जिले के अब तक 30 बच्चों को मिला नया जीवन, ठकुरगंज का हसमत रज़ा अहमदाबाद के लिए रवाना
हर धड़कन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है बिहार सरकार
किशनगंज.बचपन वह अवस्था है जहां नन्हीं मुस्कानें और ऊर्जा से भरी चहक समाज को जीवंत बनाए रखती है. लेकिन जब जन्मजात बीमारियां उस बचपन को निगलने लगें, तब जरूरत होती है ठोस चिकित्सा और मानवीय हस्तक्षेप की. ऐसे में बिहार सरकार की मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना ने हजारों बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है. जन्मजात हृदय रोग ऐसी ही एक चुनौती है, जो बच्चों की जान पर बन आती है.आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए इन जटिल बीमारियों का इलाज कराना आसान नहीं होता. लेकिन बिहार सरकार की मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना ने इन परिवारों के लिए आशा की नई किरण दिखाई है. यह योजना राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित होती है और 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क जांच, निदान एवं समुचित इलाज प्रदान करती है. खास बात यह है कि सरकार बच्चों के साथ उनके परिजनों के यात्रा, आवास और इलाज का पूरा खर्च उठाती है. किशनगंज जिला इस योजना के सफल क्रियान्वयन में राज्य के अग्रणी जिलों में शामिल है.
हसमत रज़ा को भेजा गया अहमदाबाद इलाज के लिए
सिविल सर्जन डॉ राज कुमार चौधरी ने बताया कि किशनगंज सदर अस्पताल से ठकुरगंज प्रखंड अंतर्गत खारना गांव निवासी हसमत रज़ा, पुत्र इरशाद आलम और माता रुखसार बेगम को गंभीर जन्मजात हृदय रोग के इलाज हेतु सदर अस्पताल किशनगंज से राज्य स्वास्थ्य समिति, पटना के लिए रवाना किया गया. वहां से शनिवार को उन्हें हवाई मार्ग द्वारा श्री सत्य साईं हार्ट हॉस्पिटल, अहमदाबाद भेजा जाएगा, जहां उनकी सर्जरी नि:शुल्क कराई जाएगी.अब तक 30 बच्चों को मिला नया जीवन
हसमत रज़ा बाल हृदय योजना के तहत भेजा गया 30वां बच्चा है, जिसका ऑपरेशन अहमदाबाद में होना है. इससे पहले 29 बच्चों का सफल हृदय ऑपरेशन हो चुका है. साथ ही आईजीआईसी पटना में 15 बच्चों का डिवाइस क्लोजर भी किया गया है. इस प्रकार किशनगंज जिले के कुल 45 बच्चों को नया जीवन मिला है. सिविल सर्जन डा राज कुमार चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना गरीब परिवारों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है. न केवल इलाज बल्कि आने-जाने, ठहरने और खानपान तक का खर्च सरकार उठा रही है. जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि हमारी कोशिश है कि योजना की जानकारी अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे. स्वास्थ्य विभाग की टीम जिस तरह से बच्चों को चिन्हित कर इलाज के लिए भेज रही है, वह प्रशंसनीय है.राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की बड़ी भूमिका
आरबीएसके के जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया कि 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों की नियमित स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें हृदय, आंख, त्वचा, विकृति जैसे 38 रोगों की पहचान की जाती है. चिन्हित मरीजों को आईजीआईसी पटना या श्री सत्य साईं हॉस्पिटल अहमदाबाद भेजा जाता है. डीपीएम डॉ मुनाजिम ने कहा कि सरकार की यह पहल उन बच्चों के लिए वरदान है जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं. हमारी कोशिश है कि कोई भी बच्चा इलाज से वंचित न रहे. मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना ने यह सिद्ध कर दिया है कि इच्छाशक्ति और समर्पण के साथ कोई भी चुनौती जीती जा सकती है. यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि योजना की जानकारी समाज के अंतिम पंक्ति तक पहुंचाएं, ताकि हर बच्चा मुस्कुराता रहे, हर दिल धड़कता रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

