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गांव में नहीं है नल झरने का है सहारा

बदला निर्णय. नहीं हुआ कार्यक्रम, बोले ग्रामीण कछुआ के ग्रामीण डालसा के पदाधिकारियों के आगमन की खबर के बाद किये हुए थी सारी व्यवस्था डालसा के रिटेनर अधिवक्ता एवं पीएलवी पहुंचे कछुआ, लोगों की दी डालसा की जानकारी ग्रामीणों ने रिटेनर अधिवक्ता के समक्ष रखी अपनी समस्या प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुए जिला […]

बदला निर्णय. नहीं हुआ कार्यक्रम, बोले ग्रामीण

कछुआ के ग्रामीण डालसा के पदाधिकारियों के आगमन की खबर के बाद किये हुए थी सारी व्यवस्था
डालसा के रिटेनर अधिवक्ता एवं पीएलवी पहुंचे कछुआ, लोगों की दी डालसा की जानकारी
ग्रामीणों ने रिटेनर अधिवक्ता के समक्ष रखी अपनी समस्या
प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार के पदाधिकारियों को चानन के कछुआ जाने से रोक दिया. निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार डालसा के पदाधिकारी को चानन के इटौन में लीगल क्लिनिक उद्घाटन के बाद कछुआ जाना था.
लखीसराय : रविवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के सचिव सह एडीजे प्रथम त्रिभुवन नाथ के नेतृत्व में प्राधिकार के सदस्यों को पूर्व कार्यक्रम के अनुसार जिले के चानन प्रखंड के इटौन गांव में लीगल क्लिनिक के उद्घाटन के बाद क्षेत्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र संग्रामपुर के कछुआ गांव में विधिक जागरूकता शिविर के लिए जाना था. जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए डालसा के
पदाधिकारियों को कछुआ जाने से रोक दिया गया.
इस संबंध में वहां मौजूद बीडीओ राकेश कुमार ने बताया कि कछुआ नक्सल प्रभावित क्षेत्र है वहां पर्याप्त सुरक्षा के अभाव में जाना उचित नहीं होगा. जिसके बाद डालसा के सचिव सह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम त्रिभुवन नाथ के आदेश के तहत रिटेनर अधिवक्ता रजनीश कुमार एवं स्थानीय पीएलवी कछुआ गांव पहुंच वहां के ग्रामीणों से मिले़ जहां ग्रामीण पदाधिकारियों के लिए कुरसी टेबुल आदि के व्यवस्था कर इंतजार कर रहे थे़ कछुआ पहुंचने पर ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में मूलभुत सुविधाओं की काफी कमी है़ उन्हें सही से न तो राशन ही मिलता है और न केरोसिन. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक भी चापाकल नहीं है, सिर्फ दो कुएं हैं, जिससे गांव के लगभग 70 घर के 450 लोगों का गुजारा होता है़ वे लोग झरना से पीने के लिए पानी लाते हैं.
खासकर महिलाओं ने डालसा के रिटेनर अधिवक्ताओं के समक्ष अपने गांव की समस्याओं को रखा़ महिलाओं ने बताया कि उनके गांव का आंगनबाड़ी केंद्र भी हटा कर पंचायत के वार्ड संख्या पांच में स्थापित कर दिया गया है, जिससे उनका गांव अब इससे विहीन हो गया है़ जिस पर रिटेनर अधिवक्ता ने ग्रामीणों से अपनी समस्याओं को एक आवेदन के माध्यम से पंचायत के पीएलवी नरेश किस्कू एवं रंजीत किस्कू के द्वारा डालसा कार्यालय में भेजने की बात कही जिसके बाद डालसा द्वारा उनकी समस्याओं को लेकर कार्रवाई की जायेगी़
प्रशासन को पहले ही दी गयी थी सूचना
इधर रिटेनर अधिवक्ता के माध्यम से कछुआ के संबंध में जानकारी मिलने के बाद डालसा सचिव सह एडीजे प्रथम श्री नाथ ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि कछुआ गांव में मूलभुत सुविधाओं की काफी कमी है और उसी कमी को छुपाने के लिए उन्हें कछुआ गांव जाने से रोका गया़ उन्होंने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ एक बहाना था़
उन्होंने कहा कि उन्हें मिली जानकारी के अनुसार गांव के अधिकांश लोगों के पास जॉब कार्ड तक नहीं है और भी अनेक योजनाओं का लाभ उनलोगों को नहीं मिल रहा है़ श्रीनाथ ने कहा कि उनका कछुआ गांव में विधिक जागरूकता शिविर लगाने का कार्यक्रम पूर्व निर्धारित था और इसके संबंध में जिला प्रशासन को पूर्व से सूचित किया जा चुका था. इसके बावजूद सुरक्षा का हवाला देते हुए डालसा के कार्यक्रम को स्थगित किया गया है़

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