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संसाधनों के अभाव में विभाग बना लाचार

मधेपुरा : बाढ़ प्रभावित मधेपुरा जिला में आपदा विभाग फाइलों के आंकड़ों में भले ही व्यवस्थित दिख रहा हो, लेकिन वास्तव में विभाग की स्थिति दयनीय है. प्राकृतिक विपदाओं से जूझते इस जिला में आपदा विभाग के पास पर्याप्त कर्मी का अभाव है. संभावित बाढ़ के खतरों को समझ कर विभाग ने इस जिला में […]

मधेपुरा : बाढ़ प्रभावित मधेपुरा जिला में आपदा विभाग फाइलों के आंकड़ों में भले ही व्यवस्थित दिख रहा हो, लेकिन वास्तव में विभाग की स्थिति दयनीय है.

प्राकृतिक विपदाओं से जूझते इस जिला में आपदा विभाग के पास पर्याप्त कर्मी का अभाव है. संभावित बाढ़ के खतरों को समझ कर विभाग ने इस जिला में दस मोटरवोट तो उपलब्ध करवा दिया है,

लेकिन वोट का एक भी चालक आपदा विभाग में कार्यरत नहीं है. बाढ़ से घिरे कई प्रखंडों में महाजाल जैसे महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध नहीं करवाये गये है.

प्रशिक्षित नहीं हैं कारगर
बाढ़ व भूकंप से संबंधित बचाव को लेकर जिले के करीब दो सौ स्वयंसेवकों को पांच दिवसीय प्रशिक्षण तो दिया गया, लेकिन ये स्वयंसेवक इस प्रशिक्षण को प्राथमिक मान रहे है.
कई स्वयंसेवकों ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उन्हें महज छोटी – छोटी जानकारी दी गयी. मोटरवोट चलाने या अन्य किसी विशेष संसाधन के उपयोग को लेकर कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया. इस कारण आपदा विपदा के समय प्राथमिक प्रशिक्षण का कोई खास फायदा अवाम को नहीं हो पायेगा.
जिला में मात्र दो महाजाल
मधेपुरा व उदाकिशुनगंज अनुमंडल में एक-एक महाजाल विभाग द्वारा उपलब्ध करवाया गया है, जो पर्याप्त नहीं है. साथ ही किसी दूसरे प्रखंड में किसी व्यक्ति के डूबने पर महाजाल को लाने में ही घंटों का समय बर्बाद होता है और तो और विभाग स्तर पर महाजाल रहने की सूचना सार्वजनिक नहीं होने के कारण कई सीओ महाजाल के उपलब्धता से अनभिज्ञ है.
दस मोटर वोट ,चालक एक भी नहीं
वहीं मधेपुरा में दस मोटरवोट विभाग द्वारा उपलब्ध करवाये गये थे. कुमारखंड, शंकरपुर, चौसा, आलमनगर, पुरैनी व मुरलीगंज प्रखंड में एक-एक मोटर वोट देने के बाद चार मोटरवोट को विभाग में ही सुरक्षित रखा गया है.
मोटरवोट संचालन के लिए जिले के आठ होम गार्ड जवानों को प्रशिक्षण भी दिया गया था, लेकिन वर्तमान समय में एक भी गृहरक्षक मोटर वोट चालक के रूप में आपदा विभाग के पास कार्यरत नहीं है.
सूची में 17 गोताखोर, उपलब्ध नहीं : वहीं विभाग के पास जिले के 17 प्रशिक्षित पारंपरिक गोताखोर की सूची भी उपलब्ध है. इन गोताखोरों को एसडीआरएफ मुख्यालय बिहटा में दस दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया था,
लेकिन किसी भी घटना दुर्घटना के बाद आपदा विभाग इन गोताखोरों को बुलाकर कार्य करवाने में भी असमर्थ साबित हो रहा है.
ज्ञात हो कि रविवार को शहर के भिरखी मुहल्ला स्थित परमाने नदी में एक किशोर के डूबने के बाद आपदा विभाग के संसाधनों व कार्यों को लेकर जिले में चर्चाओं दौर चल रहा है.
कहते हैं एडीएम
एडीएम आपदा कन्हैया प्रसाद ने कहा कि मोटरवोट के चालक की उपलब्धता को लेकर विभाग स्तर पर पत्राचार किया गया है. हालांकि जरूरत पड़ने पर चालक का व्यवस्था आसानी से हो जाता है. विभाग द्वारा उपलब्ध करवाये जाने पर सभी प्रखंडों में महाजाल उपलब्ध करवाया जायेगा.

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