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केंद्र सरकार रसोइया विरोधी

आक्रोश. हक के लिए रसोइया संघ ने किया आंदोलन का आह्वान केशव कन्या प्लस टू विद्यालय परिसर में रसोइया संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर धरना िदया. इस दौरान केंद्र सरकार पर अत्याचार करने का आरोप लगाया. मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित केशव कन्या प्लस टू विद्यालय परिसर में सम्मेलन करते हुए एमडीएम रसोइया संघ […]

आक्रोश. हक के लिए रसोइया संघ ने किया आंदोलन का आह्वान

केशव कन्या प्लस टू विद्यालय परिसर में रसोइया संघ ने विभिन्न मांगों को लेकर धरना िदया. इस दौरान केंद्र सरकार पर अत्याचार करने का आरोप लगाया.
मधेपुरा : जिला मुख्यालय स्थित केशव कन्या प्लस टू विद्यालय परिसर में सम्मेलन करते हुए एमडीएम रसोइया संघ ने अपने हक व अधिकार के लिए देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया. केंद्र की मोदी सरकार पर एमडीएम रसोइया पर अत्याचार करने का आरोप लगाते हुए चरणबद्ध स्वतंत्र तथा संयुक्त संघर्ष का एलान किया. इसके प्रथम चरण में नौ से 11 नवंबर तक सीआइटीयू व अन्य ट्रेड यूनियन के साथ मिलकर जंतर-मंतर पर दिल्ली में महा पड़ाव, दूसरे चरण में 10 से 25 दिसंबर में देश के सभी जिला मुख्यालयों में डीएम के समक्ष प्रदर्शन व स्थानीय सांसद को मांग पत्र सौंपने तथा तीसरे चरण में 20 जनवरी 2018 से देशव्यापी आंदोलन होगा.
इससे पहले एमडीएम वर्कर्स यूनियन रसोइया कार्यकर्ता संघ का एक दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन जिला संयोजक गणेश मानव की अध्यक्षता में हुई. सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि देश में भुख व कुपोषण के शिकार करोड़ों बच्चों को भुख व कुपोषण से मुक्ति, स्कूलों से जोड़ने, बीच में पढ़ाई छोड़ने पर रोक के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर केंद्र सरकार ने प्रारंभिक विद्यालय में एमडीएम चालू करवाया. पूरे देश में करीब 25 लाख रसोइया जिसमें अधिकांश महिलाएं खासकर विधवा व कमजोर वर्ग की महिलाएं हैं, सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को सरजमीन पर उतारने के लिए मेहनत कर रही है. प्राय: स्कूल खुलने से बंद होने तक रसोइघर, बर्तन की सफाई, खाना बनाने, बच्चों को
खिलाने पुन: साफ सफाई करने के बाद एक हजार मानदेय वह भी वर्ष में 10 महीने का दिया जाता है. बीमार होने पर इलाज के लिए स्वास्थ्य बीमा की बात दूर काम करते समय दुर्घटना होने पर भी चिकित्सा का कोई प्रबंध नहीं. वर्षों से काम करने के बाद बुढ़ापे में सहारा के लिए पेंशन, महिला रसोइया के लिए मातृत्व अवकाश, आवश्यक काम होने पर विशेष अवकाश जैसे बुनयादी समस्याओं का भी वर्षों से अनदेखी की जा रही है. देश के करोड़ों नौनिहाल को भूख व कुपोषण से बचाने के कार्य में जुटी मध्याहृन योजना कर्मी रसोइया केंद्र सरकार की उपेक्षा व संवेदनहीनता के कारण स्वयं भुखमरी, कुपोषण व बीमारियों से मुक्ति के लिए संघर्ष करने को मजबूर है.
केंद्र सरकार द्वारा 2009 में रसोइया के लिए 1000 प्रतिमाह मानदेय तय किया गया था, लेकिन आजतक इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी. सम्मेलन को सुपौल जिला के रसोइया नेता सदानंद राम, मधेपुरा के बाबुल कुमार, मानिक दास, पुष्पा देवी, दयानंद, राजेश, बद्री, अनीता देवी, चंदेश्वरी यादव, शोभा देवी, अर्जुन पंडित, संध्या देवी, जय शर्मा, सुरेंद्र राम, सीता राम, मो सफीर, मालती देवी, सुनीता देवी आदि शामिल थे.
घोषणा बन कर रह गयी बढ़ोतरी
लगातार संघर्ष के बाद यूपीए सरकार ने 2013 में प्रति माह एक हजार रुपया मानदेय बढ़ोतरी की घोषण हुई, जो घोषणा बनकर रह गयी. सबका साथ सबका विकास, अच्छे दिन का नारा देकर तीन साल पूर्व केंद्र की सत्ता में आयी मोदी सरकार को मिड डे मील वर्कर्स यूनियन के नेतृत्व में देश के लाखों रसोइया ने प्रदर्शन, धरना, महा पड़ाव के माध्यम से बार बार एमडीएम योजना को स्थायीकरण, इसमें कार्यरत रसोइया को स्थायी करने, सरकारी कर्मी घोषित करने, तत्काल प्रतिमाह 18000 वेतन, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा, भविष्य निधि, अवकाश जैसे मांगों की ओर ध्यान आकर्षित कराया, लेकिन कोरा आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला, उल्टे इस योजना के आवंटन में कटौती तथा स्कूलों में एमडीएम को बंद कर कंपनियों, ठेकेदारों, एनजीओ के हाथों सौंपने की तैयारी की जा रही है.
10 महीने में मिलता है मानदेय
सम्मेलन को संबोधित करते हुए विनोद कुमार ने कहा कि आज रसोइया का स्थिति बिहार में सबसे खराब है. बिहार में रसोइया को मात्र 1250 रुपये मानदेय मिलता है. वह भी साल में मात्र 10 महीने में, जबकि जहां पर वामपंथी पार्टी की सरकार है वहां पर केरल में 6000 रुपया महीना मिलता है व त्रिपुरा में छह हजार तथा पेंशन भी मिलता है. सरकारी कर्मचारी को भी 20 हजार रुपया से अधिक मिलता है व मजदूर को भी 10 हजार से भी अधिक मिलता है. इसलिए इस सम्मेलन में हम मांग करते हैं कि प्रत्येक रसोइया को 15 हजार रुपया मासिक वेतन कर्मचारी का दर्जा अवकाश के बाद पेंशन, परिवार के एक सदस्य को नौकरी, मातृत्व लाभ इत्यादि मिलना चाहिए. प्रत्येक रसोइया को इंदिरा आवास तथा शौचालय की व्यवस्था हो.

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