ठाकुरगंज.सड़क पर पुलिस की सतर्कता की काट शराब तस्करों ने ट्रेनों के रूप में ढूंढ़ ली है. बंगाल से आने वाली ट्रेनों में शराब की खेप धड़ल्ले से ठाकुरगंज आ रही रही है. रात का अंधेरा हो या दिन का उजाला बंगाल से आने वाली सभी ट्रेनें इन दिनों शराब तस्करों के धंधे को चार चांद लगा रही है. बताते चले ठाकुरगंज आने वाली ट्रेनों का पहला स्टेशन बंगाल है.
उत्तर की तरफ से आने वाली ट्रेन बागडोगरा, नक्सलबाड़ी की तरफ से आती है तो दक्षिण की तरफ से आने वाली ट्रेन इस्लामपुर की तरफ से ठाकुरगंज आती है. जानकार बताते है कि इन दोनों रास्ते से धड़ल्ले से शराब ठाकुरगंज आ रही है और यहां शराब प्रेमियों को आसानी से उपलब्ध हो रही है. बताते चले जिले की पुलिस ने जब सड़कों पर सख्ती बढ़ाई तो तस्करों ने अब ट्रेनों को शराब तस्करी का नया साधन बना लिया है.ट्रेनों मे नहीं होती जांच
बताते चले शराब तस्करी रोकने के लिए पुलिस और उत्पाद विभाग का अभियान केवल सड़कों पर चलता है. आज तक कभी भी न बिहार पुलिस ने न जीआरपी न आरपीएफ न ही उत्पाद विभाग ने ट्रेनों में अभियान चलाया है. इसी का परिणाम है कि प्रतिदिन सैकड़ों बोतल अवैध शराब ठाकुरगंज पहुंच रही है.इस बात का फायदा उठाते हैं शराब तस्कर
बताते चले स्टेशन पर पुलिसकर्मी तैनात तो होते हैं, लेकिन अक्सर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं. केवल बड़ी ट्रेनों के आने पर ही वे प्लेटफार्म पर दिखाई देते हैं. बाकी समय वे अपने निजी कामों में व्यस्त रहते हैं. शाम होते ही ज्यादातर स्टेशनों से पुलिसकर्मी गायब हो जाते हैं, जिसका फायदा शराब माफिया उठा रहे हैं.बिहार में पूर्ण शराबबंदी के 9 साल
बिहार में 2016 से ही पूर्ण शराबबंदी है. राज्य में पूर्ण शराबबंदी को लागू हुए 9 साल बीत चुके हैं. इन 9 सालों के दौरान शायद ही कोई ऐसा दिन बीता हो, जिस दिन शराबबंदी कानून तोड़ने की खबर ना आई हो. पुलिस की सख्ती के बावजूद शराबबंदी वाले बिहार में शराब धड़ल्ले से बिक रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

