पौआखाली श्यामसुंदर चक्रवर्ती सिलीगुड़ी से मध्यप्रदेश के सुप्रसिद्ध उज्जैन महाकाल मंदिर तक की आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हुए है. उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित श्री नरोत्तम गौड़ीय मठ के ये साधक हैं. परंतु सबके लिए हैरान कर देने वाली बात यह है कि इस कड़ाके की ठंड में वे इस कठिन यात्रा को दंडवत प्रणाम के माध्यम से पूर्ण कर रहे हैं, जो कि एक साधक का अपने आराध्य के प्रति घोर आस्था और भक्ति का प्रतीक माना जा रहा है. सोमवार को जिले के दिघलबैंक प्रखंड के ताराबाड़ी चौक में एनएच 327 ई के किनारे अवस्थित श्रीराम जानकी मंदिर में जब विश्राम हेतु उनका ठहराव हुआ तो मंदिर के पुजारी सहित स्थानीय ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने उनका भव्य स्वागत किया. साधक श्री श्यामसुंदर चक्रवर्ती ने बताया कि वे जन-जन के कल्याण हेतु राष्ट्र की उन्नति समृद्धि तथा विश्व कल्याण विश्व शांति की कामना लिए आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हुए है. उन्होंने पिछले एक नवंबर से श्री नरोत्तम गौड़ीय मठ सिलीगुड़ी से अपनी यात्रा का शुभारंभ किया था जो 29 वें दिन यात्रा पूरी कर जिले के दिघलबैंक प्रखंड के ताराबाड़ी चौक पहुंचे हुए थे. करीब सत्रह सौ किलोमीटर की दूरी उन्हें दंडवत प्रणाम देते हुए तय करनी है जिसके लिए उन्हेें एक साल का वक्त लग सकता है. इस दौरान पुरोहित रतन लाल, शीला बिस्वास, विमल बिस्वास, गौतम बिस्वास सहित मनोहर, त्रिदेव, किशन, सुखिया, विजय बिस्वास ने बताया कि एक साधक के लिए यह अदम्य साहस और दृढ़ इच्छाशक्ति तथा आध्यात्म के प्रति सच्ची श्रद्धा और पूर्ण समर्पण को दर्शाता है.
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