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डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने किया जलाभिषेक

परेशानी. साल के पहले ही दिन जाम से हलकान रहा बाबानगरी सिंहेश्वर इस भीषण जाम में लोग परेशान और लाचार दिख रहे थे. पेयजल और अन्य सुविधाओं के अभाव में कई महिलाएं तो बेहोश होकर गिर पड़ी, लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से दूर दराज से आये श्रद्धालुओं को थोड़ी राहत मिली. मधेपुरा : नये […]

परेशानी. साल के पहले ही दिन जाम से हलकान रहा बाबानगरी सिंहेश्वर

इस भीषण जाम में लोग परेशान और लाचार दिख रहे थे. पेयजल और अन्य सुविधाओं के अभाव में कई महिलाएं तो बेहोश होकर गिर पड़ी, लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से दूर दराज से आये श्रद्धालुओं को थोड़ी राहत मिली.
मधेपुरा : नये साल के पहले ही दिन रविवार को बाबा सिंहेश्वर नाथ के दर्शन करने लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का रैला उमड़ पड़ा. बाबा नगरी की अमूमन सभी सड़कें व गलियां भक्तों के जत्थे से ठसाठस भरा हुआ था, बाहर से आये भक्तजन यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर बाबा के दर्शन कैसे होंगे. भीड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुबह सात बजे से सड़क पर जो जाम लगी वो दिन के चार बजे तक लगी रही. इस भीषण जाम में लोग परेशान और लाचार दिख रहे थे.
पेयजल और अन्य सुविधाओं के अभाव में कई महिलाएं तो बेहोश होकर गिर पड़ी, लेकिन स्थानीय लोगों की मदद से दूर दराज से आये श्रद्धालुओं को थोड़ी राहत मिली. पूरा क्षेत्र श्रद्धालुओं व वाहनों से पट चुका था और आवागमन पूरी तरह अवरुद्ध हो चुका था. सुबह से ही नारियल विकास बोर्ड से पुलिस लाइन तक जाम के कारण लोग बाग परेशान दिखे. एक जनवरी के मौके पर बाबा नगरी में डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक किया.
सरकते नजर आये लोग : रविवार की सुबह से जैसे जैसे श्रद्धालुओं का जत्था उमड़ता गया, वैसे वैसे बाबा नगरी की सड़कें भी लोगों की भीड़ से पटती गयी. दिन भर बाबा नगरी रेंगती नजर आयी और पुलिस प्रशासन बेबस और लाचार. जाम का कुछ ऐसा आलम था कि पुलिस लाइन से नारियल विकास बोर्ड तक की दूरी आमतौर चंद सेकेंड की है उसे तय करने में घंटों लग रहे थे. वाहन चलाना तो दूर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया. इस भीड़ में बच्चे, बूढ़े व महिलाओं की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी थी. बसंतपुर से बाबा नगरी आई 60 वर्षीय सोना देवी जाम के कारण बेहोश हो गई, बाद में उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से पानी व अन्य जरूरी सामग्री दी गई.
जाम से मरीजों का रहा बुरा हाल :
सिंहेश्वर में रविवार को जाम में फंसे मरीजों का बुरा हाल रहा. जाम के कारण उनकी स्थिति भी बेहद दयनीय हो चली थी. गाड़ियों की आवाजाही नहीं होने के कारण लोगों को कई किमी तक पैदल सफर करना पड़ा. एक ओर जहां मरीजों के साथ साथ परिजनों का बुरा हाल था वहीं दूसरी ओर सिंहेश्वर पुल के बगल में शांति वन वाली गली लोगों के लिए राहत देने वाली साबित हुई. लोग इस गली का उपयोग कर नारियल विकास बोर्ड के पास निकलने लगे, जिस कारण जाम में फंसे लोगों को काफी सहूलियत हुयी .
