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दो दिवसीय संतमत सतसंग का हुआ समापन, स्वामी ओमानंद जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन है दुलर्भ इसे व्यर्थ न गवाएं

प्रखंड के सतकौआ पंचायत अंतर्गत दोगिरजा गांव वार्ड 13 में संतमत सतसंग का सोमवार को समापन हो गया.

दिघलबैंक.पिछले दो दिनों से चल रहे प्रखंड के सतकौआ पंचायत अंतर्गत दोगिरजा गांव वार्ड 13 में संतमत सतसंग का सोमवार को समापन हो गया. इस दो दिवसीय महर्षि मेंहीं परमहंस संतमत सत्संग में हजारों के संख्या में श्रद्धालु पहुचे. प्रथम दिन रविवार को सतसंग में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये राजधानी पटना बाबा शाही धाम दानापुर के संत सतगुरु महर्षि मेंहीं परम हंसी महाराज के हृदय स्वरूप महर्षि शाही स्वामी जी महाराज के प्रिय सेवक पूज्य स्वामी ओमानंद जी महाराज ने कहा कि मानव का दुर्लभ शरीर बहुत ही मुश्किल से मिलता है, इसे व्यर्थ न गवांए. बल्कि सदगुरू की शरण में जाकर मोक्ष की प्राप्ति करें. वरना पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं मिलेगा. उन्होंने कहा कि मानव शरीर पाने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं. समय भी बहुत बलवान है. ऐसे में समय को व्यर्थ न गंवाये.अब शेष बचे दुर्लभ शरीर को परमात्मा व गुरु की भक्ति में लीन कर ले. संत श्री महाराज जी ने सत्संग प्रेमियों से कहा कि प्रभु की कृपा से ही लोग सत्संग में जाते है एवं ज्ञान की बातें सुनते हैं.जब भी मौका मिले निश्चित रूप से लोगों को सत्संग व भजन कीर्तन में शामिल होना चाहिए. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के बारे में भी विस्तार पूर्वक चर्चा की. भारतीय सभ्यता व संस्कृति की गौरवता पर चर्चा करते हुए महाराज कहा कि वर्तमान समय पश्चिमी सभ्यता अपनाए जाने पर अफसोस जाहिर किया. सनातन धर्म व संस्कृति की रक्षा भी सत्संग के जरिये ही संभव है. जहां लोग संतों की अमृतवाणी सुनने से न केवल जीवन धन्य हो जाता है. बल्कि मानव शरीर भी सुखमय हो जाता है. ऐसे मानव शरीर को सद्कर्म में लगाना चाहिए.वहीं इससे पूर्व महाराज ने मानव शरीर की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शरीर क्षणभंगुर है. इसे यू ही व्यर्थ न गवाये. उन्होंने सत्संग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए लोगों को सत्संग में जाकर एवं सद गुरू के शरण में जाकर जीवन कल्याण करने की बात कही. ताकि मनुष्य को मानव शरीर की प्राप्ति सार्थक हो सके. वहीं संतों की टोली में भजन कीर्तन से पुरा माहौल ही भक्तिमय बना दिये. दूसरे दिन सोमवार को भजन प्रस्तुति विनती सदग्रंथ पाठ एवं प्रवचन के पश्चात सत्संग को शाम में समाप्त किया गया. सत्संग स्थल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रही. वही आयोजकों के द्वारा भव्य भंडारे का भी आयोजन किया गया था.

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