कमाई लाखों की, सुविधाएं कौड़ियों की फोटो – मधेपुरा 16 से 19कैप्शन – 16, प्रतिक्षालय बना मूत्रालय, 17 – बस पड़ाव में लगा गंदगी का अंबार, 18 – सड़क पर ऑटो लगा कर यात्री चढ़ते वाहन, 19 – बस पड़ाव के अंदर बहता मलमूत्र फोटो – मधेपुरा 20 से 25कैप्शन – नोट- फोटो के नीचे नंबर और नाम लिखा हुआ है. फोटो – मधेपुरा 27,28,29 कैप्शन – प्रो चंद्रशेखर, मिथिलेश कुमार, विशाल कुमार बबलू -बस स्टैंड . प्रतिक्षालय बना शौचालय, पानी के लिए यात्री होते हैं हलकान — मधेपुरा बस पड़ाव में एक भी चापाकल नहीं, यात्री व वाहन चालक हो रहे परेशान — साफ-सफाई नहीं होने के कारण पूरे परिसर में फैला है कूड़ा-कचरा– रोशनी की व्यवस्था नहीं, शाम होते ही परिसर में फैल जाता है अंधेरा — प्रतिदिन खुलते हैं आठ सौ से अधिक वाहन, रोज आते हैं हजारों यात्री इंट्रो::::::::::::प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये का राजस्व देने के बावजूद मधेपुरा बस स्टैंड की स्थिति बदतर बनी हुई है. अधिकारियों की लापरवाही और रहनुमाओं की उदासीनता के कारण जिला मुख्यालय के इस बस पड़ाव में कौड़ियों की सुविधाएं नहीं हैं. इससे प्रतिदिन हजारों यात्रियों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. रेल परिचालन की सुविधा नहीं होने के कारण जिलेवासी किसी भी रूट की यात्रा के लिए पूरी तरह इस बस पड़ाव पर निर्भर हैं. रोजाना यहां से हजारों यात्री चारों दिशाओं की सफर के लिए पहुंचते हैं. लेकिन, बस पड़ाव की दुर्दशा देखकर सहम जाते हैं. प्रतिनिधि, मधेपुरा वर्तमान समय में इस पड़ाव में एक भी चापकल नहीं रहने के कारण यात्रियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. वहीं चापाकल नहीं रहने के कारण वाहन चालकों एवं बस पड़ाव के कर्मियों को भी फजीहत झेलनी पड़ती है. यात्री पेयजल के लिए बोतल बंद पानी पड़ निर्भर है. बस पड़ाव परिसर में एक भी मूत्रालय और शौचालय नहीं रहने के कारण खास कर महिला यात्रियों को फजीहत का सामना करना पड़ता है. हालांकि बस पड़ाव के अंदर पे एंड यूज शौचालय संचालित है. लेकिन यात्रियों की सुविधा के लिए एक भी नि:शुल्क शौचालय या मूत्रालय का निर्माण नहीं करवाया गया है. वहीं बस पड़ाव परिसर की साफ सफाई नहीं होने के कारण पूरे परिसर में कूड़े कचरे का अंबार लगा हुआ है. कूड़े के ढेर से उठती बदबू यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. परिसर स्थित प्रतिक्षालय अघोषित मूत्रालय बन चुका है. यात्री मूत्रालय नहीं रहने के कारण बेरोक टोक इस प्रतिक्षालय का उपयोग मूत्रालय के लिए करते है. – जगह की है भारी कमी — मधेपुरा बस पड़ाव से प्रतिदिन आठ सौ से अधिक वाहन विभिन्न दिशाओं के लिए परिचालन करती है. सबसे अधिक संख्या ऑटो और छोटे वाहनों की है. बस पड़ाव से मिली जानकारी के अनुसार यहां से प्रतिदिन पांच सो ऑटो, 150 जीप और सवारी गाड़ी जिले के विभिन्न इलाकों के लिए प्रस्थान करती है. वहीं 150 बड़ी बस भी चौस, बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज, पुरैनी सहित पूर्णिया, सहरसा, सुपौल, बीरपुर, भागलपुर आदि जगहों के लिए प्रस्थान करती है. वहीं राजधानी पटना के लिए प्रतिदिन 11 से 13 कोच भी खुलते है. लेकिन इन वाहनों की संख्या के अनुपात में मधेपुरा बस पड़ाव के पास जगह की भारी कमी है. जिस कारण उचित राजस्व के भुगतान के बावजूद वाहन चालक सड़क किनारे वाहन खड़ी करने के लिए मजबूर है. वहीं बस पड़ाव में रौशनी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने के कारण शाम ढलने के बाद समूचे परिसर में अंधेरे का साम्राज कायम हो जाता है. — चालकों में पनप रहा आक्रोश — बस स्टैंड की बदहाल स्थिति में कोई सुधार के प्रयास नहीं होने और उपर से प्रशासन द्वारा लाठी चलाने की कार्रवाई के खिलाफ बस स्टैंड के चालक और कर्मियों के बीच आक्रोश पनप रहा है. हाल के दिनों में कई प्रशासनिक अधिकारियों ने मनमानी कार्रवाई करते हुए सड़क किनारे खड़े वाहनों के शिशा को फोड़ दिया. वाहन चालकों ने बताया कि एक तरफ उचित राजस्व लेने के बावजूद जिला प्रशासन हमें सुविधा मुहैया नहीं करवा रही है. दूसरी तरफ शिशा फोड़ कर वाहन चालकों को आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया जा रहा है. वाहन चालकों ने मांग किया कि जिला प्रशासन बस पड़ाव का निरीक्षण कर चालकों को उचित मार्ग दर्शन दें. — विभाग के आदेश की उड़ रही धज्जियां — गत माह नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने सभी अधिकारियों को पत्र भेज कर बस पड़ाव के अंदर मूल भूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आदेश दिया था. लेकिन जिले में यह आदेश लागू नहीं हो सका. — कहते हैं वाहन चालक — बस पड़ाव की दुर्दशा को लेकर वाहन चालकों और पड़ाव कर्मियों में भी क्षोम की स्थिति बनी हुई है. इस बाबत स्टैंड किरानी विजय कुमार यादव कहते है कि साफ सफाई की व्यवस्था नहीं रहने के कारण स्टैंड में बैठना मुश्किल हो जाता है. पड़ाव कर्मी गुलटेश बताते है कि चापाकल नहीं रहने के कारण यात्री और वाहन चालकों को पीने के पानी के लिए होटल संचालकों पर निर्भर रहना पड़ता है. बुजुर्ग कर्मी जवाहर यादव कहते है कि नि:शुल्क शौचालय या मूत्रालय नहीं रहने के कारण खास कर महिला यात्रियों को भारी कठिनाई होती है. इस स्थिति में वाहन चालक और पड़ाव के कर्मियों को भी शर्मसार होना पड़ता है. वाहन चालक मो इसराइल बताते है कि जिला मुख्यालय का पड़ाव रहने के बावजूद शाम के बाद पूरा पड़ाव परिसर अंधेरे में डूब जाता है. जिसके बाद यात्री या चालकों को बस स्टैंड में रहने के दौरान असुरक्षाकी भावना उत्पन्न होती है. कर्मी चंद्र लोक बताते है कि शौचालय और प्रतिक्षालय की कमी के कारण यात्री और वाहन चालक परेशान है. वहीं श्रवण कुमार कहते है कि उचित राजस्व देने के बावजूद वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. — वर्जन — बस पड़ाव की स्थलीय जांच की जायेगी. यात्रियों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध करवायी जायेगी. मिथिलेश कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद मधेपुरा. — वर्जन — मधेपुरा बस पड़ाव का टेंडर जिला परिषद द्वारा किया जाता है. साफ-सफाई सहित अन्य सुविधाएं जिला परिषद द्वारा ही बहाल की जाती है. नगर परिषद का अपना बस पड़ाव निर्माण की प्रक्रिया चल रही है. जल्द ही नगर परिषद समूचित सुविधाओं से लैस बस पड़ाव मधेपुरावासियों को देगी. विशाल कुमार बबलू, मुख्य पार्षद, नगर परिषद, मधेपुरा.– वर्जन — बस स्टैंड को अत्याधुनिक और सुविधा जनक बनाने की दिशा में पहल की गयी है. जल्द ही मधेपुरा का बस पड़ाव यात्रियों को बेहतर सुविधा देगा. फिलहाल समस्या के समाधान के लिए जिला परिषद के अधिकारियों से बात करते हैं. जल्द से जल्द सुविधा उपलब्ध करवायी जायेगी. प्रो चंद्र शेखर, स्थानीय विधायक सह आपदा प्रबंधन मंत्री, बिहार सरकार
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कमाई लाखों की, सुविधाएं कौड़ियों की
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