आखिर कब तक सिंहेश्वर बनी रहेगी जाम नगरी : मधेपुरा.उत्तर बिहार का देवघर कहलाने वाले जिले का सुप्रसिद्ध बाबा नगरी सिंहेश्वर स्थान प्रत्येक दिन जाम की समस्याओं से जुझ रहा है. सिंहेश्वर बाजार में लगने वाली महाजाम धीरे धीरे विकराल रूप धारण कर लिया है. मात्र एक किलोमीटर की दुरी तय करने में लोगों को घंटो का समय लग जाता है. जाम में फंसे बीमार व्यक्ति व गर्भवती महिलाएं की स्थिति तो दननीय हो जाती है. जाम से निपटने के लिए प्रशासन की और से कोई ठोस पहल नहीं किया जा रहा है. स्थानीय लोगों में प्रशासन की उदासिन रवैये से क्षोभ है. जाम से निजात दिलाने के लिए
जनप्रतिनिधि एवं राजनितिक दलों के प्रतिनिधियों ने आंदोलन का रूख अख्तियार करने का मुड बना लिया है. हालांकि स्थानीय प्रशासन की और से समय समय पर शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए अतिक्रमण खाली करा खानापुर्ति कर दी जाती है. कुछ ही दिनों में ढाक के तीन पात वाली स्थिति हो जाती है. स्थायी बस स्टैंड एवं बायपास की मांग लोगों द्वारा कई बार उठाया गया है. लेकिन सरकार की कानों में जू तक नहीं रेंगी. स्थानीय निवासियों का कहना है कि आखिर कब तक सिंहेश्वर नगरी जाम नगरी बनी रहेगी.
उठने लगी आवाज: जाम की त्रासदी को झेल रहे स्थानीय लोगों ने कई दफा जिला प्रशासन से लेकर सरकार तक अपनी बाते रखी. लेकिन इनकी सुनने वाला कौन है. धीरे-धीरे लोगों में प्रशासन के विरूद्ध गुस्सा पनपने लगा है. श्री कृष्ण सेना के अध्यक्ष राहुल कुमार यादव ने कहा कि अगर जाम से सिंहेश्वर बाजार को मुक्ति नहीं मिलती है तो इसके लिए सड़क से लेकर सांसद तक आंदोलन किया जायेगा.
जाम बना जी का जंजाल : दिन के दस बजे से लेकर शाम के सात बजे तक लगने वाली जाम लोगों के लिए जी का जंजाल बन गया है. बाबा नगरी होने के कारण यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते है. वहीं यहां से पटना,दरभंगा सहित राज्य के विभिन्न कोने के लिए सीधी गाड़ी चलती है. लेकिन आज भी ऐतिहासिक सिंहेश्वर स्थान एक अदद स्थायी बस स्टेंड के लिए तरस रहा है.
सिंहेश्वर को दी गयी है धार्मिक नगरी की उपमा : जिला मुख्यालय से महज छह किमी की दूरी पर स्थित सिंहेश्वर को यूं ही धार्मिक नगरी की उपमा नहीं दी गयी है. किंवदंतियों के अनुसार यहां कौशिकी के तट पर ऋषि शृंग ने अपना आश्रम बनाया. उनके द्वारा आयोजित यज्ञों में पूरे भारतवर्ष से संत और राजा पधारे. कहते हैं मंडन मिश्र का शंकारचार्य से शास्त्रार्थ यहीं हुआ था और इसके बाद उन्होंने बौद्ध धर्म को त्याग कर सनातम धर्म फिर से अपनाया. शिव लिंग की पौराणिकता की भी कई कहानियां प्रचलित हैं. इस स्थान ने कई आर्येतर शासकों को देखा. और दरभंगा महाराज ने तो इस मंदिर के लिए सैकड़ों एकड़ जमीन दे दी जिस पर यह सिंहेश्वर बसा है.
गाड़ियों से निकलने वाली जहरीले धुएं से बीमारी का खतरा : इस पावन भूमि पर प्रतिदिन लगने वाली जाम सिहेंश्वरवासियों को तो जरूर खलती हैं. लेकिन सड़क जाम में फंसी गाडि़यों से निकलने वाली जहरीले धुआं की आदत सी पड़ गयी है. लेकिन घंटों जाम में फंसी गाडि़यों से निकलने वाली धुआं से सिंहेश्वरवासियों के सामने बीमारियों का खतरा उत्पन्न हो गया हैं. अगर समय रहते जाम से सिंहेश्वर को मुक्ति नहीं दिलायी गयी तो स्थानीय लोगों के जाम के अलावा समस्याओं से रूबरू होना पड़ सकता है.
