दिघलबैंक. मानवीय संदेना को तार-तार व ममता को शर्मसार कर देने वाली मामला प्रकाश में आया है. जहां एक कलयुगी मां ने नवजात शिशु को सड़क के किनारे बांस झाड़ के समीप फेंक कर फरार हो गई. मामला प्रखंड के ताराबरी पंचायत अंतर्गत उदगाड़ा वार्ड संख्या चार का है. मामले की जानकारी लोगों को तब हुई जब उदगाड़ा गांव निवासी सबीना खातून सुबह करीब छह बजे अपनी गायों को लेकर खेत में जा रही थी. उसी समय उसे सड़क किनारे बांस झाड़ के समीप पन्नी में लिपटा नवजात शिशु दिखाई दिया. वह फौरन आकर उस नवजात को उठाया. उसने देखा तो बच्चा जीवित था. उसने तुरंत इसकी सूचना स्थानीय जिप सदस्य प्रतिनिधि मुफ़्तीअतहर जावेद को दी और स्थानीय लोगों की मदद से वह महिला उस बच्चे को घर ले आई. घटना की सूचना मिलते ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दिघलबैंक के प्रभारी डॉक्टर एनामुल हक ने तुरंत मेडिकल टीम भेजी. गंधर्वडांगा थाने से पुलिस बल भी मौके पर पहुंचकर बच्चों के स्वास्थ्य जांच के लिए उसे स्वास्थ्य केंद्र लाया. जहां नवजात शिशु के प्राथमिक उपचार के उपरांत उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल किशनगंज रेफर कर दिया गया. नवजात का स्वास्थ्य अभी ठीक बताया जा रहा है. इस हृदयविदारक घटना ने समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. आखिर ऐसी कौन-सी मजबूरी रही होगी कि माता-पिता को अपनी ही नवजात शिशु को फेंकने पर मजबूर होना पड़ा? क्या यह गरीबी का परिणाम है, सामाजिक दबाव का असर है या फिर कोई और वजह, अब कारण जो हो, लेकिन यह सच है कि उदगड़ा गांव के जागरूक नागरिकों और पुलिस प्रशासन की तत्परता से इस मासूम की जान बच गई है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है