राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के भारत रत्न की मांग पर कवि गोष्ठी का आयोजन
लखीसराय. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की मांग को लेकर दिव्य दिनकर संस्था द्वारा आयोजित श्रृंखला काव्यांजलि के अंतर्गत शनिवार को शहर के केआरके मैदान स्थित टाउन हॉल में एक कवि-सम्मेलन सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्थानीय विधायक सह उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा समेत अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर किया. इससे पहले पहलगाम घटनाओं पर सभी ने एक मिनट का मौन रख दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.मौके पर उप मुख्यमंत्री ने कवि दिनकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महान कवि दिनकर ने बिहार की धरती को गौरवशाली किया. दिनकर जी को भारत रत्न से सुशोभित करने के लिए वे इसके लिए भरपूर कोशिश की. वहीं अन्य ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता कार्यक्रम आयोजक सतीश कुमार शर्मा ने किया. इस आयोजन में देश के अलग-अलग राज्यों से आये प्रसिद्ध कवियों ने प्रस्तुतियां दी. प्रस्तुति के साथ-साथ सभी कवियों ने राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को भारत रत्न दिये जाने की मांग को आगे रखा. दिव्य दिनकर संस्था के संस्थापक और कार्यक्रम के संयोजक सतीश शर्मा ने बताया कि इस श्रृंखला की नींव पिछले वर्ष 22 सितम्बर 2024 को पटना में रखी गयी थी और यह इस श्रृंखला का चौथा कवि सम्मेलन है. बिहार के 38 जिलों में इस श्रृंखला के अंतर्गत कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे. उन्होंने ये भी बताया कि दिनकर जी को भारत रत्न दिलवाने की मुहिम पूरे देश तक फैलायी जायेगी. कार्यक्रम का संचालन विनीत शंकर ने किया कार्यक्रम में मुंबई से पवन तिवारी, मुंबई से बॉलीवुड गीतकार प्रबुद्ध सौरभ, उन्नाव से स्वयं श्रीवास्तव, पुणे से विनीत शंकर, पटना से उत्कर्ष आनंद ””भारत””, गोपालगंज से सान्या राय और दिल्ली से मुरारी मंडल माधव ने प्रस्तुतियां दीं. श्रृंगार की पंक्तियों से ले कर ओज के स्वर और दिल को छूती शायरी ने ऐसा समां बांधा कि पूरा टाउन हॉल झूम उठा. पवन तिवारी की पंक्तियों आओ घर को चल क्यों हो बाजार में, जो भी कहना कहो अपने परिवार में, ऐसा कुछ भी ना अनुचित प्रदर्शित करो घर की बातें कि छपे कल के अखबार में ने सबका मन मोह लिया. प्रबुद्ध सौरभ ने अपना प्रसिद्ध शेर मंगल को मैं बजरंगी से तेरा शुक्र मानऊं और शुक्र को तू अल्लाह से मेरा मंगल मांगे पढ़ कर बताया कि समाज कैसा होना चाहिए. स्वयं श्रीवास्तव ने अपनी वायरल पंक्तियां मुश्किल थी संभलना ही पड़ा घर के वास्ते फिर घर से निकलना ही पड़ा घर के वास्ते मजबूरियों का नाम हमने शौक रख लिया, हर शौक बदलना ही पड़ा घर के वास्ते सुनाया तो श्रोता साथ साथ गुनगुनाने लगे. विनीत शंकर ने संचालन के साथ साथ शानदार गजलें सुनायी. जिसमें उनका शेर मिलजुल कर हम बन सकते हैं रंगोली, बांटोगे तो फिर रंगों से खतरा है विशेष रहा. उत्कर्ष आनंद भारत ने रोंगटे खड़े करने वाले स्वर में पौरूष का ज्वाल जगाने वाले/मानवता के उच्च शिखर तुमसे मां हिन्दी शोभित है. नमामि दिनकर, नमामि दिनकर सुनाया, सान्या राय ने ऐसे भी दिन आते हैं क्या, सूरज भी जल जाते हैं क्या, जाते हो तो प्राण बताओ प्राण बता कर जाते हैं क्या गीत पर खूब तालितां बटोरी.
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