आठ घंटे तक बाबा नगरी में परेशान रही पुलिस, लोगों को हुई भारी परेशानी
बस स्टैंड नहीं रहने से बढ़ी मुसीबत
सिंहेश्वर क्षेत्र में सरकारी बस पड़ाव नहीं रहने के कारण बेतरतीब ढंग से वाहनों का काफिला सरेआम मुख्य बाजार में घुस आता है और जाम का कारण बनता है. बाबा नगरी में जाम की यह कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी श्रद्धालुओं का रैला उमड़ता रहा है, लेकिन पुलिस प्रशासन की उदासीनता का ही परिणाम है कि सिंहेश्वर में आठ घंटे तक जिंदगी रेंगती रही और प्रशासन बेबस और लाचार दिखा. रविवार की सुबह स्थिति अनियंत्रित हो गयी. सड़क के दोनों किनारे पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमने लगी और तब तक ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी थी. गत दिनों प्रशासन द्वारा मंदिर न्यास की बैठक में नारियल विकास बोर्ड के पास दुर्गा चौक के पास ऑटो रिक्शा के लिए तत्काल बैरिकेडिंग लगाये जाने की पहल की गयी थी ताकि ऑटो रिक्शा का परिचालन बाजार की तरफ न हो, लेकिन ऐसा हो न सका.
दिन भर जाम की जद में रहा शहर, सड़क पर रेंगेते नजर आये लोग.
हादसे का कारण बन सकता है जर्जर सिंहेश्वर पुल : बाबा नगरी स्थित सिंहेश्वर पुल भी अब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है. 60 वर्ष पूर्व बने इस पुल की स्थिति जर्जर हो चुकी है और अधिक भीड़ होने व भारी वाहनों की आवाजाही के कारण इस पुल में अत्यधिक कंपन होने लगती है. जिससे लोगों में भय का माहौल कायम हो गया है. बाबा नगरी को राजधानी पटना, दरभंगा, पिपरा, सिमराही, सुपौल, वीरपुर नेपाल तक जोड़ने वाला यह पुल अब हांफने लगा है.
रोज जाम से परेशान रहते हैं लोग
यहां आम कहावत प्रचलित हो गयी है कि अगर आप सिंहेश्वर आ रहे हैं तो दो घंटा अतिरिक्त जोड़ लें. क्योंकि जब यहां की सड़क पर जाम लग जायेगा तो यह कम से कम दो घंटे तक जारी रहेगा. करीब पूरी सिंहेश्वर नगरी का यही हाल है. सिंहेश्वर बाजार के बीच से गुजरने वाली सड़क एनएच 106 सहित लगभग हर सड़क पर यही हाल है. जिला मुख्यालय के काफी करीब रहने के कारण अधिकारियों की एक नजर यहीं रहती है लेकिन ये दृश्य उनकी आंखों में नहीं चुभते. अगर जाम को लेकर जिला प्रशासन गंभीर हुआ होता तो यहां बाइपास की योजना बनायी जा चुकी होती. हालांकि बीच-बीच में सिंहेश्वर की सड़कों पर जाम हटाने के लिए पुलिस बल को देखा जा रहा है. लेकिन दो चार पुलिस भरोसे सिंहेश्वर की जाम से निजात पाना संभव नहीं है. पुलिस की लाख कोशिश के बावजूद यहां प्रतिदिन घंटों जाम लगता है.
हाथी गेट पर लगा रहता है ऑटो का पहरा : सिंहेश्वर न तो स्थायी बस स्टैंड है और न ही स्थायी ऑटो स्टैंड. इसलिए यहां ऑटो चालक की मनमानी का शिकार आम राहगीरों के साथ श्रद्धालुओं को होना पड़ता है. सुबह पौ फटते ही मंदिर रोड जाने वाले मुख्य सड़क यानी हाथी गेट के पास ऑटो का लगना शुरू हो जाता है. दिन भर हाथी गेट को ऑटो चालक अस्थायी ऑटो स्टैंड बना देते है. जिससे मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ आम राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हाथी गेट पर खास कर बाइक सवार दुर्घटना का शिकार होते है.

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