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टीबी मुक्त पंचायत मॉडल के रूप में उभरता किशनगंज

मरीजों में 1,231 निजी क्षेत्र में और 785 सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जांच के दौरान मिले.

किशनगंज टीबी मुक्त भारत 2025 के लक्ष्य को स्थानीय स्तर पर सफल बनाने की दिशा में जिले की चार पंचायतें किशनगंज प्रखंड की हालमाला, कोचाधामन की धनगड़ा, टेढ़ागाछ की बेगना और ठाकुरगंज प्रखंड की भात गांव टीबी मुक्त पंचायत घोषित होने के अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं. इन पंचायतों में घर-घर सर्वे, संदिग्धों की पहचान, समय पर जांच, दवा सेवन की निगरानी और सामुदायिक भागीदारी जैसे सभी आवश्यक मानकों को गंभीरता से पूरा किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह उपलब्धि न केवल जिला स्तर पर बल्कि राज्य स्तर पर भी एक उदाहरण बनेगी.जिले में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम को गति देने के लिए बड़े पैमाने पर जांच अभियान चलाए गए, जिसके परिणामस्वरूप जनवरी से अक्टूबर 2025 के बीच कुल 14,064 लोगों की जांच की गई. इनमें 2,016 मरीजों में टीबी संक्रमण पाया गया. इन मरीजों में 1,231 निजी क्षेत्र में और 785 सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में जांच के दौरान मिले. सक्रिय सर्वे, आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका, निजी चिकित्सकों का सहयोग और समुदाय स्तर पर बढ़ती जागरूकता ने जिले में टीबी की पहचान की गति को काफी बढ़ाया है. विभाग का मानना है कि विस्तृत जांच ही टीबी मुक्त पंचायतों के लक्ष्य को वास्तविकता में बदलने का सबसे मजबूत आधार है. जिले में जांच सुविधाओं के विस्तार के तहत बेलवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ट्रूनेट मशीन शुरू होने से ग्रामीण क्षेत्रों के मरीजों को बड़ी राहत मिली है. ट्रूनेट मशीन जांच प्रक्रिया को तेज और सटीक बनाती है, जिससे मरीजों को तुरंत रिपोर्ट मिल जाती है और तेजी से उपचार शुरू हो पाता है. किशनगंज जिले में अब सभी प्रखंडों में ट्रूनेट मशीन उपलब्ध है, जिससे टीबी नियंत्रण अभियान को तकनीकी मजबूती मिल रही है. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि स्थानीय स्तर पर जांच उपलब्ध होने से संदिग्ध मरीजों की पहचान और भी तेजी से होगी और टीबी मुक्त पंचायत बनने की प्रक्रिया में गति आएगी. टीबी मरीजों के इलाज में पोषण सुरक्षा को महत्वपूर्ण मानते हुए जिले में अब तक 1,456 मरीजों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से पोषण सहायता दी जा चुकी है. जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम बताते हैं कि कई मरीज आर्थिक कठिनाइयों के कारण उपचार बीच में रोक देते हैं, इसलिए पोषण सहायता उपचार को नियमित और प्रभावी बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है. स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी मरीज को दवा, यात्रा या भोजन की कमी के कारण उपचार में बाधा न आए. यही पहल टीबी मुक्त पंचायतों के लक्ष्य को मजबूत बनाती है.

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