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ऑक्सीजन प्लांट ठप, सदर अस्पताल फिर सिलेंडर पर निर्भर

ऑक्सीजन प्लांट ठप, सदर अस्पताल फिर सिलेंडर पर निर्भर

पीएम केयर फंड से तैयार प्लांट ने कुछ ही दिन दी सेवा, अब तकनीकी खराबी से जूझ रहा अस्पताल कोरोना काल में बनी थी उम्मीद की किरण मधेपुरा. कोरोना महामारी के दौरान मेडिकल आपदा की स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पीएम केयर फंड से देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाये गये थे. सदर अस्पताल में भी एक हजार लीटर क्षमता वाला ऑक्सीजन प्लांट पीएम केयर फंड से और 500 लीटर क्षमता वाला दूसरा प्लांट सांसद निधि से लगाया गया था. इसका लोकार्पण स्वयं प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया था. शुरुआत में दोनों प्लांट सुचारू रूप से चले और मरीजों को राहत मिली. तकनीकी खराबी से बंद पड़े दोनों प्लांट कुछ ही महीनों की सेवा के बाद दोनों ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी खराबी की चपेट में आ गए. अस्पताल सूत्रों की मानें तो रखरखाव के अभाव और तकनीकी टीम की अनुपलब्धता के कारण प्लांट अब पूरी तरह बंद है. पिछले कई हफ्तों से यहां का ऑक्सीजन आपूर्ति सिस्टम ठप पड़ा है. प्रशासन ने फिलहाल अन्य जिलों से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाकर मरीजों को राहत देने की व्यवस्था की है. अस्पताल प्रशासन ने कहा, मरम्मत की प्रक्रिया जारी सदर अस्पताल प्रशासन के अनुसार, ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति को रिपोर्ट भेजी गयी है. तकनीकी इंजीनियरों की टीम बुलाने की प्रक्रिया जारी है. अधीक्षक ने बताया कि जल्द ही दोनों प्लांट की जांच और सर्विसिंग करायी जायेगी, ताकि उन्हें दोबारा चालू किया जा सके. हालांकि, फिलहाल अस्पताल को ऑक्सीजन सिलेंडरों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. मरीजों व परिजनों की बढ़ी चिंता ऑक्सीजन प्लांट बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी गंभीर मरीजों और उनके परिजनों को हो रही है. हर दिन अस्पताल में कई मरीज ऐसे आते हैं जिन्हें तुरंत ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है. अब सिलेंडर से व्यवस्था करनी पड़ रही है, जिससे इलाज में देरी हो रही है. मरीजों के परिजन रंजन कुमार कहते हैं कि यह स्थिति चिंताजनक है. सरकार ने करोड़ों की लागत से प्लांट लगवाया, लेकिन रखरखाव नहीं हुआ है. जनता में नाराजगी, रखरखाव पर उठ रहे सवाल स्थानीय समाजसेवी और स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि जब इतने बड़े स्तर पर प्रधानमंत्री की पहल पर यह व्यवस्था की गयी थी, तो उसका नियमित रखरखाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए था. समाजसेवी सुनील कुमार ने कहा कि पीएम केयर फंड से बने प्लांट की बदहाली यह दिखाती है कि हमारी व्यवस्था केवल उद्घाटन तक सीमित रह जाती है. अगर नियमित निरीक्षण होता, तो मरीजों को परेशानी नहीं होती. फिलहाल सिलेंडर ही जीवनरेखा अस्पताल प्रशासन ने दूसरे जिले से ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाने की व्यवस्था की है. रोजाना कई सिलेंडर लाने में न केवल खर्च बढ़ रहा है बल्कि आपात स्थिति में जोखिम भी बना हुआ है. डॉक्टरों का कहना है कि जब तक ऑक्सीजन प्लांट फिर से चालू नहीं होता, मरीजों की जान सिलेंडरों पर ही टिकी रहेगी. अब उम्मीद मरम्मत से अस्पताल प्रशासन का कहना है कि प्लांट को जल्द ही तकनीकी सहायता के जरिए दुरुस्त कर लिया जायेगा. विभागीय स्तर पर पत्राचार जारी है और उम्मीद जतायी जा रही है कि आने वाले हफ्तों में यह जीवनदायिनी व्यवस्था फिर से चालू हो जायेगी. फिलहाल सदर अस्पताल के डॉक्टर और मरीज दोनों इस उम्मीद में हैं कि जिस ऑक्सीजन प्लांट से कभी जीवन की डोर जुड़ी थी, वह फिर से चालू हो और मरीजों को राहत मिले.

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