एनएच 106 को वास्तविक रूप देने के लिए बनना है कोसी नदी पर पुल
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कोसी नदी पर पुल निर्माण लटका
एनएच 106 को वास्तविक रूप देने के लिए बनना है कोसी नदी पर पुल उदाकिशुनगंज : अनुमंडल के चौसा प्रखंड अंतर्गत फुलौत और भागलपुर जिले के बीहपुर के बीच एनएच 106 को वास्तविक रूप दिया जाना अभी बाकी है. इसके निर्माण के लिए कोसी नदी पर पुल निर्माण कराये जाने को लेकर साढ़े तीन वर्ष […]
उदाकिशुनगंज : अनुमंडल के चौसा प्रखंड अंतर्गत फुलौत और भागलपुर जिले के बीहपुर के बीच एनएच 106 को वास्तविक रूप दिया जाना अभी बाकी है. इसके निर्माण के लिए कोसी नदी पर पुल निर्माण कराये जाने को लेकर साढ़े तीन वर्ष पूर्व जल विशेषज्ञ व अभियंताओं की टीम ने सर्वेक्षण किया था. लेकिन, इसका अभी तक कोई ठोस प्रतिवेदन नहीं मिलने से पुल निर्माण कार्य अधर में लटकता नजर आ रहा है.
कब हुआ था स्थल निरीक्षण
19 अगस्त 2012 को आइआइटी रूढ़की वार्ट रिसर्च सेंटर के मुख्य प्रोफेसर उमेश कोटियारी सीआईजी हैदरबाद के बी शिव राजू, चंद्र गुंजन, कनीय अभियंता डा आलोक कुमार आलोक, एनएच मधेपुरा के एसक्यूटिव इंजीनियर नवीन कुमार सिंह, जेइ्र राजेंद्र प्रसाद द्वारा फुलौत के 124 वी किमी से बिहपुर के 134 किमी तक नाव और पैदल सर्वेक्षण किया गया था.
नदी के त्रिमुहान, बुहना, घघरी नदी का भी मुआयना किया गया था. जांच टीम द्वारा दरअसल यह देखा जाना था कि कहां से कहां तक पुल का निर्माण और किस स्थान पर बांध का निर्माण कराया जाना है. जांच के दौरान विशेषज्ञों ने महसूस किया था कि जिधर से आवागमन का रास्ता मिल रहा है नदी उधर से ही अपनी धारा मोड़ लेती है.
जिससे कि पुल निर्माण में कई तरह की बाधाएं भविष्य में आ सकती है. विशेषज्ञों का मानना था कि बीच वाली नदी को बांध कर पुल की लंबाइ को कम किया जा सकता है. लेकिन इसमें सफलता मिलेगी या नहीं यह तो संभवत: कोसी की प्रकृति पर निर्भर करता है. चूंकि कोसी की धारा सदियों से परिवर्तनशील रही है. लेकिन सर्वेक्षण दल साढ़े तीन वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी अभी तक सर्वेक्षण जांच प्रतिवेदन सरकार या एनएच कार्यालय मधेपुरा को नहीं सौंप सका है. जिसके कारण पुल निर्माण कार्य अधर में लट गया है.
धारा परिवर्तन का है लंबा इतिहास
जहां तक नदी की धारा परिवर्तन की बात है यह सदियों की परंपरा रही है. नदी की धारा परिवर्तन के इतिहास के पन्नों पर ध्यान दिया जाय तो स्पष्ट होता है कि कोसी की उदगम स्थल नेपाल और तिब्बत है. कोसी के जल में गाड की अधिकता के कारण भूमि निर्माण गति अन्य नदियों की अपेक्षा अधिक तीव्र है. इसलिए इसकी धारा में परिवर्तन की डर भी इससे ज्यादे है. नदी के इस स्वभाव के कारण यह बदनाम है जिसके कारण यह बिहार का शोक भी कहलाती है.
1737 ई में धारा परिवर्तन हुआ और सौउरा से पश्चिम काली कोसी की धारा में संयोग कर कोसी प्रसाद से बहती हुई गंगा से जा मिली. 1937 से बेमुरा धार बनकर नवहटा होते हुए धमहरा घाट के पास बाजमति से संगम करती हुई गंगा जा मिलती है. यही कोसी की धारा अनुमंडल के आलमनगर प्रखंड अंतर्गत कपसिया, मुरौत, सुखाड़ खाट, हरजोरा घाट, व सिताबी वासा होते हुए फुलौत के दक्षिण होकर बहती रही है. धारा परिवर्तन होते रहने के कारण कटाव से प्रभावित होकर इन गांव अस्तित्व ही मिट गया है. इस तरह कोसी की धारा में परिवर्तन सदियों से होता रहा है.
जिसके कारण कई मानव मार्ग अवरूद्ध और गांव का गांव कटाव के कारण कोसी धारा में विलिन होता रहा है. अगर फुलौत और बीहपुर के बीच कोसी नदी की धारा में परिवर्तन होता रहा है. यह कोसी कोई आश्चर्य की बात नहीं है. जिससे जल विशेषज्ञों और इंजीनियरों को घबराने की नहीं वरण चिंतन और साकारात्मक पहल करने की जरूरत है.
लेकिन साढ़े तीन वर्ष गुजर जाने के बावजूद भी विशेषज्ञ कोई निर्णय नहीं ले पायी है. जो इस क्षेत्र की जनता के लिए शोक बनते जा रहा है. अगर उक्त नदियों पर पुल का निर्माण करवा दिया जाता है तो कोसी का सीधा संबंध भागलपुर व झारखंड से हो जायेगा. इसके लिए जिले के जनप्रतिनिधियों को आगे आने की जरूरत है. तब ही एनएच 106 को सार्थकता प्रदान की जा सकती है.
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