ग्रामीणों की मांग : स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए बने 100 फीट का रास्ता, पांच वर्षों से समस्या जस की तस
सूर्यगढ़ा. सूर्यगढ़ा प्रखंड के कवादपुर पंचायत अंतर्गत कोनीपार गांव में स्थापित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर ग्रामीणों को प्रतिदिन स्वास्थ्य सेवाएं दे रहा है. भू-दाताओं द्वारा इसके लिए दो कट्ठा जमीन उपलब्ध करायी गयी, जिस पर भवन का निर्माण कर ओपीडी सेवा चलाई जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि ग्रामीण सड़क से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 फीट का रास्ता तक उपलब्ध नहीं है. आज भी स्वास्थ्य कर्मियों व मरीजों को खेत से होकर आवागमन करना पड़ता है.बारिश के दिनों में यह समस्या और विकराल हो जाती है. निचली भूमि होने के कारण खेत में डेढ़ से दो फीट तक पानी भर जाता है. कीचड़ व गंदे पानी के बीच से गुजरकर स्वास्थ्य कर्मियों को केंद्र तक पहुंचना पड़ता है. कई बार विभाग को इस संबंध में लिखित सूचना भेजी गयी, यहां तक कि वीडियो बनाकर भेजा गया, लेकिन अब तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ.
इधर, इस हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में प्रतिदिन लगभग 60 से 70 मरीजों का इलाज होता है. इंडोर में उपलब्ध 147 दवाओं में से 135 तरह की दवाएं यहां उपलब्ध रहती हैं. कोनीपार के अलावा दिघड़ी, भवानीपुर, वाकरचक, टाल बंशीपुर और मानिकपुर के लोग भी इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं.स्थानीय ग्रामीण सह महासचिव, लाल फसल सुरक्षा समिति के संदेश पटेल ने बताया कि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से ग्रामीण सड़क तक लगभग 100 फीट निजी जमीन है. इस जमीन के भू-स्वामी से लगातार रास्ता देने का अनुरोध किया जा रहा है, लेकिन अब तक उनकी सहमति नहीं बनी है. जमीन उपलब्ध होते ही रास्ता निर्माण संभव हो पाएगा.
पंचायत समिति सदस्य अवध किशोर मेहता ने कहा कि सांसद सह केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन प्रसाद सिंह उर्फ ललन सिंह के सहयोग से खेत की आड़ से होकर तीन फीट चौड़ा अस्थायी रास्ता बनाने का प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद है कि जल्द ही इस पर काम शुरू होगा.एएनएम पूजा प्रसून ने बताया कि वह लगभग पांच वर्षों से यहां सेवा दे रही हैं. रास्ता नहीं होने से खासकर बारिश के दिनों में काफी परेशानी होती है. कई बार विभाग को सूचना भेजने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है.
सीएचओ अंजू कुमारी ने कहा कि ग्रामीण सड़क से स्वास्थ्य केंद्र तक खेत के बीच से होकर आना-जाना पड़ता है. बारिश में पानी और कीचड़ के कारण आवागमन बेहद कठिन हो जाता है.प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ वाईके दिवाकर ने बताया कि भू-दाता द्वारा उपलब्ध कराई गयी जमीन पर भवन तो बन गया, लेकिन सड़क से जोड़ने वाला 100 फीट का निजी जमीन वाला हिस्सा अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है. बारिश में कर्मियों को गंदे पानी से होकर आना पड़ता है. कई बार उन्हें केंद्र पर कपड़ा बदलकर काम करना पड़ता है. रास्ता उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास जारी है.
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