सूर्यगढ़ा : अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार को लोगों ने महालक्षमी का पूजन कर स्वर्णाभूषण सहित अन्य सामानों की खरीदारी की. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसका अक्षय फल प्राप्त होता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है.
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अक्षय तृतीया पर किया महालक्ष्मी का पूजन
सूर्यगढ़ा : अक्षय तृतीया के मौके पर मंगलवार को लोगों ने महालक्षमी का पूजन कर स्वर्णाभूषण सहित अन्य सामानों की खरीदारी की. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किया जाता है उसका अक्षय फल प्राप्त होता है. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है. मान्यता है कि जिस तरह दीपावली […]
मान्यता है कि जिस तरह दीपावली में मां लक्ष्मी की कृपा होती है उसी तरह अक्षय तृतीया के दिन भी मां लक्ष्मी का ही माना जाता है. इस दिन शुभ मुर्हूत में किया गया सभी कार्य सफल होता है और मां लक्ष्मी का आगमन होता है.
इस दिन बिना कोई मुहूर्त देखे मांगलिक कार्य किया जा सकता है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान विष्णु ने इस दिन भगवान परशुराम के रूप में घरती पर अवतार लिया.
अक्षय तृतीया के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा नदी में स्नान के बाद भगवान विष्णु का शांत चित्त होकर विधि-विधान से पूजा करने से मनोबांछित फल की प्राप्ति होती है. इस दिन सत्तू खाने तथा नये वस्त्र व आभूषण पहनने की भी मान्यता है.
अक्षय तृतीया के दिन लोगों ने जल से भरा घड़ा, कुल्हड़, सकोरे, पंखा, खड़ाऊ, छाता, चावल, नमक, घी, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, साग, इमली, सत्तू आदि गरमी के लाभकारी वस्तुओं का दान किया. तथा ब्राह्मणों को भोजन भी कराया. मान्यता है कि अक्षय तृतीया में खरीदारी की गयी वस्तु का कभी क्षय नहीं होता. लोगों ने स्वर्णाभूषण के अलावे इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि की खरीदारी की.
मान्यता है इस दिन नर-नारायण, भगवान परशुराम और हयग्रीव अवतार हुआ था. मान्यता है इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य या संस्कार श्रेष्ठ फल देने वाला होता है. भगवान गणेश ने अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत लेखन का कार्य शुरू किया था. अक्षय तृतीया के दिन ही गंगा स्वर्गलोक से घरती पर आयी थी.
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