तत्कालीन कार्यपालक अभियंता समेत 16 पदाधिकारी व कर्मी बनाये गये हैं नामजद
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18 करोड़ के शौचालय घोटाले में नहीं हुई कार्रवाई
तत्कालीन कार्यपालक अभियंता समेत 16 पदाधिकारी व कर्मी बनाये गये हैं नामजद अभियुक्त-नामजद अभियुक्तों में सहायक अभियंता वर्तमान में अन्य जिलों में कार्यपालक अभियंता के पद पर हैं पदस्थापित किशनगंज : पीएचईडी विभाग में शौचालय घोटाला मामले में विगत 20 मार्च को दर्ज कराये गये प्राथमिकी में अब तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो […]
अभियुक्त-नामजद अभियुक्तों में सहायक अभियंता वर्तमान में अन्य जिलों में कार्यपालक अभियंता के पद पर हैं पदस्थापित
किशनगंज : पीएचईडी विभाग में शौचालय घोटाला मामले में विगत 20 मार्च को दर्ज कराये गये प्राथमिकी में अब तक आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो सका है़ जबकि इस मामले में नामजद सभी आरोपी खुलेआम घुम रहे है़ लगभग 18 करोड़ के इस घोटाले में शामिल कई आरोपी विभाग में शीर्ष पद पर आसीन है़ आरोपियों पर अब तक कार्रवाई नहीं होने से जहां एक ओर घोटालेबाजों का मनोबल बढ़ता है वहीं आम लोगों में सरकार व प्रशासन के मंशा पर संदेह होना लाजिमी है़
ज्ञात हो कि मामला अक्टूबर 2014 से लेकर जून 2016 के बीच का है़ पीएचईडी विभाग ने 17832 ऐसे लोगों को शौचालय निर्माण पूर्ण बता कर राशि का भुगतान किया है जिनका या तो अता पता ही नहीं है या फिर उन्होंने शौचालय का निर्माण नहीं कराया है़ उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्मल भारत मिशन अभियान का शुभारंभ किया था़ निर्मल भारत मिशन के अभियान के तहत शौचालय निर्माण का कार्य पीएचईडी विभाग को दिया गया था़ लाभुक को स्वयं शौचालय बनाना था़ शौचालय निर्माण हो जाने पर लाभुक को 10 हजार या 12 हजार भुगतान किया जाता था़
2 अक्टूबर 2014 से 30 जून 2016 तक किशनगंज पीएचईडी विभाग ने 19586 लाभुकों की इंट्री कर उन्हें राशि का भुगतान किया़ परंतु जून 2016 के बाद जब स्वच्छ भारत मिशन का जिम्मा ग्रामीण कार्य विभाग को सौंप दिया गया तो पीएचईडी विभाग के अनुसार उन्होंने 12335 लाभुकों का अभिलेख डीआरडीए को सौंप दिया़
कैसे हुए मामले का खुलासा मामला तब प्रकाश में आया जब लोहिया स्वच्छ मिशन के तहत प्रखंडों को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए लक्ष्य के निर्धारण हेतु सर्वे का कार्य किया गया़ सर्वे के दौरान अक्टूबर 2014 से जून 2016 के बीच पीएचईडी द्वारा जिन लाभुकों को शौचालय निर्माण के बाद भुगतान किया है उन लोगों का कोई अता पता ही नहीं है़ कुछ लोग जिनका पता चला उन्होंने न तो शौचालय निर्माण कराया है ना ही उन्हें पीएचईडी विभाग से किसी राशि का भुगतान किया गया है़
तत्कालीन डीएम ने दिये थे जांच के आदेश मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीएम पंकज दीक्षित ने सभी लाभुक की जांच कराये़ जांच में सिर्फ 1754 लाभुक का ही पीएचईडी के लाभुक सूची से मिलान हो सका है़ शेष 17832 फर्जी इंट्री पाया गया है़
करोड़ों का है घोटाला प्रथम दृष्टया किये गये इस जांच में कितनी राशि का गबन हुआ है यह जांच नहीं किया गया है़ किसी लाभुक को 10 हजार किसी को 12 हजार रुपये की दर से भुगतान किया गया है़ एक अनुमान के मुताबिक यदि 10 हजार रुपये ही प्रति लाभुक मान लिया जाये तो 17 करोड़ 83 लाख 20 हजार रुपये गबन का अनुमान है़
पदाधिकारी व कर्मी समेत 16 जांच के घेरे में जिलाधिकारी द्वारा कराये गये शौचालय घोटाले की जांच के घेरे में पीएचईडी विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता शिव बिहारी कुमार सहित 16 लोग शामिल है़ हालांकि शिव बिहारी प्रसाद का विगत वर्ष स्वर्गवास हो गया है़ इसके अलावे तत्कालीन सहायक अभियंता नवी हसन, सहायक अभियंता अनवारूल हक, कनीय अभियंता अवधेश कुमार सिंह, संविदा पर बहाल कनीय अभियंता मनीर अंसारी, कनीय अभियंता संविदा अभिषेक कुमार, जिला समन्वयक अर्जुन कुमार, प्रखंड समन्वयक नोमान जहीदी, प्रखंड समन्वयक मुस्ताक आलम, प्रखंड समन्वयक इमरान आलम, प्रखंड समन्व्यक संतोष नायक, प्रखंड समन्वयक हरेंद्र सिंह, प्रखंड समन्वयक उपेंद्र गणेश, कंप्यूटर डाटा ऑपरेटर रवि कुमार, कार्यवाहक सहायक विनोद कुमार सिंह एवं कार्यवाहक सहायक राजीव कुमार जांच के घेरे में है़
दस्तावेज के अनुसार सूची
प्रखंड संख्या
किशनगंज 2370
बहादुरगंज 1236
ठाकुरगंज 1364
दिघलबैंक 1641
पोठिया 2047
टेढ़ागाछ 295
कोचाधामन 338
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