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मुलायम सिंह यादव ताकते रह गए, लालू प्रसाद बन गए थे धर्मनिरपेक्षता के मसीहा, जाने क्या था पूरा मामला…

lalu yadav outsmarted mulayam singh yadav लालू की नींद रामेश्वर उरांव के फोन से टूटी - रामेश्वर उरांव ने लालू प्रसाद को कहा- सर, हमने उन्हें अरेस्ट कर लिया है.

मुलायम सिंह यादव (mulayam singh yadav) पहलवान थे.लिहाजा, कुश्ती का आखाड़ा के माहिर खिलाड़ी थे और राजनीति का भी हर दांव-पेंच जानते थे. यही कारण था कि जब 1989 में केंद्र में गैर कांग्रेस की वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं का कद बढ़ गया. लोकसभा चुनाव के ठीक बाद उत्तर प्रदेश में जब विधान सभा का चुनाव हुआ तो जनता दल चुनाव जीत गई.यूपी में सीएम पद के लिए दो दावेदार सामने आए.पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह अजीत सिंह को सीएम और मुलाय सिंह यादव को डिप्टी सीएम बनाना चाह रहे थे.लेकिन, मुलायम सिंह यादव सीएम से कम पर मानने को तैयार नहीं थे.

वीपी सिंह ने जब अजीत सिंह के नाम की घोषणा कर दिया तो पहलवान ने अजीत सिंह गुट के विधायकों को तोड़ लिया और यूपी में विधायक दल के नेता बन बैठे. वीपी सिंह ने अपना फैसला बदलते हुए मुलायम सिंह यादव को यूपी का सीएम बना दिया. लेकिन,वीपी सिंह को मुलायम सिंह रास नहीं आए. यही कारण था कि वीपी सिंह ने मुलायम सिंह यादव के बदले लालू प्रसाद को राजनीति का एक बड़ा गिरफ्ट दिया. दरअसल, यह वह समय था जब देश में मंडल और कमंड को राजनीति चल रही थी. वीपी सिंह ने देश में मंडल आयोग की रिपोर्ट लागू कर दिया था. वहीं लालकृष्ण आडवाणी अयोध्या में रामजन्मभूमि राम मंदिर बनाने के लिए सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथ लेकर निकल पड़े थे.रथ सोमनाथ से चलकर बिहार में प्रवेश कर गया था. कुछ ही दिनों में वो यूपी में प्रवेश करने वाला था.

इधर, रथ को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश में भी तनाव का माहौल था.रथ प्रवेश के बाद यूपी में ज्यादा बवाल हो सकता था. इसलिए केंद्र की वीपी सिंह सरकार इसे हर हाल में रोकना चाह रही थी. रथ कहां रोका जाए.यह बड़ा सवाल था.प्रधानमंत्री वीपी सिंह नहीं चाहते थे कि मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो जाएं. इसके पीछे वीपी सिंह की अपनी राजनीति थी. क्योंकि यूपी ही वीपी सिंह की भी कर्मभूमि थी और वो अपने लिए सियासी जमीन बचाए रखना चाहते थे.

संकर्षण ठाकुर ने अपनी किताब बंधु बिहारी में लिखा है कि यहां तक आने की अनुमति देने के बाद राम रथ को रोकने की तार्किक जगह उत्तर प्रदेश ही होनी चाहिए थी.लेकिन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की एक समस्या थी. वे नहीं चाहते थे कि मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो जाएं. इसलिए उन्होंने लालू यादव को आडवाणी का रथ रोकने के लिए कहा. लालू यादव ने ये गिफ्ट तहे दिल से कबूल किया.वीपी सिंह ने जब लालू प्रसाद को लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने को कहा तब आडवाणी हजारीबाग से समस्सतीपुर में प्रवेश कर गए थे.

लालू ने अरेस्ट करने की जिम्मेदारी डीआईजी रामेश्वर उरांव और आईएएस राजकुमार सिंह को सौंपी. 22 अक्टूबर, 1990 की रात आडवाणी के रथ का पहिया समस्तीपुर में ही थम गया. अगली सुबह लालू की नींद रामेश्वर उरांव के फोन से टूटी – रामेश्वर उरांव ने लालू प्रसाद को कहा- सर, हमने उन्हें अरेस्ट कर लिया है.लालू ने हेलिकॉप्टर से आडवाणी को मंसजौर स्थित बिहार सरकार के गेस्ट हाउस में भेज दिया. इसके साथ ही लालू धर्मनिरपेक्षता के मसीहा बन गए और वीपी सिंह ने इस प्रकार मुलायम सिंह को एक बड़ा राजनीतिक झटका दिया.

RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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