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अनंत चतुर्दशी आज, आराधना से पूर्ण होंगे सभी कामनाएं

किशनगंज : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है. इस दिन अनंत के रूप में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है. पूजा के बाद पुरुष दायीं और स्त्रियां बायीं भुजा में अनंत धारण करती हैं. वास्तव में अनंत राखी के समान सूत या रेशम के कुमकुम […]

किशनगंज : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है. इस दिन अनंत के रूप में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है. पूजा के बाद पुरुष दायीं और स्त्रियां बायीं भुजा में अनंत धारण करती हैं.

वास्तव में अनंत राखी के समान सूत या रेशम के कुमकुम रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं. अनंत की ये चौदह गांठे चौदह लोकों की प्रतीक मानी गयी है.
जिसमें अनंत भगवान विद्यमान हैं. यह व्यक्तिगत पूजा है, इसका कोई सामाजिक या धार्मिक उत्सव नहीं होता. पंडित गोपाल ठाकुर बताते हैं कि भगवान सत्यनारायण के समान ही अनंत देव भी भगवान विष्णु के ही एक नाम हैं.
अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी पूजा से विशेष फल की प्राप्ति और जीवन से सभी कष्टों का नाश हो जाता है. इस बार यह 12 सितंबर यानी आज है. इस व्रत का जिक्र महाभारत में भी आता है. भगवान कृष्ण की सलाह पर पांडवों ने भी इस व्रत को उस समय किया था, जब वे वन-वन भटक रहे थे. इस व्रत के करने से दरिद्रता का नाश, दुर्घटनाओं व स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से रक्षा और ग्रहों की बाधा दूर होती है.

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