सामाजिक, राष्ट्रीय स्तर पर आगमन व प्रस्थान दोनों है शुभखगड़िया. शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से प्रारंभ हो रही है और दो अक्तूबर को विजयादशमी है. दुर्गापूजा को लेकर पूजा कमेटी ने तैयारी शुरू कर दी है. बताया जाता है कि मां दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन हर नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर अलग-अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं. देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से इसका अलग-अलग फल बताया गया है. इस वर्ष मां दुर्गा भक्तों के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आ रहीं है. परम शक्ति मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्रा सर्वोत्तम समय माना जाता है. इसमें भी शारदीय नवरात्रा का सर्वाधिक महत्व है. देश के अधिकाधिक भागों में बहुलांश धर्म प्रेमी लोगों द्वारा किया जाता है. विदेशों में भी रहने वाले भारतीय इस महाव्रत को करते हैं. बताया जाता है कि भगवान राम ने भी नवरात्रा कर देवी को प्रसन्न कर विजयादशमी के दिन रावण का संहार किया था. श्रद्धा विश्वास से उर्जा और शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से आज भी भक्त शांति और आत्म बल प्राप्त करते हैं. शारदीय नवरात्रा प्रारंभ होने के पूर्व लोगों के दिलों में यह जिज्ञासा बनीं रहती हैं कि मां दुर्गा अपना पूरा परिवार किस वाहन पर सवार होकर आएगी और किस वाहन से लौटेंगी. मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान से ही आगामी वर्ष के अच्छे बुरे फल का अंदाज लगाया जा सकता हैं.
अच्छी वर्षा, सुख, समृद्धि व धन-धान्य में वृद्धि का है प्रतीक
श्री शिवशक्ति योग पीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर व श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद महाराज ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रा कलश स्थापना अशि्वन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 22 सितंबर सोमवार को होने के कारण शास्त्रों में मां दुर्गा का आगमन हाथी ( गज ) पर है. हाथी पर सवार होकर आना शुभ माना जाता है, जो अच्छी वर्षा, सुख, समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि का प्रतीक है. विजयादशमी गुरुवार दो अक्तूबर को है. मां दुर्गा अपने पूरे परिवार के साथ नर वाहन पर सवार होकर लौटेगी. मां दुर्गा जब मनुष्य के वाहन पर सवार होकर लौटती हैं, तो यह शुभ फलदायक होता है और देश में सुख-शांति व समृद्धि लाता है. आगमन एवं प्रस्थान सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर पर दोनों शुभ है. इस बार दस दिनों में नवरात्रा सम्पन्न होग. कुल मिलाकर असुर पर सुर, बुराई पर अच्छाई के विजय का प्रतीक नवरात्रा आत्मसाधना है.
मां दुर्गा का आगमन व प्रस्थान दिन से है जुड़ी
यदि रविवार व सोमवार को पूजा प्रारंभ होती हैं तो मां दुर्गा हाथी ( गज) पर, शनिवार व मंगलवार को घोड़ा पर, गुरुवार व शुक्रवार को डोला पर और बुधवार को पूजा प्रारंभ होने पर मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आती है. गज ( हाथी) पर आना पानी की बढ़ोतरी, अच्छी वर्षा, सुख, समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि का प्रतीक, घोड़ा पर आना युद्ध की आशंका, राजनेता की मृत्यु, नौका पर आना मनोकामनाएं पूर्ण होती है. डोली पर आना आक्रांत रोग, मृत्यु का भय बना रहता है.मां दुर्गा का प्रस्थान दिन से है जुड़ा
रविवार व सोमवार को विजयादशमी होती हैं तो मां दुर्गा भैंसा पर, शनिवार व मंगलवार को मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को गज पर एवं गुरुवार को नर वाहन पर प्रस्थान करती है. भैंसा पर प्रस्थान करना शोक का माहौल मुर्गा पर जन मानस में विकलता, गज पर शुभ वृष्टि, नरवाहन पर शुभ सौख्य होती है. भक्त अपनी श्रद्धा, निष्ठा एवं भक्ति से मां की आराधना करेंगे उनकी मनोकामनाएं जरूर पुरी होगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

