आरोपों से घिरने के बाद सीएस ने लिया कड़ा एक्शन, शिकायतों की जांच के लिए टीम गठित
उदाकिशुनगंज. उदाकिशुनगंज पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रूपेश कुमार को उनके पद से हटा दिया गया. उनकी जगह पीएचसी में पदस्थापित डॉ अंकित सौरभ को नयी जिम्मेदारी दी गयी है. ज्ञात हो कि सिविल सर्जन के निर्देश के बाद पीएचसी प्रभारी के रूप में डा. अंकित सौरभ ने पदभार ग्रहण कर लिया है. पदभार ग्रहण के बाद ने प्रभारी डा. अंकित सौरभ ने पीएचसी के व्यवस्था में अमूनन सुधार और विभागीय निर्देश के आलोक में काम करने की बात कही है. बताया जाता है कि इससे पहले पूर्व के पीएचसी प्रभारी डा. रुपेश कुमार पर कई तरह के गलत काम करने का आरोप लगा है. उनके खिलाफ शिकायत सामने आने के बाद सिविल सर्जन ने उन्हें पद से हटा दिया है. शिकायतों की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की है. जांच टीम को एक सप्ताह में रिपोर्ट समर्पित करना है. वहीं डा. रुपेश कुमार ने कहा कि उनपर गलत तरीके से आरोप लगाया गया है. जांच से सबकुछ साफ हो जाएगा. डा. रुपेश के खिलाफ जांच टीम गठित होने के बाद पीएचसी में चिकित्सकों और कर्मियों में खलबली मची हुई है. जांच को लेकर पीएचसी में गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है. सबकी निगाहें जांच टीम पर है. जांच की वास्तविकता का इंतजार रहेगा.प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में डॉ अंकित सौरभ ने दिया योगदान
सिविल सर्जन मधेपुरा के निर्देश पत्र के आलोक में डा. अंकित सौरभ ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में योगदान कर दिया है. वह सुचारू रूप से काम करने लगे हैं. सिविल सर्जन ने सरकार के उप सचिव स्वास्थ्य विभाग बिहार पटना के दिनांक 26.07. 2023 के पत्र के आलोक में डा. अंकित सौरभ वरीय चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उदाकिशुनगंज को बिहार कोषागार संहिता 2011 के नियम 84 के तहत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी घोषित किया है. इस संदर्भ में सिविल सर्जन का एक पत्र जारी हुआ है. जिसमें डा. रुपेश कुमार को पत्र निर्गत के 24 घंटे के अंदर डा.अंकित सौरभ को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी उदाकिशुनगंज का प्रभार सौंपने का निर्देश दिया गया.
डीएम से की गयी थी शिकायत
उदाकिशुनगंज के जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी मधेपुरा को शिकायत आवेदन समर्पित किया था. जिसमें विभागीय आदेश का उल्लंघन करते हुए डा. रुपेश कुमार को उदाकिशुनगंज पीएचसी का प्रभारी बनाने की बात कही गयी है. उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. शिकायतकर्ता ने स्वास्थ्य विभाग के पत्रांक 507 (3) दिनांक 20.07.2023 का हवाला देते हुए जिक्र किया है कि वरीय चिकित्सक को ही संबंधित संस्थान का प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी सह निकासी एवं व्यन पदाधिकारी घोषित किया जा सकता है. लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उदाकिशुनगंज में वरीय चिकित्सा पदाधिकारी होने के बावजूद भी अनुमंडलीय अस्पताल उदाकिशुनगंज में पदस्थापित चिकित्सक डा. रूपेश कुमार की प्रतिनियुक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उदाकिशुनगंज में प्रभारी के रूप में की गयी. आरोप है कि डा. रूपेश के सानिध्य में बहुत सारे फर्जी नर्सिंग होम एवं अल्ट्रासाउंड संचालित है. फर्जी नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड वाले से वरीय अधिकारी के नाम पर इनके द्वारा बड़े पैमाने पर राशि की वसूली की जा रही है. इतना ही नहीं उनके द्वारा गत वित्तीय वर्ष में फर्जी बिल लगाकर लाखों की सरकारी राशि की अवैध निकासी भी की गयी है. सबसे बड़ा गंभीर आरोप अस्पताल परिसर में बैठकर शराब पीने का लगा है. जनप्रतिनिधियों ने डा. रूपेश पर कार्रवाई की मांग की है. मामले पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने सिविल सर्जन को पत्र निर्गत किया.तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
मामले की गंभीरता को देखते हुए असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (सिविल सर्जन) मधेपुरा ने डा. समीर कुमार दास प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिहारीगंज के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की. इसमें सदर अस्पताल मधेपुरा के उपाधीक्षक डा. सचिन कुमार, सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डा. इंद्रभूषण कुमार को शामिल किया गया है. जांच टीम का गठन शिकायतकर्ता उदाकिशुनगंज के उमेश यादव और जनप्रतिनिधियों के शिकायत के आधार पर किया गया है. सीएस ने जांच टीम को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया गया है. ताकि मामले से जिलाधिकारी को अवगत कराया जा सके.
