मुरलीगंज लेफ्टिनेंट चंद्रमणि राज भारतीय सेना की आर्मी एयर डिफेंस इकाई में अधिकारी बनकर न सिर्फ अपने परिवार, बल्कि पूरे जिले, बिहार और देश का नाम रोशन किया है. उनकी यह उपलब्धि साबित करती है कि सच्ची लगन, अनुशासन और निरंतर परिश्रम के बल पर किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है. साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से आने वाले लेफ्टिनेंट चंद्रमणि राज की सफलता आज क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है. उनके चयन की खबर मिलते ही मुरलीगंज सहित पूरे मधेपुरा जिले में खुशी और गर्व का माहौल है. -संस्कार और प्रेरणा से मिली दिशा- लेफ्टिनेंट चंद्रमणि राज के पिता श्यामकांत साह और माता नीलम कुमारी ने हर कदम पर उनका मनोबल बढ़ाया. उनके बड़े पिताजी ब्रह्मदेव साह, जो भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग ऑफिसर रह चुके हैं, की राष्ट्रसेवा की परंपरा ने उनके भीतर देशभक्ति और अनुशासन की मजबूत नींव रखी. -सैनिक स्कूल से एनडीए तक का सफर- उनकी शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत सैनिक स्कूल, पुरुलिया से हुई, जहां उन्होंने अनुशासन, नेतृत्व और देशप्रेम का गुण आत्मसात किया. यही संस्कार उन्हें देश के सर्वोच्च सैन्य संस्थान राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए), खड़कवासला तक ले गया. एनडीए में तीन वर्षों के कठोर प्रशिक्षण और इसके बाद सैन्य अकादमी में एक वर्ष के गहन अभ्यास ने उन्हें एक सक्षम, जिम्मेदार और दृढ़ निश्चयी सैन्य अधिकारी के रूप में गढ़ा. -युवाओं के लिए प्रेरणा- लेफ्टिनेंट चंद्रमणि राज की यह उपलब्धि स्पष्ट संदेश देती है कि छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों से भी निकलकर देश की सेवा के सर्वोच्च मंच तक पहुंचा जा सकता है. उनकी सफलता मधेपुरा ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के युवाओं के लिए प्रेरक उदाहरण है, जो राष्ट्रसेवा का सपना देखते हैं. लोगों का कहना है कि लेफ्टिनेंट चंद्रमणि राज ने यह सिद्ध कर दिया है कि अनुशासन, परिश्रम और राष्ट्र के प्रति समर्पण ही एक सच्चे सैनिक की असली पहचान है. ग्रामीणों को चंद्रमणि पर गर्व है, जिसने तिरंगे की शान बढ़ाकर जिले को राष्ट्रीय पहचान दिलाई है.
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