किशनगंज. जनसंख्या किसी भी सूबे की ताकत तभी बनती है, जब वह संतुलित व नियोजित हो लेकिन जब आबादी अनियंत्रित रूप से बढ़ती है, तो वही जनसंख्या स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार व पोषण जैसी बुनियादी सेवाओं पर असहनीय दबाव डाल देती है. आज बढ़ती जनसंख्या के कारण अस्पतालों में भीड़, सीमित संसाधनों पर बढ़ता बोझ व परिवारों में आर्थिक अस्थिरता लगातार गहराती जा रही है. सबसे संवेदनशील स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब नवविवाहित दंपती जानकारी व परिपक्वता के अभाव में बहुत जल्दी माता-पिता बन जाते है. न मां का शरीर पूरी तरह तैयार होता है, न दंपती मानसिक व आर्थिक रूप से सक्षम. इसका दुष्परिणाम केवल एक परिवार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समाज व व्यवस्था पर भी असर डालता है. इसी गंभीर चुनौती को समझते हुए बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने नयी पहल किट के माध्यम से नव दंपतियों तक जागरूकता का सीधा संदेश पहुंचाना शुरू किया है. सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि पहला बच्चा शादी के कम से कम दो वर्ष बाद व दूसरा बच्चा पहले के तीन वर्ष बाद हो. यह सलाह किसी दबाव के रूप में नहीं, बल्कि वैज्ञानिक तथ्यों व वर्षों के अनुभव पर आधारित है. सही अंतराल से गर्भधारण होने पर मां का स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है, शिशु को बेहतर पोषण मिलता है. परिवार आर्थिक रूप से भी स्थिर रह पाता है. इसी सोच को व्यवहार में उतारने के लिए नयी पहल किट को एक प्रभावी माध्यम के रूप में अपनाया गया है, जिससे नव दंपतियों को परिवार नियोजन के साधनों के साथ-साथ जिम्मेदार अभिभावक बनने की समझ दी जा सके.
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