नियम की अनदेखी कर बनाया गया प्रभारी
शिकायतकर्ता ने अपने शिकायत आवेदन में स्वास्थ्य विभाग के उस पत्र को भी समाहित किया है. जिसमें प्रभार को लेकर नियम बना है. सरकार के उपसचिव शैलेश कुमार का 24.07.2023 के पत्र का हवाला देते हुए कहा गया है पीएचसी के वरीय चिकित्सक को ही प्रभारी बनाया जा सकता है. जबकि नियम को ताक पर रखकर अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक डा. रूपेश कुमार को प्रभारी बना दिया गया. इस मामले में सरकार के अपर सचिव ने सभी सीएस को पूर्व में ही एक पत्र निर्गत किया था. जिसमें उल्लेख है कि जिला के असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी को अपने अधीनस्थ चिकित्सा संस्थानों में पदस्थापित चिकित्सकों में से वरीय चिकित्सक को हीं संस्थान का प्रभारी-सह-निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी घोषित किया जाए.विभाग ने की थी असहजता महसूस
विभागीय निदेश के बावजूद कई जिलों के असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा अपने अधीनस्थ चिकित्सा संस्थानों में पदस्थापित चिकित्सकों को दूसरे संस्थान में प्रतिनियुक्त कर संस्थान का प्रभारी, निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी बनाने पर विभाग ने असहजता महसूस की थी. अपर सचिव ने अपने पत्र में उल्लेख किया था कि जिले के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के इस निर्णय से विभाग को न्यायालय अथवा विधानमंडल में पक्ष रखने में असहजता महसूस हो रही है.
कार्रवाई की दी गयी थी चेतावनी
पीएचसी के वरीय चिकित्सक को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी नहीं बनाने से मधेपुरा के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में रहा है. जब विभाग का आदेश वरीय चिकित्सक को ही प्रभारी बनाने का रहा है तो फिर किस परिस्थिति में अनुमंडलीय अस्पताल के चिकित्सक को पीएचसी का प्रभारी बनाया गया है. इस पर भी शिकायतकर्ता ने सवाल उठाया है और पूरे मामले की जांच की मांग की है. स्पष्ट तौर पर सरकार के अपर सचिव ने अपने पत्र में विभागीय आदेशों की अवहेलना करने पर संबंधित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का जिक्र किया. यह स्पष्ट किया गया है कि विशेष परिस्थिति में सक्षम प्राधिकार से अनुमोदन के पश्चात ही प्रतिनियुक्ति किया जाना है. बावजूद कि नियमों की अनदेखी कर प्रतिनियुक्ति कर दी गयी. बहरहाल जांच से सबकुछ साफ हो पाएगा. फिलहाल सबकी निगाहें जांच टीम पर है.इस बाबत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अंकित सौरभ ने कहा कि असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी मधेपुरा के निर्देश के आलोक में मैंने पदभार ग्रहण कर लिया हूं. विभागीय दिशा निर्देश पर पीएचसी का काम करूंगा. लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले. इस पर काम होगा.
वहीं मामले को लेकर पूर्व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रुपेश कुमार ने कहा कि मेरे ऊपर लगे सारे आरोप गलत हैं. आरोप लगा देने से ही सबकुछ सही नहीं होता है, जांच से सबकुछ साफ हो जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

