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खुशहाल परिवार सुखी परिवार के सपने हो रहा साकार

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लखीसराय. जीविका से संबद्ध स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं के बीच जीविका के साथ-साथ स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं परिवार नियोजन पर जागरूकता एवं व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. जीविका द्वारा पंचायत स्तर पर सामुदायिक संगठनों की बैठकों में महिलाओं एवं किशोरियों को उपर्युक्त मुद्दों पर जागरूक करने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है. खुशहाल परिवार बनाने हेतु परिवार नियोजन विषय पर समुदाय में चर्चा, जानकारी प्रदान करने एवं जागरूकता उत्पन्न करने के लिए परिवार नियोजन अभिसरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. परिवार नियोजन अभिसरण कार्यक्रम जीविका एवं राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार का संयुक्त प्रयास है. इसके अंतर्गत समुदाय में व्यवहार परिवर्तन एवं परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता लाकर खुशहाल परिवार बनाने में सहायता प्रदान की जा रही है ताकि जच्चा-बच्चा का स्वास्थ्य बेहतर हो. इस कार्यक्रम के अंतर्गत जीविका कार्यकर्ता योग्य दम्पतियों एवं उनके परिवार नियोजन के प्रति सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु समुदाय में जागरूकता उत्पन्न कर रही हैं तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ समूह बैठकों में उन्हें गर्भनिरोधक के साधन अपनाने के लिए प्रेरित कर रही हैं. जीविका एवं राज्य स्वास्थ्य समिति के संयुक्त प्रयास से परिवार नियोजन संबंधी साधनों एवं सेवाओं की मांग एवं आपूर्ति में गुणात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं और गुणात्मक परिणाम का पहला प्रभाव यह है कि सामुदायिक संगठनों की बैठकों में महिलाएं खुलकर परिवार नियोजन पर बात कर रही हैं, सलाह ले रही हैं और सुझावों पर अमल भी कर रही हैं. जीविका मित्र, सीएनआरपी एवं जीविका से जुड़े स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आशा, एएनएम एवं आशा फैसिलिटेटर संयुक्त रूप से परिवार नियोजन अभिसरण कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रहे हैं और खुशहाल परिवार के निर्माण के लिए परिवार नियोजन के महत्व को समझा रहे हैं. इस कार्यक्रम का लाभ पहुंचाने के लिए नवविवाहित दंपत्ति, एक बच्चे वाली माताएं एवं दो या दो से अधिक बच्चों वाली माताएं, जिनके भविष्य में और अधिक बच्चे होने की संभावना है, को लक्षित किया गया है. परिवार नियोजन अभिसरण कार्यक्रम अगस्त 2024 से प्रारंभ किया गया है. इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन में 17 मुख्य साधन सेवी, 80 सामुदायिक पोषण साधन सेवी, स्वास्थ्य एवं पोषण एवं 689 जीविका मित्र लगे हुए हैं. अब तक इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन 8600 से अधिक स्वयं सहायता समूहों, 570 ग्राम संगठनों और 17 जीविका महिला संकुल स्तरीय संघों द्वारा किया जा चुका है. कार्यक्रम के दौरान नवजात शिशुओं और बच्चों के उचित पालन-पोषण और शिक्षा के बारे में भी जागरूकता पैदा की जा रही है.

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