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संतों के चरण में शीश नवाएं : महाश्रमण

संत समागम . शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के प्रवचन का लोगों ने उठाया लाभ अहिंसा यात्रा पर निकले जैन श्वेतांबर तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण जी ठाकुरगंज के रास्ते गंभीरगढ़ पहुंचे. यात्रा के दौरान जगह-जगह रास्ते में भक्तों ने आशीर्वाद लिया. यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे. ठाकुरगंज : कुछ ऐसे भी धर्म […]

संत समागम . शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के प्रवचन का लोगों ने उठाया लाभ

अहिंसा यात्रा पर निकले जैन श्वेतांबर तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण जी ठाकुरगंज के रास्ते गंभीरगढ़ पहुंचे. यात्रा के दौरान जगह-जगह रास्ते में भक्तों ने आशीर्वाद लिया. यात्रा को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किये गये थे.
ठाकुरगंज : कुछ ऐसे भी धर्म जो शारीरिक सेवा के सापेक्ष होते हैं. सेवा रूपी धर्म शरीर के पराक्रम पर आधारित होता है. इसलिए आदमी को तब तक सेवा धर्म करने का प्रयास करना चाहिए, जब तक शरीर पराक्रम करने योग्य हो. जब तक शरीर में व्याधि न हो, बुढ़ापा पीडि़त न करने लगे, इन्द्रियां साथ न छोड़ें, तब तक आदमी को सेवा धर्म लेने का प्रयास करना चाहिए. उक्त सेवा धर्म की प्रेरणा जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता भगवान महावीर के प्रतिनिधि अहिंसा यात्रा के प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने दी. वे गंभीरगढ़ मध्यविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे.
आहिंसा यात्रा के क्रम में रविवार सुबह ठाकुरगंज से गंभीरगढ़ पहुंचे आचार्य महाश्रमण जी के स्वागत में बड़ी संख्या में ग्रामीण मोजूद थे. इस दौरान वहां उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा की संतो के चरणों में प्रणाम करना सिर का आभूषण है. मुंह का आभूषण है मुंह से सत्य व प्रिय बोलना. कानों का आभूषण है अच्छे आध्यात्मिक गीत सुनना. हृदय का आभूषण है हृदय में दया करुणा, स्वच्छ विचारों का होना है. इस दौरान उन्होंने कहा हाथ की शोभा दान से होती है. दाता अथवा याचक कौन है यह हाथ की मुद्रा ही बताती है. आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को कहा कि जैन शासन में तीर्थंकर का अत्यन्त महत्त्व होता है. तीर्थंकर हर समय भरतक क्षेत्र में रहें, ऐसा संभव नहीं है. इसलिए जैन शासन में तीर्थंकर के प्रतिनिधि के रूप में आचार्य होते हैं. तीर्थंकर का प्रतिनिधित्व आचार्य को प्राप्त है. तीर्थंकरों की अनुपस्थिति में आचार्य अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं. अनेक संप्रदायों में एक जैन श्वेताम्बर तेरापंथ. इसके संस्थापक आचार्य भिक्षु हुए. आचार्य भिक्षु तेरापंथ के जनक थे तो आचार्य जयाचार्य को तेरापंथ को और व्यवस्थित करने वाले आचार्य के रूप में जाना जा सकता है. इस दौरान आचार्यश्री ने उपस्थित ग्रामीणों को अहिंसा यात्रा के त्रिसूत्रीय संकल्पों की अवगति प्रदान करते हुए कहा कि अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प भी भाव शुद्धि के उपाय हैं. तीनों संकल्प स्वीकार हो जाएं तो भावों की शुद्धता प्राप्त हो सकती है. उपासना और आचरण का योग हो जाए तो जीवन का अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है. आचार्यश्री के आह्वान पर ग्रामीणों ने अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प स्वीकार किए.
धन्य भाग्य हमारे जो आप पधारेः विधायक
ठाकुरगंज के स्थानीय विधायक नौशाद आलम ने आचार्य प्रवर का दर्शन कर आशीष प्राप्त किया और अपनी भावनाएं अभिव्यक्ति करते हुए कहा कि धन्य भाग्य हमारे जो आप जैसे महासंत हमारे क्षेत्र में पधारे. कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया. श्वेतांबर तेरापंथी महासभा समाज के बिहारी प्रभारी राजकरण दफ्तरी, अध्यक्ष तेरापंथ समाज किशनगंज चेनरूप दुगड़, सचिव बिमल दफ्तरी, युवा परिषद के अध्यक्ष मनीष दफ्तरी, मोहन लूनिया, प्रसन्न भंसाली, राजेश श्याम सुखा, नवरत्न बोथरा, भीमकमचंद लुनिया आदि मौजूद थे. शिशु विद्या निकेतन में रात्री विश्राम करने वाले आचार्य श्री को विदा करने वालों में पूर्व विधायक गोपाल अग्रवाल, शेखर चन्द्र केजड़ीवाल, नागराज नखत, जुगराज नखत, मोहन जैन, राजेश जैन, प्रदीप जैन , डॉ राज कुमार जैन , पंकज नखत , महेश सिंह, ईला दीदी , निलेश भारती , स्वरुप जैन , मुकेश संचेती , देवकी अग्रवाल, निरंजन मोर , गणेश शर्मा , लक्षमण अग्रवाल , जफीर आलम , आदि सक्रीय दिखे. वही बिहार नेपाल तेरापंथी महासभा के महामन्त्री राजेश पटावरी के साथ महासभा की पूरी टीम मोजूद थी. आचार्य श्री के सेवा के लिए मुंबई , बंगलौर, कोलकत्ता और चेनई , इस्लामपुर आदि जगहों के तेरापंथ युवा मंच के कार्यकर्ता भी मौजूद थे. इस दौरान पुरा वातावरण जय जय जयोति चरण जय जय महाश्रमण के नारे से गुंजता रहा. वहीं लगभग 16 किमी के पैदल यात्रा के दौरान जगह जगह सड़क के दोनों किनारे भक्तों ने गुरुदेव का आशीर्वाद प्राप्त किया. चाहे मदरसा में अध्ययन रत बच्चे हो या ग्रामीण सभी जिज्ञासा वश आचार्य श्री की धवल सेना का अवलोकन करते दिखे. यात्रा के दौरान ठाकुरगंज के आदि साथ थे. वहीं स्थानीय विधायक नौशाद आलम ने शनिवार की भांती आज भी आचार्य श्री की पूरी रास्ते पैदल यात्रा की सेवा की. इस दौरान थानाध्यक्ष राजेश तिवारी ठाकुरगंज से पैदल ही सदल बल पूरी यात्रा में आचार्य श्री के साथ थे.

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