10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

VIDEO में देखिए, आखिर कौन पढ़ रहा है घने जंगलों में अंग्रेजी अखबार

पटना / लखीसराय : बिहार में नक्सल प्रभावित इलाकों की गतिविधियों के बारे में जानने के लिए हमेशा सुरक्षा बलों की एजेंसियांसतर्क रहती हैं. जंगलों से नक्सली गतिविधियों के बारे में मिलने वाला इनपुटअर्धसैनिकबलों और खुफिया विभाग के लिये मायनेरखताहै. इसी कड़ीमें हमेशा एजेंसियांसतर्करहती हैं और जंगलों से छनकर आने वाली सूचनाओंको गंभीरता से लिया […]

पटना / लखीसराय : बिहार में नक्सल प्रभावित इलाकों की गतिविधियों के बारे में जानने के लिए हमेशा सुरक्षा बलों की एजेंसियांसतर्क रहती हैं. जंगलों से नक्सली गतिविधियों के बारे में मिलने वाला इनपुटअर्धसैनिकबलों और खुफिया विभाग के लिये मायनेरखताहै. इसी कड़ीमें हमेशा एजेंसियांसतर्करहती हैं और जंगलों से छनकर आने वाली सूचनाओंको गंभीरता से लिया जाताहै. हाल में खुफियाविभाग ने नक्सली हमले को लेकरअलर्टजारी किया है. साथ हीऔरभी कई चौकानेवालीजानकारी सामनेआयी है. बताया जा रहा है की कजरा जंगल के अंदर अंग्रेजी अखबार पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है की संसाधन विहीन नक्सल प्रभावित कजरा जंगल में आखिर किसके लिए अंग्रेजी अखबार जा रहा है और उसे कौन पढ़ रहा है ?

बिहार के लखीसराय जिले के नक्सल प्रभावित इलाके की भौगोलिक बनावट ऐसी है कि कजरा, चानन और पीरी बाजार तीनों ही तरफ से पहाड़ और जंगल बेहद करीब हैं. नक्सली इन्हीं जंगल और पहाड़ों का लाभ उठा कर इन इलाकों में अपना खौफ और वर्चस्व कायम करने की कोशिश करते हैं. पहाड़ के एक तरफ पीरी बाजार कजरा और चानन का मैदानी इलाका है, तो दूसरी तरफ आदिवासियों के छोटे छोटे गांव. इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है और इस अभाव का फायदा नक्सली भी उठाते हैं.

स्थानीयमीडिया और नक्सलकवरेजके लिए जंगल तक पहुंचने वाले लखीसराय केएकजुझारू पत्रकारकीमानें,तो जंगल के अंदर का आम जनजीवन ऐसा है कि लोग सुबह से शाम तक दो जून की रोटी के जुगाड़ में लकड़ी काटने और पशुओं को चराने के अलावा पत्तल बनाने के काम में लगे रहते हैं. सरकार की खुफिया एजेंसियों को खबर मिली है कि इन दिनों जंगलों में अंग्रेजी के कई अखबार, मसलन टाइम्स ऑफ इंडिया, स्टेट्समैन और टेलीग्राफ जैसे अखबार पहुंचाये जा रहे हैं. अब प्रशासन की नींद उड़ गयी है कि इन जंगलों में आखिर किसके लिए इस तरह के अखबारों की सप्लाई की जा रही है.

पुलिस सूत्रों की मानें, तो जंगलों में नक्सली संगठन से जुड़े लोग अंग्रेजी अखबार मंगवा रहे हैं. नक्सल गतिविधियों के लिए जिले से शुरू होने वाला कजरा पहाड़ा का जंगल श्रृंखला झारखंड के रास्ते छत्तीसगढ़ तक जाता है. नक्सली इसी बात का फायदा उठाते हैं और बताया जा रहा है कि समाचारों के माध्यम से सरकारी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए और तीन राज्यों के नक्सलियों को इससे परिचित कराने के लिए अंग्रेजी अखबार मंगाये जाते हैं. जंगलों के अंदर इंटरनेट का प्रभाव कम होने से नक्सली अखबारों पर आश्रित हैं. एक बात यह सामने आ रही है कि नक्सली संगठन पीएलजीए में ज्यादतर कॉडर और रैंक होल्डर आंध्र और उड़ीसा के हैं. स्थानीय लोगों के साथ रहकर यहां की भाषा तो वे समझ पाते हैं लेकिन देश दुनिया की खबरों के लिए हिंदी अखबार उनके लिए काला अक्षर भैंस बराबर साबित होता है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इन्हीं कॉडरों के लिए जंगल में अंग्रेजी अखबार मंगाया जाता है.

लखीसराय में अंग्रेजी अखबार के वितरण से जुड़े शख्स नेनाम नहीं छापने की शर्त पर मीडिया को बताया है कि जिले में दो प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार की क्रमशः 70 और 60 कॉपी आती है. इसमें से एक अखबार का 5 और दूसरे अखबार की 2 कॉपी कजरा चली जाती है. कजरा में अंग्रेजी अखबार के पाठक कम हैं. वहीं एएसपी अभियान पवन कुमार उपाध्याय की माने तो नक्सलियों के शीर्ष कैडर में शामिल लोग पढ़े लिखे होते हैं लिहाजा वे अंग्रेजी अखबार पढ़ते हैं. एएसपी के मुताबिक कुछ दिनों पहले कजरा जंगल के अंदर बड़े नेताओं के आने की खबर मिली थी, जिसके बाद ऑपरेशन चलाया गया था.

यह भी पढ़ें-
तेजस्वी ने ट्वीट कर CM नीतीश को बताया दुर्लभ, पढ़ें और क्या कहा…

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel