… नहर का तटबंध बार-बार टूटता क्यों है? — पेज नंबर छह की लीड — फोटो – मधेपुरा 01कैप्शन – फाइल फोटो – करोड़ों खर्च के बावजूद गड़बड़ी की पोल खोल ही देते है ये टूटते नहर. — वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नहर पुनर्स्थापना कार्य योजना की शुरूआत की थी- विभागीय अधिकारियों से मिल कर संवेदकों ने काम के नाम पर की खानापूर्ति- बार – बार टूटते रहे हैं जिले में नहरों के तटबंध प्रतिनिधि, मधेपुरागुरूवार को जिले के आलमनगर प्रखंड में कारूबाबा थान के निकट नहर के टूट जाने से मक्के और गेहूं की फसल पूरी तरह डूब गयी. हालांकि सिंचाई विभाग ने देर रात नहर की मरम्मत कर पानी के बहाव को रोक दिया. इस घटना के ठीक चार दिन पहले दस जनवरी को बिहारीगंज के मधुकरचक पंचायत में चौसा वितरणी नहर टूट गया था. हैरत की बात है कि जनता की गाढ़ी कमाई में से करोड़ों रूपये खर्च कर कोसी क्षेत्र में नहरों की मरम्मत ही नहीं बल्कि पुनर्स्थापन कार्य कराया गया. पर स्थिति जस की तस है. नहर पुनर्स्थापन कार्य में भारी पैमाने पर गड़बड़ी की गयी. गड़बडि़यों से संबंधित खबर कई बार प्रकाशित की गयी थी. अधिकारियों का जवाब हर बार यही होता कि काम गुणवत्तापूर्ण हो रहा है. सवाल यह है कि काम अगर गुणवत्तापूर्ण हुआ तो नहर का तटबंध टूटता क्यों है? वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नहर पुनर्स्थापना कार्य योजना की शुरूआत की थी. उन्होंने वीरपुर में विशाल आमसभा कर कार्यारंभ कराया था. करीब 753 करोड़ की योजना में बराज के पास कोसी नदी से सिल्ट हटाना, कोसी निरीक्षण भवन बनाना और पूर्वी नहर प्रणाली के अंतर्गत आने वाले सभी नहरों की पुनर्स्थापना करना आदि शामिल था. नहर के काम के लिए ग्लोबल टेंडर किया गया. काम जेकेएम कंस्ट्रक्शन को मिला. कार्य 31 मार्च 2012 तक पूर्ण होना था. — ताक पर रखी गुणवत्ता— पूर्वी नहर प्रणाली के तहत सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जिले में नहरों का जाल बिछा हुआ है. लेकिन इस योजना में करोड़ों रूपये खर्च करने के बावजूद लक्ष्य नहीं पाया जा सका. काम हुआ लेकिन गुणवत्ता को ताक पर रख दिया गया. — कार्य पूरा करने की खानापूर्ति– मधेपुरा जिले में ही नहर पुनर्स्थापन कार्य करोड़ों रूपये के उठाव हुए. फाइल पर काम पूरा भी हो गया. विभागीय अधिकारी की मिलीभगत से संवेदक मालामाल हो चुके हैं. लेकिन किसान नहर के जगह-जगह टूटने की वजह से फसल खराब होने का दंश झेलते रहते हैं. — मुरलीगंज डिवीजन में 67 करोड़ से हुई मरम्मत –मुरलीगंज नहर डिवीजन में 67 करोड़ की राशि से कार्य होना था. काम टुकड़ों में पेटी कांट्रैक्टर को दे दिया गया. अगर राज्य सरकार की सोच के अनुसार पचास फीसदी कार्य भी हुआ होता तो सचमुच नयी कोसी का निर्माण हो जाता लेकिन विभाग के भ्रष्ट अधिकारी और संवेदकों ने इस योजना को पलीता लगा कर अपनी झोली भर ली. — लेकिन नहीं बदली तसवीर — नतीजा यह है कि नहरों की स्थिति में जरा