के संघर्ष में मानवता की झलक दिखती है, जो आज के संघर्ष में नजर नहीं आती. उन्होंने कहा कि भगत सिंह के सपनों के भारत में सर्वांगीण एवं समुचित विकास की बात थी, जो आज की व्यवस्था में नजर नहीं आती. आजादी के इतने दिनों बाद भी भगत सिंह के सपनों के भारत का लक्ष्य अधूरा है. मुख्य वक्ता प्रांतीय वाम किसान नेता रमन कुमार ने कहा कि भगत सिंह के सपनों का भारत में समाजवादी भारत की कल्पना थी, जिसमें वैज्ञानिक समाजवाद मुख्य था. समय के साथ छद्म नेताओं का उनके विचारों के सहारे अपना हित साधने की भी साजिश चल रही है. उनका मानना था कि एक दिन दबे कुचले लोगों को उनका अधिकार मिलना चाहिए. छात्रों के राजनीति में आने को उन्होंने हमेशा समर्थन किया. आज सत्ता पर काबिज लोग अंग्रेजों से भी अधिक खतरनाक है. वैश्विक पटल पर हम विकास के विभिन्न क्षेत्रों में बहुत पीछे हैं. सज्जनों से अधिक दुर्जनों का बोलबाला चिंताजनक है. भगत सिंह की मैं नास्तिक क्यों हूं में जिन बातों को लिखा गया है, उन्हें वर्तमान पीढ़ी को पढ़ना चाहिए. भगत सिंह सत्ता के गुलाम कलम के खिलाफ रहे मुख्य अतिथि जन संस्कृति मंच के संयोजक सह चर्चित विचारक व किसान शंभु शरण भारतीय ने कहा कि भगत सिंह जिस आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे, वह आज भी अधूरी है. सरकारी कार्यालयों की कार्यशैली, व्यवस्था में लगी कोढ़ सर्वथा भगत सिंह के सपनों के विपरीत वाले भारत की तस्वीर दिखाती है. आजादी के सात दशक बाद भी देश के ये हालात चिंताजनक हैं. आज मीडिया के हालात सर्वथा चिंताजनक हैं. भगत सिंह सत्ता के गुलाम कलम के खिलाफ रहे. बदलते समय पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा बढ़ते अपराध का कारण गलत लोग की गलती कम सही लोगों का मौन रहना ज्यादा है. भगत सिंह के बताये रास्ते से विकास संभव विशिष्ट अतिथि माकपा के प्रांतीय नेता गणेश मानव ने कहा कि भगत सिंह के जीवन के विभिन्न पहलुओं का सिद्धांत उनके जीवन काल में तो प्रासंगिक था ही, वह आज भी है. भगत सिंह क्रांति के पर्याय थे. वे आजादी के साथ समाज के सभी वर्गों के समुचित विकास के पक्षधर थे. आज देश कई मुद्दों पर प्रभावित हैं. कुव्यवस्था चरम पर है. ऐसे भगत सिंह के बताए रास्ते पर ही सर्वांगीण आजादी और समुचित विकास संभव है. रिटायर आर्मी और विचारक शैलेंद्र सुमन ने कहा कि फांसी के दिन भी लेनिन की जीवनी पढ़ना इनको अलग पहचान देता है. समाज में बदलाव के लिए आमजन से संवाद आवश्यक है. एआइवाइएफ राष्ट्रीय परिषद सदस्य शंभु क्रांति, युवा नेता सौरव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आजादी के सात दशक बाद भी भगत सिंह के सपनों का देश का निर्माण नहीं होना दुखद है. वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है कि अपने संघर्षों से देश को आजाद कराने वालों के सपनों को साकार करने की सामूहिक पहल हो. इस अवसर पर निरंजन, बाबुल, सोनू आदि मौजूद थे.
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