सा ही फर्क आया है. अब भी टूटे नहर से पानी का रिसाव आम बात है. जगह – जगह नहर के तटबंध टूटने की सूचना मिलती रहती है. छोटे स्तर पर टूटने पर मामले को वहीं रफा दफा कर दिया जाता है. ———इनसेट ———-पांच महीने में सात जगह टूटा नहर तटबंधप्रतिनिधिमधेपुरा. करोड़ों रूपये की लागत से हुए कोसी नहर पुनर्स्थापन कार्य की गुणवत्ता का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि विगत एक सप्ताह के भीतर जिले में चौथी जगह नहर का तटबंध टूट गया है. 24 सितंबर – 24 सितंबर की रात एक बजे गम्हरिया प्रखंड के ईटवा जीवछपुर पंचायत में कटैया पुल के पास मधेपुरा वितरणी नहर का तटबंध टूट गया था. इससे कारण पानी पंचायत के सैंकड़ों एकड़ जमीन में लगी धान की फसल में फैल गया. इससे किसानों को कितना नुकसान हुआ और कैसे उन्हें मुआवजा दिया जाएगा इसको लेकर प्रशासन पूरी तरह मौन है. लोग संशय में हैं. इसी दिन सुबह पुरैनी के कुरसंडी पंचायत में बलिया गांव के पास खेरहो नहर का तटबंध टूट गया था. इसके कारण भी सैकड़ों एकड़ में पानी फैल गया था. 25 सितंबर – इस दिन आलमनगर प्रखंड में नहर का तटबंध टूट गया. इसके कारण फिर किसान त्राहिमाम कर रहे हैं. पानी उनके खेतों में लगा है. आलमनगर प्रखंड के सोनबरसा गांव के पास देर रात नहर का तटबंध टूट गया था. इसके कारण आधा दर्जन घरों पानी घुस गया और सैकड़ों एकड़ फसल बरबाद हो गयी. चालीस घंटे तक नहर से पानी निकलता रहा लेकिन किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने इसकी सुध नहीं ली थी. 26 सिंतबर – बिहारीगंज प्रखंड के बभनगामा पंचायत के फतेपुर गांव के बाढ़ आश्रय स्थल के समीप आलमगनर वितरणी नहर टूट जाने के कारण 50 एकड़ धान की फसल प्रभावित हुई. 18 नवंबर – मुरलीगंज प्रखंड अंतर्गत दुर्गापुर वितरणी नहर का तटबंध चामगढ़ गांव के पास टूट गया. तटबंध टूट जाने से सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल में पानी घुस जाने से फसल के बरबाद हो गयी थी. 10 जनवरी – बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र के. मधुकर चक के समीप चौसा वितरणी नहर टूट जाने से लगभग 40 से 50 एकड़ भूमि में लगे फसल डूब गये. 14 जनवरी – आलमनगर प्रखंड के दक्षिणी पंचायत स्थित कारू बाबा थान के निकट नहर के पश्चिमी भाग के टूट जाने से पानी की धारा ने किसानों के लहलहाते मक्के एवं गेहूं के फसल को डूबा दिया. नहर टूटने से सैकड़ों एकड़ मक्के एवं गेहूं की फसल जलमग्न हो गया. —————-
BREAKING NEWS
… नहर का तटबंध बार-बार टूटता क्यों है?
… नहर का तटबंध बार-बार टूटता क्यों है? — पेज नंबर छह की लीड — फोटो – मधेपुरा 01कैप्शन – फाइल फोटो – करोड़ों खर्च के बावजूद गड़बड़ी की पोल खोल ही देते है ये टूटते नहर. — वर्ष 2011 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नहर पुनर्स्थापना कार्य योजना की शुरूआत की थी- विभागीय अधिकारियों […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement